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जेईई मेंस में खरसिया के शोर्य स्टेट टॉपर

शौर्य ने पत्रिका से बातचीत में बताया, टेंथ में मुझे मैथ्स में 99 नंबर मिले थे। मेरे भैया आईआईटी गुवाहाटी में सीएसई फोर्थ ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं। इस फील्ड में आने की प्रेरणा उन्हीं से मिली..

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जेईई मेंस के नतीजे मंगलवार को जारी कर दिए गए। इसमें रायगढ़ जिले के खरसिया निवासी शौर्य अग्रवाल 99.99602 परसेंटाइल हासिल कर स्टेट टॉपर बने हैं। शौर्य ने पत्रिका से बातचीत में बताया, टेंथ में मुझे मैथ्स में 99 नंबर मिले थे। मेरे भैया आईआईटी गुवाहाटी में सीएसई फोर्थ ईयर की पढ़ाई कर रहे हैं। इस फील्ड में आने की प्रेरणा उन्हीं से मिली। पापा जयप्रकाश अग्रवाल बिजनेसमैन हैं और मम्मी कविता अग्रवाल हाउस वाइफ। मैंने कोटा में रहकर जेईई की तैयारी की। परीक्षा के दो महीने पहले हमारा सिलेबस खत्म हो चुका था। उन दिनों मैं रोजाना 10 घंटे पढ़ाई करता था। हालांकि मैंने पढ़ाई की कोई खास टाइमिंग फिक्स नहीं की थी। कभी अलसुबह तो कभी दे रात। मैं जिस भी टॉपिक को पढ़ता था, पूरे डेडिकेशन के साथ। उस वक्त मैं दिन-रात नहीं देखता था। पढ़ते-पढ़ते कभी ऊब जाता तो दोस्तों संग घूमने निकल जाता था। मेरी रुचि क्रिकेट और चेस में है। म्यूजिक भी सुनता हूं।

ऐसे रही स्ट्रैटेजी

मैथ्स: शुरुआत में ही कॉन्सेप्ट पर ध्यान दिया। बेस क्लियर था इसलिए ज्यादा दिक्कत नहीं आई।
केमेस्ट्री: इसके लिए मैंने एनसीईआरटी पर फोकस किया था।
फिजिक्स: कोचिंग के मॉड्यूल के हिसाब से तैयारी की

जूनियर्स को लिए मैसेज

मेरा किसी भी सोशल प्लेटफॉर्म पर एकाउंट नहीं है। मुझे लगता है कि मोबाइल सबसे बड़ा डिस्ट्रक्शन है, अगर आप उसका मिसयूज करें। मैंने मोबाइल यूज किया लेकिन वाट्सऐप पर सिलेबस से जुड़ी इन्फॉर्मेशन और कोचिंग ऐप के लिए।

मूल मंत्र : एक बार मटेरियल को समझ लें, डिस्ट्रक्शंस से बचें

सिटी के हर्षल को पीडब्ल्यूबीडी में एआईआर 1

देवपुरी के रहने वाले हर्षल गुप्ता ने जेईई मेंस में एआईआर 1 (पीडब्यूबीडी) हासिल की है। उन्होंने बताया, मैं 12वीं में हूं। साथ-साथ मैंने जेईई की तैयारी की। मुझे ९९.९५ परसेंटाइल माक्र्स मिले हैं। मुझे बचपन से ही इंजीनियरिंग में आने में रुचि थी। आगे मैं जेईई एडवांस दूंगा और टॉप आईआईटी में दाखिला लेना चाहूंगा। पैरेंट्स विनिता गुप्ता और शैलेश गुप्ता निजी स्कूल में हैं। मम्मी हेडमास्टर हैं और पापा एडमिन की पोस्ट पर हैं।

ऐसे की तैयारी

कोचिंग में जो भी पढ़ता था, उसे घर में रिवाइज किया करता था। जो मटेरियल सॉल्व करने देते थे, उसे पूरा करता और अगले दिन डाउट्स क्लियर किया करता था। फ्री टाइम पर मैं मोबाइल पर चेस खेलना पसंद करता था।