
सूनी पड़ी अमरूद मंडी। फोटो: पत्रिका
सवाईमाधोपुर। कभी चकचैनपुरा की अमरूद मंडी में कदम रखते ही शोर-गुल, खरीदारों की आवाजाही और ट्रकों की लोडिंग से पूरा इलाका जीवंत हो उठता था। सुबह से देर रात तक मंडी में गहमागहमी रहती थी। किसानों की उम्मीदें, आड़तियों, व्यापारियों की सौदेबाजी और मजदूरों की रोजी-रोटी सब इसी मंडी से जुड़ी रहती थी। लेकिन इस बार नजारा बिल्कुल उलट है।
इस मंडी में अब सन्नाटा पसरा है। प्लेटफॉर्म खाली पड़े हैं, गाड़ियां गायब हैं और ठेकेदारों की गिनती उंगलियों पर सिमट गई है। जबकि यहां हर साल हजारों क्विंटल अमरूद की आवक होती थी। ऐसे में मंडी में पसरे सन्नाटे से कारोबारियों के चेहरे पर मायूसी साफ झलक रही है। मंडी में अमरूद का थोक भाव मात्र 25 रुपए प्रति किलो है। वहीं, शहर के बाजारों में यही अमरूद 50 रुपए प्रति किलो तक बिक रहा है।
फसल नष्ट होने से किसानों की मेहनत पर पानी फिर गया है, व्यापारियों का कारोबार ठप हो गया है और उपभोक्ताओं को बाजार में महंगे दाम चुकाने पड़ रहे हैं। जानकारों के अनुसार इस बार सवाईमाधोपुर जिले में अतिवृष्टि से दो दर्जन से अधिक गांवों में अमरूदों के बगीचे जड़ सहित नष्ट हो गए थे। जिले में बाढ़ से 470 हेक्टेयर में अमरूदों के बगीचों में नुकसान हुआ है। बगीचे नष्ट होने से इस बार अमरूद मंडी में भी आवक नगण्य रह गई है। यही कारण है कि ठेकेदारों और व्यापारियों को भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। दूर-दूर मंडी में सूनापन नजर आ रहा है।
पिछले सालों में यहां से दिल्ली, उत्तर प्रदेश और अन्य शहरों में गाड़ियों से अमरूद भेजे जाते थे। प्लेटफॉर्म पर ठेकेदारों की भीड़ रहती थी और लोडिंग वाहन लगातार चलते रहते थे। लेकिन इस बार स्थिति इतनी खराब है कि दोनों प्लेटफॉर्म पर केवल दो ही ठेकेदार मौजूद हैं। वहीं लोडिंग वाहन भी इक्के-दुक्के ही नजर आ रहे हैं।
इस बार अमरूदों की आवक नहीं होने से अमरूद मंडी में आढ़तियों की रोजी-रोटी पर संकट आ गया है। आढ़ती शरीफ खान, शमसेर ने बताया कि इस बार फसल खराब होने के साथ-साथ जगह-जगह कांटे लगाकर अमरूदों को मंडी तक पहुंचने से रोका जा रहा है। इससे मंडी की सप्लाई चेन टूट गई है। व्यापारियों का आरोप है कि इस वजह से सरकार को भी राजस्व का नुकसान हो रहा है।
Published on:
30 Nov 2025 01:14 pm
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