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Success Story: अमरीका की नौकरी छोड़कर राजस्थान में शुरू किया ये शानदार स्टार्टअप, आज हो रही मोटी कमाई, पिता LIC अधिकारी और लेक्चरर है मां

Who Is Harshit Jhuria: युवा डेयरी इनोवेटर हर्षित झूरिया ने अमरीका की नौकरी छोड़कर राजस्थान में देसी गायों पर आधारित एक सफल स्टार्टअप शुरू किया। उन्हें राष्ट्रीय गोपाल रत्न अवॉर्ड-2025 से भी सम्मानित किया है।

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सीकर

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Akshita Deora

Nov 28, 2025

Rajasthan-Startup

दिल्ली में गोपालन पुरस्कार प्राप्त करते हर्षित झूरिया (फोटो: पत्रिका)

National Gopal Ratna Award 2025: सीकर शहर के युवा डेयरी इनोवेटर हर्षित झूरिया ने देश का सर्वोच्च राष्ट्रीय गोपाल रत्न अवॉर्ड-2025 प्राप्त कर जिले को राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान दिलाई है। नई दिल्ली स्थित सुषमा स्वराज भवन में आयोजित राष्ट्रीय दुग्ध दिवस समारोह में केन्द्रीय पशुपालन एवं डेयरी राज्य मंत्री प्रो. एसपीएस बघेल व जॉर्ज कुरियन ने उन्हें सम्मानित किया है।

बेस्ट डेयरी फार्मर कैटेगरी में मिला यह पुरस्कार देशभर में सबसे प्रतिष्ठित माना जाता है। हर्षित को मेरिट सर्टिफिकेट व प्रतीक चिन्ह के साथ दो लाख रुपए के नगद पुरस्कार से नवाजा गया है।

स्टार्टअप शुरू कर देसी गायों का किया कार्य

हर्षित ने देशी गायों का स्टार्टअप पांच साल पहले अमरीका में बेहतरीन पैकेज की नौकरी छोड़कर शुरू किया है। अमरीका की वर्जीनिया टेक यूनिवर्सिटी से बीटेक के बाद उन्होंने कॉरपोरेट नौकरी की बजाय देश लौटकर देसी गायों पर काम शुरू किया और एक शोध-आधारित स्टार्टअप शुरू कर उपलब्धियों का नया मुकाम हासिल किया। अपनी उपलब्धि में वे एलआइसी विकास अधिकारी पिता भगवान सिंह व व्याख्याता मां माला सुमन की भूमिका को अहम मानते हैं। इधर हर्षित को सम्मान मिलने पर परिवार व उनके गांव में खुशी का माहौल है।

अरावली की तलहटी में 350 गायों का फार्म

नवाचार के रूप में शुरू किया गया हर्षित का स्टार्टअप अपने आप में अनूठा है। लोहार्गल व चिराना के बीच अरावली की हरियाली में फैला यह गोफार्म 350 से अधिक गायों का घर है। फार्म पूरी तरह ऑर्गेनिक खेती, पेस्टिसाइड-फ्री चारा और एंटीबायोटिक-फ्री दूध उत्पादन पर आधारित है। हर्षित ने देशी नस्लों के संवर्धन को नई दिशा देते हुए गाय पालन को ‘शानो-शौकत’ वाला दर्जा दिलाया है। उनके लगन व मेहनत का परिणाम है कि उनके फार्म की कुछ गायों की कीमत 10 लाख रुपए तक पहुंच चुकी है। बकौल हर्षित अब मेहनत का फल मिलने लगा है।

थारपारकर और साहीवाल की ब्रीडिंग

हर्षित देशी गौवंश की दुर्लभ और पौराणिक नस्लों थारपारकर और साहीवाल का वैज्ञानिक तरीके से संवर्धन कर रहे हैं। सेलेक्टिव ब्रीडिंग के जरिए उन्होंने उच्च शुद्धता वाली नस्लें तैयार कर एक बेहतरीन मॉडल गढ़ा है। उनके फार्म की गायें ए—2 बीटा केसिन प्रोटीन युक्त दूध देती हैं, जिसकी मांग राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेजी से बढ़ रही है। हर्षित का कहना है कि उनका लक्ष्य देशी गायों के मूल्य व महत्व फिर से बढ़ाते हुए किसानों को पशुपालन व दूध के व्यापार में सही दिशा देना है।