
Azam Khan jail release west up political impact: सपा के वरिष्ठ नेता आजम खान मंगलवार दोपहर 23 महीने बाद सीतापुर जेल से रिहा हो गए। उनकी रिहाई ऐसे समय हुई है, जब सभी राजनीतिक दल 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटे हैं। राजनीतिक विशेषज्ञ मान रहे हैं कि आजम खान की जेल से रिहाई वेस्ट यूपी के राजनीतिक समीकरणों को बदल सकती है।
राजनीतिक गलियारों में चर्चा है कि आजम जल्द ही बहुजन समाज पार्टी (बसपा) से जुड़ सकते हैं। हालांकि, आजम खान की ओर से अभी तक इसका कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। पिछले कुछ महीनों में आजम खान और सपा के बीच तल्खी की खबरें सामने आई हैं, जिससे पश्चिमी यूपी में राजनीतिक दल अपने-अपने रणनीतिक समीकरण साधने में जुट गए हैं।
कुछ राजनीतिक विश्लेषक मान रहे हैं कि आजम खान की रिहाई के पीछे भाजपा और आजम के बीच कोई हिडन पैक्ट हो सकता है। अगर आजम खान बसपा में शामिल होते हैं, तो वेस्ट यूपी में मुस्लिम वोट बंट सकते हैं। इससे सपा को नुकसान और भाजपा को फायदा हो सकता है।
BJP प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र सिंह चौधरी कहते हैं, "आजम खान लंबे समय बाद जेल से बाहर आए हैं। यह कोर्ट का फैसला है। सरकार का इसमें कोई रोल नहीं है। अब देखना होगा कि उनका अगला कदम क्या होगा। अगर बसपा में जाते हैं और वेस्ट यूपी में दलित-मुस्लिम एक मंच पर आते हैं, तो यह हमारी नजर में चिंता का विषय होगा।"
भाजपा के लिए एक और चुनौती यह है कि अगर आजम खान बसपा में शामिल होते हैं, तो वेस्ट यूपी में दलित और मुस्लिम वोट एक मंच पर आ सकते हैं। इसी राजनीतिक समीकरण पर कभी मायावती ने यूपी में राज किया था। भाजपा इस संभावना को रोकने के लिए सावधानी से कदम उठा रही है।
कांग्रेस अल्पसंख्यक मोर्चा के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मोहम्मद अहमद खान कहते हैं, "अगर आजम खान सपा में रहते हैं, तो सपा को मजबूती मिलेगी। अगर बसपा में जाते हैं, तो बसपा को बड़ा फायदा होगा। वहीं, अगर कांग्रेस में शामिल होते हैं, तो पश्चिमी यूपी में कांग्रेस को ताकत मिल सकती है।"
मुरादाबाद से सपा सांसद रुचि वीरा ने कहा, "आजम खान सपा के संस्थापक सदस्य हैं और पार्टी को अपने खून-पसीने से सींचा है। मुझे नहीं लगता कि वह बसपा में जाएंगे। अखिलेश यादव उनका सम्मान करते हैं और उनका अगला कदम पार्टी के हित में होगा।"
डॉ. ST हसन कहते हैं, "आजम और मायावती के मिजाज में समानता नहीं है। इसलिए मुझे नहीं लगता कि वह बसपा में शामिल होंगे। वह सपा के सीनियर लीडर हैं और पार्टी में उनकी अहमियत बहुत है।"
पूर्व मंडल कोऑर्डिनेटर सुनील कुमार आजाद कहते हैं, "भाजपा ऐसे ही आजम खान को जेल से रिहा नहीं करती। सरकार और आजम खान के बीच कोई खिचड़ी पकी है। चुनाव के समय यह रिहाई किसी मकसद के तहत हुई हो सकती है। बसपा में शामिल होने या कांग्रेस में जाने के विकल्प उनके सामने हैं।"
चाहे आजम खान कहीं भी जाएं, उनकी जेल से रिहाई वेस्ट यूपी की सियासत में बड़ा उलटफेर करेगी। आगामी चुनावों के दौरान उनका अगला कदम राजनीतिक दलों की रणनीति पर गहरा असर डाल सकता है।
Published on:
23 Sept 2025 06:44 pm

