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Kishore Kumar: रायपुर में हुई थी किशोर कुमार का रास्ता रोकने की कोशिश

Kishore kumar: साल 1978 में किशोर कुमार ने रायपुर के कोटा में प्रस्तुति दी थी, महाराष्ट्र मंडल के तत्कालीन पदाधिकारी टीएम घाटे ने सुनाया किस्सा..

kishore kumar
जब किशोर दा के लिए रातों रात बनाया गया नया रास्ता ( Photo - Patrika Create )

ताबीर हुसैन. किशोर दा एक ऐसे फनकार हुए जो न सिर्फ अदायगी बल्कि गायकी के भी बेताज बादशाह रहे। (Kishore Kumar) उनकी आवाज के दीवाने उस दौर में हुए और आज भी हैं। आज उनकी जयंती है। इस मौके पर हम एक किस्सा साझा करने जा रहे हैं जब वे प्रस्तुति देने रायपुर आए थे।

Kishore Kumar: सुनाया 1978 का किस्सा..

महाराष्ट्र मंडल के तत्कालीन पदाधिकारी टीएम घाटे (89 वर्ष) जो अब भोपाल में रहते हैं, ने पत्रिका से खास बातचीत में बताया, साल था 1978। रायपुर ( Raipur news) में महाराष्ट्र मंडल फंड रेजिंग के लिए एक अनोखा आयोजन करने जा रहा था किशोर कुमार का लाइव शो। हमारी स्पष्ट नीति थी कोई फ्री पास नहीं मिलेगा। कलेक्टर, कमिश्नर या किसी वीआईपी के लिए भी नहीं। हमने तय किया कि चाहे पद बड़ा हो या छोटा, हर कोई टिकट खरीदकर ही अंदर आएगा। इस फैसले से कई प्रभावशाली लोग असहज हुए। अफसरों और वरिष्ठ सदस्यों का दबाव बना कि कुछ कॉम्प्लिमेंट्री पास दिए जाएं, लेकिन मंडल टस से मस नहीं हुआ।

पहला टिकट कमिश्नर को बेचा

उस समय कमिश्नर हुआ करते थे। मैं उनसे मिलने गया। मुलाकात हुई तो बड़ी विनम्रता से कहा सर, मैं चाहता हूं कि पहला टिकट आप खरीदें। कमिश्नर मुस्कराए और बोले चार टिकट दीजिए, फैमिली भी जाएगी। इसके बाद मैंने कलेक्टर और एसपी से मिलकर भी टिक बेची। इसके बाद नई समस्या ने दरवाजा खटखटाया। कार्यक्रम का स्थान था कोटा स्टेडियम, जहां पहुंचने का रास्ता इंजीनियरिंग कॉलेज के गेट से होकर जाता था। कॉलेज के छात्रों का कहना था कि टिकट में डिस्काउंट दिया जाए। कॉलेज के रास्ते को लेकर आंदोलन की आशंका थी। क्योंकि छात्र कह रहे थे कि किशोर कुमार जाएंगे तो इसी रास्ते से। देखते हैं कार्यक्रम कैसे होता है।

मंच पर किशोर बोले- रायपुर वालों की जय

ऐसे में हमने साहसिक निर्णय लिया। रेलवे लाइन के पास पगडंडी थी जहां से बैलगाड़ियां जाती थीं। मैंने मजदूर बुलाए, मिट्टी हटवाई और रात तीन बजे तक गाड़ियों के आने-जाने लायक कच्चा रास्ता बनवाया बिना किसी को बताए। किशोर कुमार बेला हाउस में ठहरे थे। उन्हें पहले ही बता दिया गया था कि वे समय से 15 मिनट पहले निकलेंगे और स्टेडियम उसी नए रास्ते से पहुंचेंगे।

जैसे ही मंच पर पहुंचे, उन्होंने अपने अंदाज में कहा-रायपुर वालों की जय और कार्यक्रम शुरू हुआ। इधर, सड़क पर रास्ता रोकने की तैयारी में खड़े छात्रों को हैरानी हुई कि किशोर कुमार आखिर कहां से गए। भीतर, हजारों श्रोताओं के सामने किशोर दा ने वह जादू बिखेरा जिसे रायपुर आज भी याद करता है। टिकट दर 25 रुपए से लेकर 100 रुपए तक थी। टोटल कलेक्शन लगभग साढ़े तीन लाख रुपए हुए थे।