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सिर्फ एक हफ्ते तक तैलीय खाना खाने से याददाश्त धुंधली हो सकती है

सिर्फ सात दिन तक ज्यादा वसा (फैट) वाला भोजन खाने से प्रयोगशाला के जीवों (फ्रूट फ्लाई) की याददाश्त प्रभावित हो गई। तुरंत की स्मृति तो ठीक रही, लेकिन कुछ घंटे या एक दिन तक चलने वाली यादें कमजोर पड़ गईं।

जयपुर। सिर्फ सात दिन तक ज्यादा वसा (फैट) वाला भोजन खाने से प्रयोगशाला के जीवों (फ्रूट फ्लाई) की याददाश्त प्रभावित हो गई। तुरंत की स्मृति तो ठीक रही, लेकिन कुछ घंटे या एक दिन तक चलने वाली यादें कमजोर पड़ गईं।

वैज्ञानिकों ने पाया कि इसका कारण न्यूरॉन्स यानी मस्तिष्क की कोशिकाओं के भीतर मौजूद सफाई तंत्र का रुक जाना था। जब इस सफाई प्रणाली को दोबारा सक्रिय किया गया तो याददाश्त वापस लौट आई, भले ही भोजन में कोई बदलाव नहीं किया गया।

जापानी शोध और प्रयोग
चिबा यूनिवर्सिटी के नेतृत्व में जापान के वैज्ञानिकों ने फ्रूट फ्लाई (छोटी मक्खी) पर यह प्रयोग किया। एक समूह को सामान्य आहार दिया गया और दूसरे को ऐसा खाना जिसमें 20 प्रतिशत नारियल का तेल मिला था, यानी लगभग पाँचवे हिस्से की कैलोरी अतिरिक्त वसा से।

सात दिन बाद मक्खियों को गंध और झटके वाले प्रशिक्षण से गुज़ारा गया। इससे तीन तरह की स्मृति जाँची गई:

  • तुरंत याददाश्त (कुछ मिनट तक)
  • मध्यकालीन याददाश्त (कुछ घंटे तक)
  • दीर्घकालीन याददाश्त (एक दिन या अधिक)

नतीजा साफ था – तुरंत याददाश्त ठीक रही, लेकिन तीन घंटे बाद वसा खाने वाले समूह की स्मृति कमजोर हो गई और अगले दिन तक लंबी याददाश्त भी टूट गई।

कोशिकाओं की सफाई प्रक्रिया में गड़बड़ी
यह कमी मोटापा बढ़ने या मस्तिष्क सिकुड़ने से नहीं हुई, बल्कि ऑटोफैजी नामक प्रक्रिया बिगड़ने से हुई। ऑटोफैजी कोशिकाओं की रीसाइक्लिंग लाइन है, जो खराब प्रोटीन और हिस्सों को इकट्ठा कर लायसोसोम यानी एंजाइम से भरे पिटारे में नष्ट करती है।

वसा वाले आहार में यह मेल-मिलाप टूट गया। कचरा जमा होने लगा, खासकर स्मृति से जुड़ी नसों में। इससे संकेतों का आदान-प्रदान बिगड़ गया और यादें धीरे-धीरे मिटने लगीं।

स्मृति वापस लाने के तरीके
वैज्ञानिकों ने पूछा – अगर सफाई तंत्र अटक गया है, तो क्या उसे हल्की सी मदद से फिर चलाया जा सकता है? उन्होंने तीन तरीके अपनाए:

  • रुबिकॉन प्रोटीन को कम करना, जो ऑटोफैजी पर ब्रेक लगाता है
  • Atg1 प्रोटीन को बढ़ाना, जो ऑटोफैजी शुरू करता है
  • रैपामाइसिन दवा देना, जो कोशिकाओं की रीसाइक्लिंग बढ़ाती है

इनसे मक्खियों की घंटों और कभी-कभी दिनभर की याददाश्त वापस आ गई।

हालांकि, चेतावनी भी मिली – अगर सामान्य आहार वाली मक्खियों में सफाई तंत्र को ज़्यादा धक्का दिया गया, तो याददाश्त गिर गई। यानी बहुत कम सफाई भी हानिकारक है और बहुत ज़्यादा भी। दिमाग को संतुलन पसंद है।

इंसानों के लिए संदेश
फ्रूट फ्लाई इंसान नहीं हैं, लेकिन वे तेजी से कोशिकाओं के स्तर पर असर दिखा देती हैं। सबसे चौंकाने वाली बात यह रही कि बदलाव सिर्फ एक हफ्ते में दिखाई दिए।

यह संकेत देता है कि हमारी रोजमर्रा की याददाश्त तुरंत खाए गए तैलीय भोजन से प्रभावित हो सकती है, न कि केवल वर्षों की आदतों से।

मानव अध्ययनों ने भी वसा-युक्त भोजन को अल्जाइमर और डिमेंशिया के बढ़े हुए खतरे से जोड़ा है।

क्या नुकसान उलटा हो सकता है
अच्छी खबर यह है कि यह असर उलटा भी हो सकता है। कोशिकाओं की सफाई प्रणाली लचीली है और सही समर्थन मिलने पर फिर से ठीक हो सकती है।

इंसानों में यह समर्थन संतुलित आहार, नियमित व्यायाम और अच्छी नींद से मिल सकता है। भविष्य में दवाएँ भी आ सकती हैं, लेकिन उन्हें संतुलन बनाए रखना होगा।

निष्कर्ष
ऑटोफैजी न केवल याददाश्त, बल्कि पूरे शरीर के अंगों को स्वस्थ रखती है। इसलिए अधिक वसा वाला भोजन कई जगहों पर असर डाल सकता है।

अगर कभी तैलीय भोजन के बाद दिमाग धुंधला लगे, तो इसका सरल कारण हो सकता है कि दिमाग की सफाई मशीन थक गई है। जैसे ही सफाई दोबारा शुरू होती है, स्पष्टता लौट आती है।

संदेश साफ है – हम क्या खाते हैं, यह तय करता है कि हमारी न्यूरॉन्स कितनी अच्छी तरह सफाई करते हैं। और साफ-सुथरी न्यूरॉन्स ही बेहतर याद रख पाती हैं।

यह शोध PLOS Genetics पत्रिका में प्रकाशित हुआ है।