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15 लाख की मरम्मत पर ‘रिसाव’ का ग्रहण, एनिकट दो हफ्ते में ही खाली, ग्रामीण बोले तकनीकी खामी की भेंट चढ़ा जीर्णोद्धार

क्षेत्र की गलवा ग्राम पंचायत में स्थित प्रसिद्ध काबरी महादेव मंदिर के पास चंद्रभागा नदी पर बना एनिकट (छोटा बांध) अब फिर चर्चा का विषय बना हुआ है।

Anicut News
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योगेश श्रीमाली

कुंवारिया. क्षेत्र की गलवा ग्राम पंचायत में स्थित प्रसिद्ध काबरी महादेव मंदिर के पास चंद्रभागा नदी पर बना एनिकट (छोटा बांध) अब फिर चर्चा का विषय बना हुआ है। लाखों रुपए खर्च कर हाल ही में कराए गए जीर्णोद्धार के बावजूद, बारिश का पानी इस एनिकट में पखवाड़े भर भी नहीं ठहर सका। ग्रामीणों का कहना है कि निर्माण में तकनीकी खामी के चलते लाखों रुपए "पानी में बह गए", वहीं सरपंच का दावा है कि "कार्य अधूरा था और तेज बहाव ने नुकसान पहुंचाया"।

पंद्रह लाख रुपए का जीर्णोद्धार पर सार्थकता नहीं निकली

गलवा पंचायत के ग्रामीणों के अनुसार, काबरी महादेव मंदिर के सामने चंद्रभागा नदी पर यह एनिकट करीब साढ़े तीन दशक पहले बनाया गया था। इस वर्ष जलग्रहण योजना के तहत इसका जीर्णोद्धार कार्य करिबन पंद्रह लाख रुपए की लागत से कराया गया। ग्रामीणों की उम्मीद थी कि इस बार वर्षा का पानी इस एनिकट में महीनों तक ठहरेगा तो मंदिर परिसर काफी अधिक सुहाना लगेगा वही भुगर्भ जल का स्तर बढने से पेयजल व सिचाई के दौरान राहत मिलेगी। लेकिन हकीकत इससे बिल्कुल उलट निकली। बारिश खत्म हुए मात्र पखवाड़ा ही बीता था कि एनिकट का पानी एकदम से गायब हो गया। अब एनिकट का पैंदा सूखकर फिर से दिखाई देने लगा है।

ग्रामीण बोले ऐसा निर्माण क्या कराया कि एनिकट रिता रह गया

ग्रामीण सोनू कुमार सेन, लालूराम कुमावत, शंभू गिरी गोस्वामी, रतनलाल गायरी, कैलाशचंद्र गोस्वामी, धनराज गाडरी, जीएसएस गलवा अध्यक्ष कैलाश श्रीमाली और मुकेश पुरी गोस्वामी आदि ने बताया कि इतने वर्षों बाद पहली बार नदी में भरपूर पानी आया था, एनिकट लबालब हो गया था, लेकिन देखते ही देखते पानी रिसने लगा। पंद्रह दिन भी नहीं बीते और पूरा एनिकट खाली हो गया। अगर मरम्मत पुरी समझदारी व ईमानदारी से होती, तो यह स्थिति नहीं आती। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि एनिकट के निर्माण में आवश्यक मोनिटरिंग व तकनीकी पर विशेष ध्यान दिया जाता तो एनिकट की तली से पानी नहीं रिसता रहता।

पानी का ठहराव क्यों जरूरी है

इस क्षेत्र में चंद्रभागा नदी स्थायी जल स्रोत मानी जाती थी, पर पिछले डेढ़ दशक से नदी में स्थायी बहाव नहीं रहा। इस कारण एनिकट कई वर्षों से सूखा पड़ा था। इस बार मानसून के दौरान अच्छी बारिश हुई, जिससे नदी में बहाव आया और एनिकट भर गया था। ग्रामीणों का कहना है कि अगर पानी टिक जाता, तो काबरी महादेव मंदिर के सामने स्थित लबालब भरा हुआ एनिकट दर्शनार्थियों को काफी सकुन देता वही भूमिगत जलस्तर बढाने और पशु-पक्षियों के लिए बड़ा सहारा बन सकता था। लेकिन मात्र दो हफ्ते में पानी के बह जाने से काबरी महादेव मंदिर में पहुचने वाले श्रद्वालुओं व ग्रामीणों के बीच नाराजगी और निराशा बढ़ गई है।

सरपंच बोलीं:- कार्य अधूरा था, जल्द करेंगे सुधार "

इस संबंध में गलवा ग्राम पंचायत की सरपंच माया सोनी ने बताया कि एनिकट की साइड वॉल का कार्य चल ही रहा था कि अचानक तेज बारिश से नदी में बहाव शुरू हो गया। अधूरे काम के कारण पानी साइड वॉल से रिसकर निकल गया। अब जब नदी का बहाव थम गया है, तो हम स्थायी समाधान के लिए साइड वॉल के अधुरे निर्माण का कार्य को शिघ्र पुरा करवाएंगे।

ग्रामीणों की मांग: तकनीकी विशेषज्ञों की मार्गदर्शन में फिर से करें मरम्मत

ग्रामीण अब प्रशासन से मांग कर रहे हैं कि एनिकट की सुव्यवस्थित मरम्मत दोबारा की जाए, निर्माण में तकनीकी विशेषज्ञों की विशेष देखरेख व मोनिटरिंग में एनिकट की तलहटी व साईड वाल में विशेष प्रयास करने चाहिए ताकि एनिकट से पानी का रिसाव पुरी तरह से बंद हो सके।

एनिकट निर्माण के बाद में दो बार आया पानी

गलवा जीएसएस के अध्यक्ष कैलाश श्रीमाली, रतन लाल, राम लाल आदि ने बताया कि काबरी महादेव मंदिर के सामने चन्द्रभागा नदी में यह एनिकट १९८९-९० में गलवा के पूर्व सरपंच कुन्दनमलश्रीमाली के कार्यकाल में बनाया गया था। एनिकट निर्माण के बाद में २००६ व २०२५ में वर्षा का जल पहुचा है। वर्तमान में इस एनिकट में मरम्मत का कार्य भी कराया गया फिर भी वर्षा का पानी नहीं ठहर पाया है। जीएसएस अध्यक्ष कैलाश श्रीमाली ने बताया कि एनिकट के मरम्मत के कार्य में लारवाही बरती गई जिसके कारण अमूल्य पानी एनिकट की तलहटी से रिसाव होते हुए बह कर चला गया है। श्रीमाली ने एनिकट की मरम्मत के लिए विशेष कार्य योजना बनाने व निर्माण कार्य पर तकनीकी विशेषज्ञ अधिकारियों की आवश्यक मोनिकटरिंग कराने की आवश्यकता व्यक्त की गई है।

एक सवाल, कई जवाब

  • अब ग्रामीणों में यह चर्चा तेज है कि आखिर एनिकट में रिसाव कैसे हुआ?
  • क्या जीर्णोद्धार कार्य में तकनीकी की अनदेखी या गुणवत्ता की अनदेखी की गई,
  • या फिर पानी के तेज बहाव से कोई तकनीकी गड़बड़ीहुई?

फेक्ट फाइल पर एक नजर

  • पृष्ठभूमि: 35 साल पुराना एनिकट
  • निर्माण वर्ष: करीब 1989–90
  • स्थान: गलवा ग्राम पंचायत, काबरी महादेव मंदिर परिसर
  • मुख्य उद्देश्य: वर्षा जल संग्रहण और सिंचाई
  • पुनर्निर्माण: 2025 में जलाग्रहण योजना के तहत
  • लागत: लगभग ₹15 लाख
  • स्थिति: मरम्मत के बाद मात्र 15 दिन में पानी खत्म