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मप्र में प्रति हजार प्रसव हो जाती हैं 43 नवजात की मौतें, यह आंकड़ा देश में सबसे अधिक

विश्व निमोनिया दिवस पर स्वास्थ्य विभाग और आइएमए का कार्यक्रम सागर. विश्व निमोनिया दिवस पर बच्चों और शिशुओं में निमोनिया प्रबंधन और शिशु मृत्यु दर कम करने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुरई में कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह आयोजन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और स्वास्थ्य विभाग सागर के संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर डॉ. जगदीश माहेश्वरी […]

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सागर

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Nitin Sadaphal

Nov 14, 2025

विश्व निमोनिया दिवस पर स्वास्थ्य विभाग और आइएमए का कार्यक्रम

सागर. विश्व निमोनिया दिवस पर बच्चों और शिशुओं में निमोनिया प्रबंधन और शिशु मृत्यु दर कम करने सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खुरई में कार्यक्रम आयोजित हुआ। यह आयोजन इंडियन मेडिकल एसोसिएशन और स्वास्थ्य विभाग सागर के संयुक्त रूप से किया। इस मौके पर डॉ. जगदीश माहेश्वरी ने बताया कि निमोनिया दुनियाभर में 5 साल से कम उम्र के बच्चों की मौत का सबसे बड़ा कारण है। भारत में हर साल 1.27 लाख से ज्यादा बच्चों की निमोनिया से अकाल मौत हो जाती है। क्षेत्रीय संचालक डॉ. नीना गिडियन ने बताया कि मप्र में नवजात शिशुओं की मृत्यु एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। नए आंकड़ों के अनुसार राज्य में प्रति 1000 जीवित जन्म पर 43 शिशु मृत्यु दर्ज की गई। जो राष्ट्रीय औसत 25 प्रति 1000 से दोगुना है। शिशु मृत्यु दर में मप्र देश में शीर्ष पर है। इसका प्रमुख कारण समय से पहले जन्म, निमोनिया और जन्म के समय कम वजन पाया गया है।

वैक्सीन फ्री में उपलब्ध

आइएमए अध्यक्ष डॉ. तल्हा साद ने बताया कि मप्र में 15 प्रतिशत आइएमआर में कमी आने के लिए न्यूमोकोकल कन्ज्यूगेट वैक्सीन सरकार की ओर से फ्री दी जाती है। इसके अतिरिक्त स्तनपान, पोषण और स्वच्छता से मजबूत इम्यूनिटी अहम भूमिका निभा सकते हैं। बच्चों के अलावा, निमोनिया बुजुर्गों के लिए घातक साबित होता है। 65 प्लस बुजुर्ग मरीजों में निमोनिया से मृत्यु दर 10 से 30 और 75 प्लस में 32 प्रतिशत तक हो सकती है। पुरानी बीमारियां जोखिम बढ़ाती हैं। कार्यक्रम में सचिव डॉ. रोशी जैन, डॉ. अरविंद सराफ, डॉ. विश्वास सप्रे, डॉ. सुशीला यादव, डॉ. शेखर श्रीवास्तव, डॉ. रामजी ठाकुर, डॉ. शहनाज मौजूद रहे।