Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

सियासी भंवर में उलझा शिक्षक का एपीओ प्रकरण!

सीकर. पुस्तकों की मांग करने पर धोद की राउप्रावि बल्लुपुरा के ग्रेड थर्ड शिक्षक नोलाराम जाखड़ को एपीओ करने का मामला सियासी भंवर में फंस रहा है।

सीकर

Sachin Mathur

Sep 11, 2025

सीकर. पुस्तकों की मांग करने पर धोद की राउप्रावि बल्लुपुरा के ग्रेड थर्ड शिक्षक नोलाराम जाखड़ को एपीओ करने का मामला सियासी भंवर में फंस रहा है। सूत्रों के अनुसार मामले की जांच में शिक्षा विभाग ने तो शिक्षक के प्रति सकारात्मक रूख दिखाया है, लेकिन एक भाजपा विधायक उसकी खिलाफत कर रहे हैं। वे शिक्षक पर कार्रवाई के पक्ष में है। चर्चा ये भी है कि शिक्षक को एपीओ करवाने में भी उनकी ही अहम भूमिका रही है। लिहाजा एपीओ शिक्षक का फैसला राजनीतिक पाटे में फंस गया है।

यूं बना राजनीतिक मसला

एपीओ शिक्षक नोलाराम शिक्षक संगठन राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत में जिला प्रवक्ता पद पर है। वैचारिक दृष्टि से ये संगठन माकपा का समर्थक माना जाता है। शिक्षक नोलाराम ने जब स्कूलों में किताबें नहीं पहुंचने का मुद्दा उठाया तो उसका सियासी मायना लेते हुए भाजपा विधायक ने उसे मुद्दा बना लिया। चर्चा है कि उनकी अगुआई में ही मामला शिक्षा मंत्री तक पहुंचा, जिसके बाद शिक्षा विभाग ने शिक्षक को एपीओ करवाने के आदेश जारी हुए।

किताब मांगने का दिया था बयान

धोद की राउप्रावि बल्लुपुरा के ग्रेड थर्ड शिक्षक नोलाराम जाखड़ ने स्कूल में समय पर किताबें नहीं पहुंचने पर विद्यार्थियों की पढ़ाई प्रभावित होने की पीड़ा पत्रिका को बताई थी। स्कूल भवनों की सुरक्षा करने सरीखी मांग भी सरकार से रखी थी। इस पर जब पत्रिका ने खबर प्रकाशित की तो अपनी खामी सुधारने की बजाय शिक्षा विभाग ने उल्टे शिक्षक को ही एपीओ कर दिया। जिसे अभिव्यक्ति की आजादी के खिलाफ बताते हुए शिक्षकों ने आक्रोश भी जताया।

अब अनिश्चितकालीन अनशन की तैयारी

इधर, शिक्षक को एपीओ करने का विरोध करते हुए जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय पर पड़ाव डाल चुके राजस्थान शिक्षक संघ शेखावत ने आंदोलन तेज करने की तैयारी कर ली है। जिलाध्यक्ष विनोद पूनिया ने बताया कि यदि शिक्षक को बहाल नहीं किया गया तो शिक्षा विभाग पर अनिश्चितकालीन धरना दिया जाएगा। आंदोलन को प्रदेश स्तर पर भी ले जाया जाएगा।

इनका कहना है:—

सरकारी स्कूलों में पुस्तकों की उपलब्धता सरकारी योजना का हिस्सा है। उन पुस्तकों की मांग करने पर ही शिक्षक को एपीओ करना शिक्षा विभाग का अलोकतांत्रिक कदम है। सरकारी स्कूल के विद्यार्थियों के साथ भी अन्याय है। शिक्षा का राजनीतिकरण करना गलत है।
किशन पारीक, राज्य सचिव, माकपा।