
राजसमंद. राजस्थान में गर्भवती महिलाओं की सेहत को मजबूत बनाने और मातृ मृत्यु दर को घटाने के लिए चिकित्सा एवं स्वास्थ्य विभाग ने एक नई पहल की है। “एफसीएम पिंक ड्राइव” नामक इस विशेष अभियान के तहत एनीमिया (रक्ताल्पता) से ग्रस्त गर्भवती महिलाओं को एफसीएम इंजेक्शन लगाए जाएंगे। यह अभियान पूरे प्रदेश में 17 नवम्बर से 30 नवम्बर तक चलेगा। इस कार्यक्रम का उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि राजस्थान की हर गर्भवती महिला को पर्याप्त हीमोग्लोबिन स्तर मिल सके, ताकि वह सुरक्षित प्रसव और स्वस्थ मातृत्व की दिशा में आगे बढ़ सके।
अभियान के तहत एफसीएम इंजेक्शन प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों (PHC), सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्रों (CHC), उपजिला अस्पतालों और जिला चिकित्सालयों में निःशुल्क लगाए जाएंगे। चिकित्सा विभाग ने निर्देश जारी किए हैं कि इस अवधि में किसी भी पात्र गर्भवती महिला को एनीमिया की स्थिति में इंजेक्शन से वंचित न रखा जाए।
इस अभियान की विस्तृत रूपरेखा स्वास्थ्य भवन, राजसमंद में आयोजित चिकित्सा अधिकारियों के प्रशिक्षण कार्यक्रम में तय की गई। जिला प्रजनन एवं शिशु स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. सुरेश मीणा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया के प्रबंधन हेतु एफसीएम इंजेक्शन का उपयोग अत्यंत प्रभावी सिद्ध हुआ है। उन्होंने कहा, “एफसीएम इंजेक्शन मातृ एवं शिशु मृत्यु दर को नियंत्रित करने में निर्णायक भूमिका निभा सकता है। राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (NFHS-5, 2019–21) के अनुसार राजस्थान में 15 से 49 वर्ष की लगभग 54 प्रतिशत महिलाएं एनीमिया से पीड़ित हैं। ऐसे में यह अभियान समय की जरूरत है।”
डॉ. मीणा ने बताया कि गर्भवती महिलाओं में एनीमिया की स्थिति केवल थकान या कमजोरी तक सीमित नहीं रहती, बल्कि यह मां और शिशु दोनों के जीवन के लिए खतरा बन सकती है।
उन्होंने बताया कि एफसीएम इंजेक्शन से गर्भवती महिलाओं के हीमोग्लोबिन स्तर में तेजी से सुधार होता है, जिससे इन सभी जोखिमों में उल्लेखनीय कमी आती है।
एफसीएम यानी Ferric Carboxymaltose, एक अत्याधुनिक आयरन रिप्लेसमेंट इंजेक्शन है। यह शरीर में आयरन की कमी को तेजी से पूरा करता है और सामान्य मौखिक आयरन दवाओं की तुलना में अधिक प्रभावी होता है। डॉ. मीणा ने बताया कि केवल एक या दो डोज़ में हीमोग्लोबिन स्तर में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है। इसी प्रभावशीलता को देखते हुए विभाग ने इसे राज्य स्तर पर व्यापक रूप से लागू करने का निर्णय लिया है। उन्होंने कहा कि आशा कार्यकर्ता और स्वास्थ्यकर्मी अपने-अपने क्षेत्रों में एनीमिया से पीड़ित गर्भवती महिलाओं की पहचान करेंगे और उन्हें निकटतम स्वास्थ्य केंद्र तक लाएंगे, ताकि समय पर इंजेक्शन लगाया जा सके।
डॉ. मीणा ने बताया कि एफसीएम इंजेक्शन के उपयोग से अब तक प्राप्त परिणाम बेहद संतोषजनक हैं। महिलाओं में हीमोग्लोबिन का स्तर तेजी से बढ़ा है, जिससे प्रसव संबंधी जटिलताएं कम हुई हैं। हालांकि किसी भी दवा की तरह इसके कुछ सामान्य दुष्प्रभाव भी हो सकते हैं जैसे हल्का बुखार, इंजेक्शन साइट पर दर्द, या चक्कर आना। उन्होंने बताया कि ये लक्षण अल्पकालिक होते हैं और चिकित्सा निगरानी में आसानी से नियंत्रित किए जा सकते हैं।
जिला मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. हेमंत कुमार बिंदल ने प्रशिक्षण के दौरान सभी चिकित्सा अधिकारियों को निर्देश दिए कि वे अपने क्षेत्र में आशा व स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं के सहयोग से एफसीएम इंजेक्शन के पात्र गर्भवती महिलाओं की सूची तैयार करें और सुनिश्चित करें कि हर पात्र महिला तक यह सुविधा पहुंचे। उन्होंने कहा कि एफसीएम पिंक ड्राइव को सफल बनाना हम सभी की सामूहिक जिम्मेदारी है, क्योंकि यह अभियान न केवल एक स्वास्थ्य पहल है, बल्कि भावी पीढ़ी की सुरक्षा से जुड़ा मिशन है।”
प्रशिक्षण कार्यक्रम में फिजिशियन डॉ. बी.एल. कुमावत, जिला नोडल अधिकारी विनीत दवे सहित कई वरिष्ठ चिकित्सक और स्वास्थ्य अधिकारी मौजूद रहे। अंत में सभी अधिकारियों ने 17 से 30 नवम्बर तक चलने वाली एफसीएम पिंक ड्राइव को प्रभावी रूप से संचालित करने और अधिकतम लाभार्थियों तक पहुंच सुनिश्चित करने का संकल्प लिया।
Published on:
10 Nov 2025 03:05 pm

