जयपुर। पुन: उपयोग होने वाली पानी की बोतल साथ रखना समझदारी की आदत है। यह पैसे बचाती है, प्लास्टिक की बोतलों का उपयोग घटाती है और शरीर को हाइड्रेट रखती है। लेकिन इसमें एक खतरा छिपा है। अधिकतर लोग बोतलों को उतना साफ नहीं करते, जितना वे समझते हैं। ढक्कन, किनारों और हाथों से चिपके कीटाणु आसानी से अंदर तक पहुँच जाते हैं और वहीं बने रहते हैं।
2024 में दुनिया भर में रीयूज़ेबल बोतलों का बाजार लगभग 10 अरब डॉलर का था। अमरीका की पर्ड्यू यूनिवर्सिटी ने इन बोतलों की सफाई पर शोध किया। उन्होंने 90 छात्रों से बोतलें लेकर जांच की कि वास्तव में ये कितनी साफ हैं।
बोतल के बाहर क्या मिला?
बोतलें बाहर से दिखने में साफ थीं, लेकिन ATP टेस्ट से पता चला कि सभी बोतलें “गंदी” श्रेणी में आईं। फोन, लैपटॉप, दरवाज़ों और नलों को छूने के बाद हाथ जब बोतलों तक पहुंचते हैं तो गंदगी जमा हो जाती है।
बोतल के अंदर क्या मिला?
पानी की सतह पर चिपके बैक्टीरिया गिने गए। सामान्यत: साफ पीने के पानी में बैक्टीरिया की संख्या 100–500 CFU/mL से कम होनी चाहिए। लेकिन इस अध्ययन में ज़्यादातर बोतलों में यह संख्या उससे कहीं अधिक निकली।
करीब 25% बोतलों में कोलीफॉर्म बैक्टीरिया पाए गए, जो मल संक्रमण का संकेत है। जिन बोतलों में केवल पानी भरा गया था, उनमें बैक्टीरिया कम थे। लेकिन जिनमें स्पोर्ट्स ड्रिंक, सोडा, मीठी चाय या कॉफी डाली गई थी, उनमें संक्रमण कहीं अधिक था।
सफाई की हकीकत
ग्लास की बोतलें बाहर से थोड़ी साफ निकलीं, लेकिन कोई भी सामग्री (स्टील, प्लास्टिक, ग्लास) पूरी तरह सुरक्षित नहीं पाई गई।
स्ट्रॉ, ढक्कन, सिलिकॉन रिंग और संकरे हिस्से सबसे ज्यादा गंदगी और बायोफिल्म जमा करते हैं। सिर्फ पानी से धोने या बिना खोलकर धोने से बैक्टीरिया नहीं हटते।
स्वास्थ्य पर असर
विशेषज्ञों ने चेताया कि इन बोतलों में स्ट्रेप्टोकोकस और स्टैफिलोकोकस जैसे बैक्टीरिया हो सकते हैं। लगभग 20% बोतलों में मल संक्रमण के बैक्टीरिया मिले।
यदि बोतल ठीक से साफ न हो तो यह हाथ और मुँह के जरिए संक्रमण का जरिया बन जाती है, खासकर कमजोर इम्यूनिटी वाले लोगों के लिए।
सुरक्षित इस्तेमाल के लिए सुझाव
Published on:
09 Sept 2025 05:52 pm