
राजसमंद. नगर परिषद द्वारा ठोस कचरा निस्तारण व्यवस्था को सुचारू रूप से चलाने के लिए किए जा रहे प्रयास लगातार बाधित हो रहे हैं। ट्रेचिंग ग्राउंड में कचरा निस्तारण का काम बंद होने के बाद नगर परिषद ने संबंधित फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया है, लेकिन इसके बावजूद स्थायी समाधान अब तक नहीं निकल पाया है। स्थिति यह है कि हर बार पूछे जाने पर अधिकारी सिर्फ इतना भर कहते हैं कि “टेंडर किया जा रहा है।उधर, लंबे समय से काम ठप होने के कारण ट्रेचिंग ग्राउंड और आसपास के इलाकों में कचरे के बड़े ढेर फिर से बनने लगे हैं, जिससे स्थानीय लोगों में नाराज़गी बढ़ती जा रही है।
जानकारी के अनुसार नगर परिषद ने गुर्जरों का गुड़ा स्थित ट्रेचिंग ग्राउंड का शुभारंभ 15 अक्टूबर 2016 को किया था। सरकार ने 2018 में ठोस कचरा निस्तारण के लिए टेंडर जारी किया और 2019 में यह ठेका जयपुर की एक फर्म को मिला। कोविड-19 आने के बाद काम रुका और जनवरी 2021 में इसी फर्म को 20 साल का नया ठेका डीएलबी के माध्यम से दिया गया। जनवरी 2022 में फर्म ने काम शुरू किया और पुराने जमा कचरे का निस्तारण कर आरडीएफ व कम्पोस्ट तैयार किया। आरडीएफ सीमेंट फैक्ट्रियों को भेजना था और कम्पोस्ट के लिए नगर परिषद ने अलग टेंडर जारी किए। लेकिन फर्म द्वारा आरडीएफ नहीं उठाए जाने से स्थिति बिगड़ी और अंततः नगर परिषद ने फर्म को ब्लैकलिस्ट कर दिया। इसके बाद परिषद स्वयं कम्पोस्ट का उपयोग कर रही है। फर्म फरवरी 2024 तक काम करती रही, बाद में मोटर चोरी होने और अन्य तकनीकी कारणों के चलते काम फिर बंद हो गया। कुछ समय बाद काम दोबारा शुरू हुआ, लेकिन फर्म ने फिर से हाथ खींच लिया। कई नोटिस देने पर भी फर्म ने कार्य प्रारंभ नहीं किया, जिसके बाद उसे ब्लैकलिस्ट कर नया टेंडर जारी कर दिया गया।
इस परियोजना का टेंडर स्वायत्त शासन विभाग की ओर से किया गया था, जिसमें वीजीएफ (वैल्यू गैप फंडिंग) का भुगतान सरकार द्वारा किया जाना था। करीब 1.35 करोड़ रुपए की प्रथम किस्त जारी होनी थी, लेकिन भुगतान नहीं हुआ। नगर परिषद द्वारा कई बार पत्र लिखने के बावजूद कोई समाधान नहीं मिला, जिससे फर्म का संचालन प्रभावित हुआ।
ठेका मिलने के बाद फर्म को कचरा छंटाई के लिए एक बड़ा शेड बनाना था, लेकिन वह निर्माण भी अधूरा ही रहा। केवल लोहे के पिलर लगे हुए हैं। नगर परिषद ने ट्रेचिंग ग्राउंड की क्षतिग्रस्त चारदीवारी जरूर दुरुस्त करवाई, लेकिन कचरा निस्तारण की मशीनें खराब हो चुकी हैं। वर्तमान में केवल कचरे को लेवल करने का काम किया जा रहा है। इसी कारण कचरे के ‘पहाड़’ फिर से खड़े होने लगे हैं।
राजसमंद शहर से हर दिन करीब 28 टन कचरा निकलता है, जिसे ट्रेचिंग ग्राउंड में भेजा जाता है। यहां गीले कचरे से कम्पोस्ट और सूखे कचरे से आरडीएफ बनता है। लेकिन सीमेंट कंपनियों की रुचि कम होने से आरडीएफ उठ नहीं पा रहा है, जिसके कारण यहां बड़े पैमाने पर आरडीएफ का अम्बार लग चुका है।
कचरा निस्तारण फर्म और नगर परिषद कर्मचारियों की अनदेखी के कारण ट्रेचिंग ग्राउंड के बाहर दोनों तरफ फिर से कचरे के ढेर लग रहे हैं। फर्म के कर्मचारियों का कहना है कि कचरा स्थानीय लोगों ने डाला, लेकिन कचरे की प्रकृति देखकर साफ अंदाजा लगता है कि नगर परिषद या ठेकेदार के कर्मचारी ही सड़क पर कचरा डालकर जा रहे हैं। इसके बावजूद इस ओर ध्यान नहीं दिया जा रहा है।
कचरा निस्तारण के लिए तीन बार टेंडर जारी हो चुके हैं, लेकिन कड़े नियमों के कारण कोई फर्म आगे नहीं आई। अब चौथी बार टेंडर प्रक्रिया शुरू की गई है। इसे पूरा होने में करीब दो से ढाई महीने लगेंगे।
इस बार शर्तों में बदलाव किया है—
कचरा निस्तारण केन्द्र को लेकर अब फिर से टेंडर आमंत्रित किए गए हैं। शर्तों में कुछ बदलाव किया गया है। इसमें वीजीएफ के साथ अब प्रोसेसिंग का चार्ज भी संबंधित फर्म को दिया जाएगा। करीब दो ढाई माह में कचरा निस्तारण की प्रक्रिया को शुरू कर दिया जाएगा।
तरूण बाहेती, अधिशासी अभियंता, नगरपरिषद, राजसमंद
Published on:
19 Nov 2025 11:35 am

