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सितंबर माह में कॉलेजों में कराना था चुनाव, अब तक जारी नहीं हुई तिथि

विभाग ने शैक्षणिक कैलेंडर में जारी किया था जिक्र, आठ साल से नहीं हुए चुनाव

come first get first admission empty seats PM College of Excellence guna mp news
come first get first admission empty seats PM College of Excellence guna mp news (फोटो- pgcollegeguna.in website)

सिवनी. कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव को लेकर अब तक शासन या फिर उच्च शिक्षा विभाग की तरफ से कोई घोषणा नहीं की गई है। वहीं दूसरी तरफ हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी मई माह में उच्च शिक्षा विभाग ने जारी किए गए शैक्षणिक कैलेंडर में सितंबर माह में छात्रसंघ गठन का जिक्र करते हुए तिथि निर्धारित की थी। जबकि सितंबर माह बीतने में अब महज सात दिन शेष रह गए हैं। बता दें कि पिछले आठ सालों से कॉलेजों में प्रत्यक्ष या फिर अप्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव नहीं हुए हैं। ऐसे में छात्रों को उनका प्रतिनिधि नहीं मिल पा रहा है। शैक्षणिक कैलेंडर में जिक्र होने से एक बार फिर विद्यार्थियों को छात्रसंघ चुनाव की उम्मीद जगी थी, लेकिन इस बार भी संभवत: उन्हें मायूस होना पड़ेगा। चुनाव न होने की वजह से विद्यार्थियों की आवाज न केवल स्थानीय स्तर पर दबकर रह जा रही है बल्कि कई मुद्दे ऐसे हैं जिनका शोर सरकार तक नहीं पहुंच पा रहा है।

विद्यार्थियों से हर वर्ष ले रहे फीस
कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव के नाम पर हर सत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों से वन टाइम छात्रसंघ और सदस्यता शुल्क वसूला जा रहा है। शुल्क देने के बावजूद चुनाव नहीं कराए जा रहे हैं। सरकार ने अभी तक ने छात्रसंघ चुनाव को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं की है। जबकि वर्ष 2023 में मध्यप्रदेश में नई सरकार के गठन के बाद डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने से विद्यार्थियों में नई आस जगी थी। दरअसल जब वे उच्च शिक्षा विभाग मंत्री थे तो उन्होंने चुनाव कराने की बात कही थी, लेकिन मुख्यमंत्री बनने के बाद इस पर कोई निर्णय नहीं लिया।

समस्याओं की लिस्ट लंबी
कॉलेजों में विद्यार्थियों के दाखिले, छात्रवृत्ति, परीक्षा एवं परिणाम, पेयजल व्यवस्था, अध्यापन व्यवस्था, लाइब्रेरी सहित अन्य कई समस्या रहती हैं। प्रतिनिधि न होने से विद्यार्थी अपनी बात किसी से कह नहीं पाते। प्रतिदिन विद्यार्थियों की समस्याओं की लिस्ट लंबी होती जा रही है। आए दिन विद्यार्थी कभी राजा शंकर शाह विश्वविद्यालय तो कभी कॉलेजों की कार्यप्रणाली से परेशान हो रहे हैं। विद्यार्थियों को प्रतिनिधि की जरूरत है, जो उनकी बात समय-समय पर जिम्मेदारों तक रखकर निदान करा सकें।

हर वर्ष शैक्षणिक कैलेंडर में होता है जिक्र
आठ साल पहले कॉलेजों में छात्रसंघ चुनाव कराए गए थे। इसके बाद से मामला ठंडे बस्ते में है। शासन विद्यार्थियों को उनका प्रतिनिधि देने को तैयार नहीं है। ऐसे में राजनीति की पहली सीढ़ी कहे जाने वाले छात्र संघ चुनाव की मांग भी मंद पड़ चुकी है।

छात्र राजनीति से ही उठकर बने बड़े लीडर
राजनीति में पृष्ठभूमि तलाशने वाले छात्रों के लिए छात्र संघ चुनाव अहम होते हैं। ऐसे में यह चुनाव उनके भविष्य का भी फैसला करते हैं। छात्र नेताओं का कहना है कि इन सबको देखते हुए छात्र संघ चुनाव जल्द से जल्द कराया जाए। छात्र राजनीति से जुडऩे के बाद ही देश को कई बड़े नेता मिले हैं, लेकिन यह बात सरकार भूल जा रही है।

वर्ष 2017 में हुए थे चुनाव
कॉलेज में पहले प्रत्यक्ष प्रणाली से चुनाव हुआ करते थे। इसी प्रणाली से राजनीति के क्षेत्र में कई चर्चित चेहरे आए हैं। धीरे-धीरे चुनाव नेताओं के प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गए और उपद्रव होने लगे। ऐसे में कॉलेज में चुनाव होने बंद हो गए। वर्ष 2017 में शिवराज सरकार ने छात्र संघ चुनाव अप्रत्यक्ष प्रणाली से कराए थे। कॉलेज में ही मेरिट के आधार पर युवा नेताओं को चुना गया।

छात्रसंघ चुनाव के लिए तैयार दोनों संगठन
अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद एवं एनएसयूआइ दोनों ही छात्र संगठन भले ही अन्य मुद्दों पर एक दूसरे के विरोध में हों, लेकिन छात्रसंघ चुनाव के मुद्दे पर एक हैं। दोनों ही युवा इकाई के नेता चाहते हैं कि वह भी राजनीति में बेहतर मुकाम पाएं।