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हटाजी का गुड़ा : विकास की राह में अटके गांव के सपने, अनदेखी बनी परेशानी

ग्राम पंचायत मानावतो का गुड़ा का राजस्व गांव हटाजी का गुड़ा करीब 600 घरों की आबादी वाला बड़ा बस्ती क्षेत्र है।

charbhuja News
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चारभुजा. ग्राम पंचायत मानावतो का गुड़ा का राजस्व गांव हटाजी का गुड़ा करीब 600 घरों की आबादी वाला बड़ा बस्ती क्षेत्र है। मगर इस जनसंख्या के बावजूद गांव विकास की मुख्यधारा से कोसों दूर है। पानी, सड़क, श्मशान घाट और शिक्षा जैसी मूलभूत सुविधाओं की कमी ने ग्रामीणों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। गांववासियों ने विधायक सुरेंद्र सिंह राठौड़, शिक्षा विभाग व पंचायत को पत्र लिखकर अपनी पीड़ा बताई। राजेश मेघवाल और भरत कुमार का कहना है कि गांव में चार बोरवेल खोदे गए, पाइपलाइन भी बिछाई गई, लेकिन आज तक घरों तक पानी पहुंचाने की व्यवस्था नहीं हुई। नतीजतन ग्रामीण कई वर्षों से बूंद-बूंद पानी के लिए तरस रहे हैं।

श्मशान घाट पर भेदभाव और खतरनाक रास्ता

गांव में राजपूत, रावणा राजपूत, बलाई और भील समुदाय के लोग रहते हैं। पंचायत ने केवल एक जाति विशेष के लिए श्मशान घाट पर टीन शेड लगा दिया, लेकिन अन्य समुदायों के लिए यह सुविधा आज तक उपलब्ध नहीं कराई गई। यही नहीं, सभी जातियों के श्मशान घाट का रास्ता गोमती नदी से मिलते नाले से होकर गुजरता है। बरसात में नाले में तेज बहाव आने पर शवयात्रा घंटों तक अटक जाती है। ग्रामीणों ने श्मशान घाट तक सीसी रोड और टीन शेड की मांग की है।

सड़क पर अधूरी पुलिया, सफर में बाधा

झीलवाड़ा बस स्टैंड से हटाजी का गुड़ा तक की सड़क पर बना नाला हर साल बरसात में उफन पड़ता है। कुछ समय पहले पुलिया और सड़क बह गई थी, लेकिन सार्वजनिक निर्माण विभाग ने केवल पाइप डालकर खानापूर्ति कर दी। नतीजतन यह रास्ता आज भी टूटा पड़ा है और वाहनों का आना-जाना मुश्किल बना हुआ है। यही रास्ता झीलवाड़ा में पढ़ने जाने वाले विद्यार्थियों और दूधतलाई के जलझूलनी मेले में आने-जाने वाले हजारों श्रद्धालुओं का प्रमुख मार्ग है। पुल निर्माण का बजट स्वीकृत होने के बावजूद काम फाइलों में ही दबा हुआ है।

जर्जर विद्यालय भवन, बच्चों की शिक्षा पर संकट

गांव में एकमात्र प्राथमिक विद्यालय है जहां पहली से पांचवीं तक की कक्षाएं चलती हैं। स्कूल में केवल दो कमरे हैं और भवन की उम्र 40 साल से ज्यादा हो चुकी है। दीवारों में दरारें हैं, छत टपकती है और कभी भी हादसा हो सकता है। पंचायत ने स्कूल के लिए जमीन आवंटित कर दी थी, लेकिन शिक्षा विभाग ने अब तक नया भवन नहीं बनवाया। ग्रामीणों का कहना है कि बच्चों की पढ़ाई जर्जर ढांचे के भरोसे चल रही है, जिससे अभिभावकों में डर और चिंता बनी हुई है।

शिकायतें उठती हैं, समाधान नहीं

ग्रामीण बताते हैं कि जब भी सरकारी शिविर या जनसुनवाई होती है, वे पानी, सड़क, श्मशान घाट और स्कूल जैसी समस्याओं को नेताओं व अधिकारियों के सामने रखते हैं। मगर हर बार आश्वासन तो मिलता है, पर समाधान कभी नहीं। अब ग्रामीणों की मांग है कि प्रशासन तत्काल हस्तक्षेप कर इन समस्याओं का स्थायी समाधान करे, ताकि हटाजी का गुड़ा भी विकास की मुख्यधारा में शामिल हो सके।