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टीबी विभाग में तीन साल से बंद एक्सरे मशीन, अब सामान्य लाइन में मरीजों की कर रहे जांच

धूल में दबी जान बचाने की मशीन: 3 हजार से ज्यादा एक्टिव मरीज, पर जांच के नाम पर खतरे का खेल

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धूल में दबी जान बचाने की मशीन: 3 हजार से ज्यादा एक्टिव मरीज, पर जांच के नाम पर खतरे का खेल
शहडोल. स्वास्थ्य विभाग की लचर व्यवस्था पटरी पर आने का नाम नहीं ले रही है। टीबी मरीजों की जांच के लिए करीब तीन साल पहले आई लाखों की आधुनिक एक्सरे मशीन विभागीय उदासीनता के कारण रखे-रखे खराब हो गई। यह मशीन तीन साल पहले टीवी विभाग में आने वाले मरीजों की जांच के लिए लाई गई थी,लेकिन इसके बाद से ही इस मशीन का कोई नियमित रख-रखाव नहीं किया गया और स्टॉल होने के बाद इसकी मरम्मत या सुधार की दिशा में कोई प्रयास किए गए। मशीन का संचालन नहीं होने से अब यह पूरी तरह खराब हो चुकी है। स्वास्थ्य विभाग अब नई मीशन मंगाने के लिए प्रस्ताव बनाने की तैयारी में है। मामले में खरीदी को लेकर भी अब कई तरह के सवाल खड़े हो रहे हैं।

300 एमए की है आधुनिक मशीन

टीबी के संभावित मरीजों को सामान्य मरीजों से अलग रखकर जांच करने के उद्देश्य से 300 एमए की आधुनिक मशीन मंगाई गई थी, जिसकी कीमत करीब 10 लाख रुपए से अधिक की बताई जा रही है। लगभग तीन साल पहले मशीन आई थी, जिसे क्षय रोग विभाग में रखा गया था। यहां सर्व सुविधायुक्त एक्सरे रूम भी बनाया गया था, लेकिन इसके बाद भी संचालन नहीं हो सका। जिससे यह मशीन अब पूरी तरह अनुपयोगी हो चुकी है। इसके सुधार के लिए करीब 60-70 हजार रुपए खर्च होंगे तब कहीं जाकर संचालन शुरू हो सकेगा।

टीबी उन्मूलन में बरती जा रही लापरवाही

टीबी उन्मूलन कार्यक्रम में विभागीय लापरवाही भी सामने आई है। संक्रमित मरीजों का समय पर फालोअप नहीं होने से मरीज की स्थिति गंभीर हो जाती है। जिला अस्पताल में आए दिन ऐसे केस सामने आते हैं। मैदानी अमला मरीजों को चिन्हित तो कर लेता है, समय पर उपचार व दवाइयों के सेवन में लापरवाही बरतने पर मरीज की हालत बिगड़ जाती है।

जिले में 3 हजार से ज्यादा टीबी के एक्टिव मरीज

क्षय विभाग से प्राप्त जानकारी के अनुसार इस वर्ष राष्ट्रीय क्षय नियंत्रण कार्यक्रम के तहत जिले में स्क्रीनिंग के लिए 263229 का लक्ष्य प्राप्त हुआ था। लक्ष्य के विरुद्ध विभाग ने अक्टूबर तक 157559 लोगों की स्क्रीनिंग की है। इसमें 3035 लोगों में टीबी के लक्षण पाए गए हैं, जिनका उपचार जारी है। इसमें सबसे अधिक 1300 से अधिक केस शहडोल अर्बन क्षेत्र से सामने आए हैं, जो बेहद ही चिंताजनक है। यानि बीते दस महीने की स्क्रीनिंग में हर रोज 10 मरीज टीबी संक्रमित मिल रहे हैं। हाल ही में कलेक्टर ने बैठक भी ली थी फिर भी स्थिति में कोई सुधार नहीं आया।

सामान्य मरीजों के बीच हो रहा एक्सरे

वर्तमान में टीबी संक्रमित मरीजों की जांच के लिए कोई अलग से सुविधा नहीं है। जिला चिकित्सालय के एक्सरे विभाग में ही टीबी संक्रमितों का एक्सरे किया जा रहा है, जिसके कारण सामन्य मरीजों में भी संक्रमण फैलने का खतरा बना रहता है। एक्सरे विभाग से लगा सोनो ग्राफी सेंटर भी संचालित है, जहां हर रोज बड़ी संख्या में गर्भवती महिलाओं की जांच की जाती है, इन महिलाओं को भी संक्रमण का डर बना रहता है।
केस- 1
एक वृद्ध की समय रहते टीबी की पहचान नहीं होने से हालत गंभीर होने लगी थी। परिजन ऑक्सीजन सपोर्ट में लेकर जिला चिकित्सालय पहुंचे, जहां जांच में पता लगा कि वृद्ध टीबी रोग से ग्रसित है, चार दिन चले उपचार के बाद तबियत में सुधार होना शुरू हुआ। चिकित्सकों ने बताया कि मरीज का शहडोल में एक प्राइवेट डॉक्टर से उपचार कराया जा रहा था, लेकिन टीबी की पहचान नहीं कर पाने से हालत गंभीर हो चुकी थी। हालांकि जिला चिकित्सालय में उसका उपचार किया गया।
केस- 2
जयसिंहनगर से एक 45 वर्षीय युवक को बीते महीने परिजन जिला चिकित्सालय लेकर पहुंचे थे, परिजनों ने बताया कि उसे लंबे समय से खांसी आ रही है, इसके साथ सीने में दर्द हो रहा है, और लगातार वजन कम हो रहा है। चिकित्सकों ने टीबी के लक्षण से संबंधित जांच कराई तो युवक संक्रमित पाया गया। परिजनों ने बताया कि जयङ्क्षसहनगर के प्राइवेट क्लीनिक में उपचार चल रहा था, लेकिन कोई आराम नहीं मिल पा रहा था। अस्पताल में मरीज को भर्ती कर उपचार किया गया।
इनका कहना
टीबी विभाग में एक्सरे मशीन इंस्टाल किया गया है, एआरबी नहीं हो होने से मशीन का संचालन नहीं हो रहा है। मरम्मत होने के बाद मशीन शुरू हो जाएगी। इसके लिए प्रयास किए जा रहे हैं।
वाय के पासवान, जिला क्षय अधिकारी, शहडोल