गंगानगरी किन्नू की दुनिया में गूंज–मिठास, स्वाद और गुणवत्ता से फिर छाएगा बाजार
-इस बार 3.10 लाख मीट्रिक टन उत्पादन का अनुमान,ठंड बढ़ते ही बढ़ेगी किन्नू की मिठास — देश-विदेश में बढ़ी मांग से किसानों के चेहरे खिले
नतीजा:गंगानगर का किन्नू इस सर्दी एक बार फिर देश-विदेश के बाजारों में अपनी चमक बिखेरने को तैयार है,किसान उत्साहित हैं, व्यापारी सक्रिय हैं और उपभोक्ता इंतजार में हैं-मिठास का यह मौसम बस आने ही वाला है।
श्रीगंगानगर.उत्तर भारत के फलों में गंगानगरी किन्नू का नाम अब ब्रांड बन चुका है। स्वाद, रस और सुगंध में बेमिसाल इस किन्नू ने न केवल देश के बाजारों बल्कि विदेशों में भी अपनी मजबूत पहचान बनाई है। इस बार जिले में करीब 3.10 लाख मीट्रिक टन किन्नू उत्पादन की उम्मीद जताई जा रही है, जो पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 20 प्रतिशत अधिक है। यह स्थानीय किसानों के लिए बड़ी राहत और उत्साह की खबर है।
श्रीगंगानगर और हनुमानगढ़ जिलों के बाग अब सुनहरे किन्नुओं से लदे हुए हैं। जिले में 10,359 हेक्टेयर क्षेत्रफल में किन्नू फलत अवस्था में है। मौसम में आई ठंडक ने मिठास बढ़ाने का काम किया है। कृषि विशेषज्ञों का कहना है कि जैसे-जैसे रात्रि का तापमान घटेगा, वैसे-वैसे किन्नू में रस और स्वाद दोनों बढ़ेंगे।
वर्तमान में किसानों ने जनवरी माह की डिलीवरी के लिए 20 से 25 रुपए प्रति किलो के सौदे कर लिए हैं।
किसान बोले — इस बार फसल दमदार
न्यू प्रेमनगर के किसान विजय यादव व अबोहर क्षेत्र के किसान विकास भादू बताते हैं कि इस बार किन्नू की फसल पहले से बेहतर है। फाल भी अच्छा आया है और गुणवत्ता बढिय़ा है। पंजाब के अबोहर क्षेत्र में भी उत्पादन में 20 प्रतिशत तक बढ़ोतरी हुई है। जनवरी के सौदे ऊंचे दामों पर हुए हैं, जिससे उम्मीद है कि बाजार मजबूत रहेगा।
वैक्सीन और ग्रेडिंग प्लांट से बढ़ी चमक
रीको क्षेत्र में दो दर्जन से अधिक किन्नू वैक्सीन और ग्रेडिंग प्लांट स्थापित हैं। इनसे फल को न सिर्फ चमक मिलती है बल्कि पैकिंग और निर्यात में भी आसानी होती है। श्रीगंगानगर से किन्नू का निर्यात बांग्लादेश,नेपाल और भूटान तक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यदि जिले में जूस प्रोसेसिंग और पैकिंग यूनिट्स लगाई जाएं,तो स्थानीय किसानों को और अधिक लाभ मिल सकता है।
एक्सपर्ट व्यू:कृषि वैज्ञानिक (उद्यान) डॉ. रवि कुमार मीणा
श्रीगंगानगर की दोमट मिट्टी और नियंत्रित सिंचाई व्यवस्था किन्नू उत्पादन के लिए अत्यंत अनुकूल है। यहां की जलवायु फल में विशिष्ट मिठास और स्वाद विकसित करती है, जिससे गंगानगर का किन्नू अंतरराष्ट्रीय बाजार में अलग पहचान रखता है। डॉ. मीणा ने बताया कि इस क्षेत्र में फसल की गुणवत्ता संतुलित है,हालांकि कुछ इलाकों में फ्रूट ड्रॉप की समस्या फ्रूट क्लाई और फ्रूट होपर की वजह से बनी हुई है। उन्होंने कहा कि समुचित पौष्टिक तत्व प्रबंधन और समय पर कीट नियंत्रण से इन समस्याओं को काफी हद तक कम किया जा सकता है।
अधिकारी वर्जन
इस वर्ष किन्नू की फसल मात्रा और गुणवत्ता दोनों में बेहतरीन है। जिले में लगभग 3 लाख 10 हजार मीट्रिक टन उत्पादन की संभावना है। किसानों को इस बार 20 से 25 रुपए प्रति किलो तक का दाम मिल सकता है। सर्दी बढऩे के साथ ही किन्नू की मिठास और मांग दोनों चरम पर होंगी।