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राजस्थान को वो किला जो रात में सोने जैसा दमकता है, अब दुनिया की है इस पर नजरें

Kumbhalgarh Fort : बीते कुछ वर्षों में कुंभलगढ़ की पहचान सिर्फ राजस्थान या भारत तक सीमित नहीं रही। रात की नीरवता में जब किले की दीवारें सुनहरी रोशनी से नहाती हैं, तो ऐसा लगता है मानो सदियों पुरानी कहानियां दरारों से झांककर फिर से सांस लेने लगी हों। जानें इतना क्यों है मशहूर कुंभलगढ़ किला।

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Rajasthan Kumbhalgarh The fort that turns to gold at night Now world is watching it

कुंभलगढ़ दुर्ग अपनी भव्यता, विशाल प्राचीरों और समृद्ध इतिहास के लिए दुनिया भर में हो रहा मशहूर। फोटो पत्रिका

Kumbhalgarh Fort : अरावली की ऊंची पहाड़ियों पर पसरा वह दुर्ग, जिसकी प्राचीरें इतिहास के अनगिनत अध्यायों को अपने सीने में समेटे चुपचाप खड़ी रहती हैं। कभी मेवाड़ की ढाल रहा यह किला, आज दुनिया के लिए एक ऐसा जादुई मंच बन चुका है, जहां इतिहास, प्रकृति, रचनात्मकता एक साथ जीवंत हो उठते हैं। बीते कुछ वर्षों में कुंभलगढ़ की पहचान सिर्फ राजस्थान या भारत तक सीमित नहीं रही यह अब वैश्विक यात्राओं के मानचित्र पर चमकता हुआ नया सितारा बनकर उभरा है।

रात की नीरवता में जब किले की दीवारें सुनहरी रोशनी से नहाती हैं, तो ऐसा लगता है मानो सदियों पुरानी कहानियां दरारों से झांककर फिर से सांस लेने लगी हों। जंगलों की गहराई, पहाड़ों की ठंडक, और किलेबंदी की विशालता हर उस व्यक्ति पर गहरी छाप छोड़ती है, जो रचनात्मक दृष्टि से दुनिया को देखता है।

कैमरों में कैद हो रहा नया कुंभलगढ़

विश्वभर से आए रचनाकार फिल्ममेकर, फोटोग्राफर, इंस्टाग्राम क्रिएटर्स और यूट्यूबर्स कुंभलगढ़ की प्राचीरों, दीवारों और रात्रिकालीन रोशनी के प्रदर्शन को नए नजरिए से दुनिया के सामने ला रहे हैं। किले की प्राचीन दीवारों पर दौड़ता प्रकाश, पहाड़ी हवा में बहती शांति और गलियों में बिखरे इतिहास के निशान, कैमरों में कैद होकर लघु वीडियो, ट्रैवल व्लॉग और फोटोग्राफी श्रृंखलाओं के रूप में वैश्विक मंचों पर वायरल हो रहे हैं। इन रील्स और वीडियो ने कुंभलगढ़ को सिर्फ पर्यटन स्थल नहीं, बल्कि एक रचनात्मक प्रेरणा केंद्र में बदल दिया है।

स्थानीय व्यवसाय को मिला नया जीवन

स्थानीय पर्यटन व्यवसायी बिशन सिंह राणावत बताते हैं कि पिछले कुछ महीनों में पर्यटकों की संख्या में अभूतपूर्व वृद्धि हुई है। वहीं होटल संघ के अध्यक्ष भरतपाल सिंह शेखावत कहते हैं कि रचनाकारों की लगातार बढ़ती आवाजाही ने सप्ताहांत में लगभग सभी आवास स्थलों को पूरी तरह भर दिया है। यानी डिजिटल माध्यमों से फैली लोकप्रियता ने स्थानीय अर्थव्यवस्था में नई ऊर्जा भर दी है। होटल, रिसॉर्ट, होमस्टे से लेकर आसपास के बाज़ार, जंगल सफारी सेवाएं, स्थानीय गाइड और हस्तशिल्प से जुड़े छोटे दुकानदार-हर किसी की आय में सीधा लाभ देखने को मिला है।

राणावत बताते हैं कि दुनियाभर के रचनाकार कुंभलगढ़ की पहचान को नई मजबूती दे रहे हैं। पर्यटन और आवास व्यवसाय तो बढ़ ही रहा है, साथ ही स्थानीय संस्कृति और उद्योगों को भी नई उड़ान मिली है।

डिजिटल मंचों पर कुंभलगढ़ छाया

इंस्टाग्राम के प्रभावशाली रचनाकार जो तात्कालिक संदेश मंच पर अपनी पहुंच के लिए जाने जाते हैं। कुंभलगढ़ की नई दृश्यात्मक कहानियों को विश्व तक पहुंचा रहे हैं। यूट्यूब पर यात्रा-व्लॉगर्स भी इसे “भारत का अनदेखा खजाना” या “द ग्रेट वॉल ऑफ इंडिया” के रूप में प्रस्तुत कर रहे हैं। ट्रैवल एजेंटों और अंतरराष्ट्रीय यात्रा योजनाकारों की नजर में भी कुंभलगढ़ अब एक हाई-डिमांड गंतव्य बन चुका है।

भविष्य का संभावित वैश्विक आइकॉन

पर्यटन विशेषज्ञों के अनुसार, यदि यही रुझान जारी रहा तो आने वाले वर्षों में कुंभलगढ़ का नाम उन उच्च स्तरीय वैश्विक यात्रा स्थलों की सूची में शामिल हो सकता है, जिन्हें दुनियाभर के पर्यटक अपनी लाइफटाइम-लिस्ट में रखते हैं।

कुंभलगढ़ की खूबी सिर्फ इसके भव्य किले में नहीं, बल्कि उस अनुभव में है, जो यह हर आगंतुक को देता है। एक ऐसा अनुभव जिसमें इतिहास की फुसफुसाहट है, प्रकृति की शांति है, और आधुनिक दुनिया की रचनात्मकता का स्पर्श है। और यही वजह है कि आज कुंभलगढ़ सिर्फ एक गंतव्य नहीं, बल्कि एक वैश्विक यात्रा कहानी बन चुका है जो हर नए आगंतुक के कैमरे और शब्दों में फिर से लिखी जा रही है।

जानें इतना क्यों मशहूर है कुंभलगढ़ किला

राजस्थान में एक मशहूर किला है कुंभलगढ़। कुंभलगढ़ किले की दीवार 36 किमी लंबी व करीब 15 फीट चौड़ी हैं। ग्रेट वॉल ऑफ चाइना के बाद इस दीवार का नाम दर्ज है। इस किले का निर्माण 15वीं शताब्दी में राणा कुंभा ने कराया था। कुम्भलगढ़ किले में ही मेवाड़ के प्रतापी राजा महाराणा प्रताप का जन्म हुआ था। वर्ष 2013 में इस किले को यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल घोषित किया गया था। कुंभलगढ़ घूमने का सही समय अक्टूबर से मार्च महीने के बीच है।