
आवारा कुत्तों और आवारा मवेशियों को लेकर शहर में भय का साया है। शहर में लगभग 10 से 12 हजार कुत्ते हैं, लेकिन नगर निगम का बधियाकरण सिस्टम केवल खानापूर्ति साबित हो रहा है। बैरनबाजार में एक मात्र सेंटर निगम का चल रहा है, जिसमें हर दिन 5 से 7 कुत्तों के बधियाकरण कराने के दावे किए जाते हैं। ऐसा ही हाल सड़कों से आवारा मवेशियों को हटाने को लेकर है। निगम पिछले तीन महीने में 13 सौ से अधिक मवेशियों को गोठानों में पहुंचाया है, उससे अधिक अभी सड़कों और बाजारों में विचरण करते झुंड में दिखाई देते हैं।
खूंखार कुत्तों के हमलों की घटनाएं शहर में दर्जनों हो हुई है। यह सिलसिला थम नहीं रहा है, लेकिन अब सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर निगम प्रशासन को अब इस पर पुख्ता तौर पर काम करने की चुनौती है। स्कूल, अस्पताल परिसरों को कुत्तों की आवाजाही पर रोक लगाने के लिए बाड़ बनाने जैसे सिस्टम पर काम करने की गाइडलाइन तय की गई है। जानकारों का मानना है कि इस प्लान पर 4 से 5 करोड़ रुपए खर्च आएगा। हालांकि नगर निगम के अधिकारियों के अनु़सार सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति विभागीय तौर पर मिलने के बाद ही प्लानिंग करने की जाएगी।
नगर निगम के 10 जोनों में केवल एक डॉग केचर है। बैरनबाजार में कुत्तों का बधियाकरण कराने के लिए सेंटर चल रहा है। इसमें 5 प्लेसमेंट कर्मचारी और दो पशुचिकित्सकों की सेवाएं निगम ले रहा है। जगह नहीं होने की वजह से जिस कॉलोनी और मोहल्ले से कुत्तों को उठाया जाता है, ऑपरेशन करके फिर उसी मोहल्ले में छोड़ दिया जाता है। लेकिन कोर्ट के आदेश पर अब ऐसे कुत्तों के लिए डोग शेल्टर हाउस का निर्माण कराना होगा। अभी केवल जरवाय में खूंखार और बीमार और घायल कुत्तों के लिए एक शेल्टर हाउस का निर्माण कराया गया है।
सुप्रीम कोर्ट के आदेश की प्रति और शासन का दिशा-निर्देश मिलने पर प्लान बनाकर काम किया जाएगा। अभी हर जोन में आवारा कुत्तों के लिए फीडिंग जगह तय की जा रही है। शहर के बाजारों और सड़कों से अभी तक 13 सौ से अधिक मवेशियों को गोठानों में पहुंचाया गया है।
विनोद पांडेय, अपर आयुक्त, स्वास्थ्य विभाग निगम
Published on:
09 Nov 2025 12:48 am

