सिवनी. साल का दूसरा और अंतिम चंद्र ग्रहण रविवार को लगेगा। यह ग्रहण भारत में दिखाई देगा। धार्मिक मान्यता के अनुसार इसे अशुभ काल माना जाता है और सूतक काल भी मान्य होगा। सूतक काल दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा। इसके प्रारंभ होने पर किसी भी तरह की शुभ काम, खरीदारी, पूजा-पाठ, मंदिरों में जाना आदि कार्य नहीं होंगे। मंदिरों के कपाट भी सुबह से ही बंद रहेंगे। ज्योतिषीय दृष्टि से इसका असर 12 राशियों और 27 नक्षत्रों पर पड़ेगा, जिससे कुछ लोगों को लाभ होगा और कुछ को सावधानी बरतनी होगी। चंद्र ग्रहण का समय धार्मिक और ज्योतिषीय मान्यताओं के अनुसार बेहद खास माना जाता है। इस दौरान पूजा-पाठ, मंत्र-जाप, ध्यान और दान करने से शुभ फल कई गुना बढ़ जाते हैं। माना जाता है कि इस समय किया गया आध्यात्मिक कार्य सीधे पितरों और देवी-देवताओं तक पहुंचता है।
वहीं, सूतक काल में कुछ नियमों का कड़ाई से पालन करना आवश्यक होता है। इस दौरान भोजन बनाना और खाना, सोना, तेल लगाना, बाल या नाखून काटना तथा धारदार वस्तुओं का उपयोग करना वर्जित माना जाता है। इन नियमों का पालन करने से ग्रहण के दुष्प्रभाव कम होते हैं और शुभ फल की प्राप्ति होती है।
चंद्रग्रहण में करना होगा यह काम
ज्योतिषाचार्य डॉ. दिनेश शास्त्री के अनुसार ग्रहण काल में भगवान का स्मरण और मंत्र जाप करें। चंद्र ग्रहण के दौरान भगवान का ध्यान लगाना चाहिए। जब ग्रहण लगे तो भगवान के मंत्रों का जाप करें या पूजा करें। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, ग्रहण के दौरान नकारात्मकता काफी बढ़ जाती है। ऐसे में नकारात्मक प्रभावों से बचने के लिए भगवान का नाम जपना चाहिए।
खाने में तुलसी के पत्ते रखें। मान्यता है कि ग्रहण के दौरान पके हुए भोजन में तुलसी के पत्ते रख देने चाहिए। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक तुलसी के पत्ते रखने से खाना अशुद्ध नहीं होता और इसका बाद में सेवन किया जा सकता है।
ग्रहण के दौरान ध्यान और साधना करना बेहद लाभकारी होता है। वहीं ग्रहण के बाद स्नान करें और दान-पुण्य अवश्य करें। ग्रहण के दौरान गर्भवती महिलाओं को विशेष सावधानी बरतनी चाहिए। गर्भवती को घर के अंदर रहना चाहिए। धारदार चीजों का उपयोग नहीं करना चाहिए और ग्रहण के बाद स्नान करना चाहिए। बुजुर्गों और बच्चों को भी इस दौरान कुछ सावधानी बरतनी चाहिए।
दोपहर से पहले कर सकते हैं तर्पण
ज्योतिषियों के मुताबिक शनिवार को भाद्रपद महीने की पूर्णिमा तिथि है और इसी दिन से पितृपक्ष की शुरुआत होगी। इस दिन रात 9 बजकर 58 मिनट पर चंद्र ग्रहण लगने वाला है, जो देर रात 1 बजकर 26 मिनट पर समाप्त होगा। वहीं सूतक काल दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से शुरू होगा। पंडितों के अनुसार दोपहर 12 बजकर 59 मिनट से पहले पहले श्राद्ध, पिंडदान, पवित्र नदियों में स्नान व तर्पण आदि पुण्य काम किया जा सकता है।
Updated on:
07 Sept 2025 09:30 pm
Published on:
07 Sept 2025 09:29 pm