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व्यवसाय प्रबंधन विभाग का प्रभार असिस्टेंट प्रोफेसर कोदेने पर आपत्ति, कुलपति का आदेश डीन ने किया निरस्त

डॉ. हरिसिंह गौर में वरिष्ठता को दरकिनार कर शिक्षण विभाग के प्रमुख का दायित्व सौंपे जाने पर घोर आपत्ति जताई है। कुलपति वाइएस ठाकुर को डीन प्रोफेसर श्री भगवत ने शिकायती चिट्ठी लिखी है।

सागर

Reshu Jain

Sep 12, 2025

drguur
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प्रो. भगवत ने कुलपति को भेजी शिकायती चिट्ठी, नियम-अध्यादेश के पालन का पाठ पढ़ाया

सागर . डॉ. हरिसिंह गौर में वरिष्ठता को दरकिनार कर शिक्षण विभाग के प्रमुख का दायित्व सौंपे जाने पर घोर आपत्ति जताई है। कुलपति वाइएस ठाकुर को डीन प्रोफेसर श्री भगवत ने शिकायती चिट्ठी लिखी है। इसमें व्यवसाय प्रबंधन की सहायक प्रोफेसर डॉ. सुनित वालिया को विभाग प्रमुख का प्रभार सौंपने को नियम विरुद्ध बताया है। डीन होने के नाते प्रभार सौंपने के कुलपति के आदेश को निरस्त कर दिया है।

प्रो. श्री भगवत ने पत्र में कहा है कि अधिनियम और अध्यादेश के अनुसार, विभाग या केंद्र के प्रमुख को प्रोफेसरों में से, या उनकी अनुपस्थिति में एसोसिएट प्रोफेसरों में से, रोटेशन द्वारा तीन वर्ष से अधिक न होने वाली अवधि के लिए नियुक्त किया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में जहां विभाग में कोई प्रोफेसर या एसोसिएट प्रोफेसर उपलब्ध नहीं है, कुलपति उसी स्कूल या किसी अन्य से उपयुक्त प्रोफेसर को यथोचित मानकर नियुक्त कर सकते हैं। इन विनियमों के तहत एक सहायक प्रोफेसर ऐसी जिम्मेदारी के लिए पात्र नहीं है।

लिखा-आप कुलपति के प्रभार में इसलिए
किसी कार्यकारी प्रमुख की जरूरत नहीं है

प्रो. भगवत ने सीधे कुलपति को संबाेधित करते हुए लिखा कि आप विभाग के स्थायी प्रमुख हैं और वर्तमान में प्रभारी कुलपति के रूप में सेवा कर रहे हैं। विश्वविद्यालय में मौजूद हैं (स्टेशन छुट्टी पर नहीं), इसलिए कार्यकारी प्रमुख की कोई आवश्यकता नहीं है। फिर भी परिस्थितियों, जिम्मेदारियों के अस्थायी प्रतिनिधित्व की आवश्यकता है तो जिम्मेदारी विभाग के सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर को वरिष्ठता के सिद्धांतों और विश्वविद्यालय के अध्यादेश के अनुरूप सौंपी जानी चाहिए, ताकि अनुपालन सुनिश्चित हो और प्रशासनिक अखंडता बनाए रखी जा सके।

मैं सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर के तौर
पर जिम्मेदारी संभालने तैयार

प्रो. भगवत ने खुद को व्यवसाय प्रबंधन विभाग में सबसे वरिष्ठ प्रोफेसर बताते हुए लिखा कि मैं आवश्यकता पडऩे पर ऐसी जिम्मेदारियां संभालने के लिए तैयार हूं। उन्होंने पत्र में कहा कि इस अनियमित नियुक्ति को तुरंत निरस्त किया जाए और कोई भी भविष्य की कार्रवाई विश्वविद्यालय के नियमों और विनियमों का सख्ती से पालन करे। इस आपत्ति की पावती दें और सुधारात्मक उपायों की पुष्टि प्रदान करें।