
जयपुर। नई अंतरराष्ट्रीय रिसर्च बताती है कि किसी देश की सेहत सिर्फ उसकी संपन्नता का परिणाम नहीं होती। 38 विकसित अर्थव्यवस्थाओं के विश्लेषण में पाया गया कि मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य देखभाल वाले छोटे देश कई बार अधिक धनी देशों से बेहतर प्रदर्शन करते हैं। अध्ययन ने यह आकलन किया कि कोई देश उपलब्ध स्वास्थ्य संसाधनों को लंबी आयु, बेहतर रोकथाम और समान स्वास्थ्य पहुंच में कितनी दक्षता से बदल पाता है।
सिर्फ पैसा ही स्वास्थ्य नहीं खरीद सकता
संयुक्त राष्ट्र का सतत विकास लक्ष्य (SDG-3) सभी आयु वर्गों के लिए अच्छी सेहत सुनिश्चित करने पर केंद्रित है, जिसमें मातृ स्वास्थ्य, बाल मृत्यु दर, संक्रामक रोग नियंत्रण और अन्य सूचक शामिल हैं। अध्ययन का नेतृत्व यूनिवर्सिटी ऑफ सरे (यूके) के बिज़नेस एनालिटिक्स विभाग के प्रोफेसर अली एमरूज़नेजाद ने किया। उनका कहना है, **“राष्ट्रीय स्वास्थ्य के मामले में पैसा ही सब कुछ नहीं है।” शोध में यह मूल्यांकित किया गया कि देश अपने स्वास्थ्य खर्च और मानव संसाधन को कितनी कुशलता से परिणामों में बदलते हैं—वे प्रणालियाँ स्वाभाविक रूप से श्रेष्ठ दिखीं जो प्रारंभिक देखभाल, समान पहुंच और कम बर्बादी पर जोर देती हैं।
मॉडल कैसे काम करता है
शोधकर्ताओं ने एक संयुक्त सूचकांक (Composite Indicator) तैयार किया, जो कई स्वास्थ्य मापदंडों को एक ही स्कोर में समाहित करता है। इसमें बेहतर परिणाम जैसे कवरेज और नकारात्मक परिणाम जैसे मृत्यु दर, दोनों को शामिल किया गया। इसमें “Directional Distance Function (DDF)” नामक तकनीक का उपयोग किया गया, जो यह मापती है कि कोई देश सर्वश्रेष्ठ मानकों से कितना दूर है अर्थात कौन सा देश समान संसाधनों में अधिक स्वास्थ्य-लाभ हासिल करता है। विभिन्न मॉडलों में तुलना के बाद ऑस्ट्रेलिया, नॉर्वे, स्वीडन, आइसलैंड और इज़राइल शीर्ष पर रहे। मॉडल में जलवायु संबंधी दबावों को भी शामिल किया गया, ताकि यह समझा जा सके कि गर्मी, धुआँ और बाढ़ जैसे कारक स्वास्थ्य देखभाल को कैसे प्रभावित करते हैं।
स्वास्थ्य प्रणालियों में भरोसे का महत्व
जनता का स्वास्थ्य संस्थानों पर भरोसा यह तय करता है कि लोग सेवाओं का उपयोग कैसे करते हैं और सलाह को कितना गंभीरता से लेते हैं। जहाँ भरोसा अधिक होता है, वहां रोकथाम कार्यक्रम अधिक प्रभावी होते हैं और इलाज जल्दी शुरू होता है। भरोसे की कमी वाले देशों में देर से इलाज शुरू होने से लागत और मृत्यु दर दोनों बढ़ जाती हैं।
जब संपन्नता और स्वास्थ्य एक-दूसरे से अलग हो जाते हैं
अमेरिका ने प्रति व्यक्ति 12,555 डॉलर स्वास्थ्य पर खर्च किए, लेकिन औसत आयु 76.4 वर्ष रही जो OECD औसत से कई वर्ष कम है। यह दिखाता है कि उच्च खर्च भी बेहतर परिणाम की गारंटी नहीं देता। जहां प्राथमिक स्वास्थ्य सेवाएं आसानी से उपलब्ध होती हैं, वहां महंगे अस्पताल उपचार की आवश्यकता कम पड़ती है। शीर्ष देशों में लगभग सभी में सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज है, जिससे शुरुआती पहचान और निरंतर उपचार को बढ़ावा मिलता है। कुशल प्रणालियां तेजी से डेटा का उपयोग करती हैं, संसाधनों का पुनर्विन्यास करती हैं और टीकाकरण तथा प्रतीक्षा समय को बेहतर तरीके से नियंत्रित करती हैं।
स्वास्थ्य दक्षता के वैश्विक पैटर्न
छोटी आबादी वाले देशों में सेवाओं का बेहतर समन्वय संभव होता है, जिससे असमानता और देरी कम होती है। मजबूत प्राथमिक स्वास्थ्य व्यवस्था उनकी रीढ़ होती है, जो अधिकांश स्वास्थ्य आवश्यकताओं को संभालती है। कुछ देशों में निजी बीमा पर अधिक निर्भरता कवरेज में अंतर पैदा करती है, जो रोकथाम को कमजोर और खर्च को अधिक बनाती है।
बदलती जलवायु के बीच स्वास्थ्य प्रणाली
जलवायु संकट अब दूर की चिंता नहीं है। Lancet Countdown की हालिया रिपोर्ट दिखाती है कि बढ़ती गर्मी, धुएं और चरम मौसम घटनाएं मौजूदा स्वास्थ्य असमानताओं को और गहरा कर रही हैं। जो देश जलवायु-सहिष्णु अस्पताल और क्लीनिक बना रहे हैं तथा आपदा स्थिति की स्पष्ट योजना रखते हैं, वे सेवाओं को बाधित होने से बचा पाते हैं। सरे विश्वविद्यालय के मॉडल ने इस तैयारी को सकारात्मक रूप से आंका। प्रोफेसर एमरूज़नेजाद कहते हैं, “नीतिनिर्माताओं को केवल बजट बढ़ाने के बजाय रोकथाम, स्थिरता और समान पहुंच को प्राथमिकता देनी चाहिए।” शोध Annals of Operations Research में प्रकाशित हुआ है।
Published on:
20 Nov 2025 07:47 pm

