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CA Final Exam: सीए छात्रों को मिल सकते हैं साल में 6 मौके, प्रेसिडेंट चरणजोत सिंह नंदा ने पत्रिका से की चर्चा

CA Final Exam: आउटसोर्सिंग की बात करें तो गुडग़ांव में अपॉर्चुनिटी ज्यादा है। हालांकि इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता, हमारे सीए देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं..

ca final exam

CA Final Exam: पिछले साल हमने इंटर मीडिएट और फाउंडेशन को साल में तीन-तीन टर्म किया। अब हमने फैसला किया कि सीए फाइनल और इन्फर्मेशन सिस्टम ऑडिट को भी साल में तीन बार किया जाए। इसके कई फायदे हैं। सीए इंटरनेशनल प्रैक्टिस है। बच्चा कम समय में सीए बन जाएगा, अगर उसको एग्जाम का मौका मिला। छह महीने का वक्त लंबा होता है। अगर वह 4 महीने में आएगा तो उसको दो महीने एक अटेम्प्ट में बचेंगे।

पत्रिका से की विभिन्न मुद्दों पर चर्चा

यह कहा द इंस्टीट्यूट ऑफ चार्टर्ड एकाउंटेंट्स ऑफ इंडिया के नेशनल प्रेसिडेंट चरणजोत सिंह नंदा ने। वे राजधानी में आयोजित एक सेमिनार में शामिल होने आए थे। इस दौरान पत्रिका से बातचीत में विभिन्न मुद्दों पर चर्चा की। उन्होंने कहा कि हम इंटरनेशनल प्रस्पेक्टिव से आगे निकलना चाहते हैं। हम बच्चों को वह फैसलिटी देना चाहते हैं जो हिंदुस्तान के बाहर मिलती है। हम हिंदुस्तान का भविष्य बहुत बेहतर बनाना चाहते हैं उसके लिए चार्टर्ड एकाउंट और सीए स्टूडेंट्स की अग्रणी भूमिका होगी। अभी तो यह शुरुआत हैं, आगे हम साल में सीए फाइनल के छात्रों को साल में 6 मौके देने की कोशिश करेंगे।

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देश की तरक्की में आईसीएआई का क्या योगदान है?

हमें शुरू में ही सिखाया जाता है कि जिस धरती पर रहो वहां की बेहतरी के लिए सोचो। जिस प्रदेश में रहो वहां की तरक्की के ख्वाब देखो। यही वजह है कि हम देश को सही दिशा के लिए भी काम करते हैं। यही वजह है कि हम पंचायत स्तर पर एकाउंटेंट्स को ट्रेनिंग दे रहे हैं। अब हम सीएनजी ऑफिसर के लिए भी ट्रेङ्क्षनग प्रोग्राम कर रहे हैं। इन्वेस्टर प्रोटेक्शन प्रोग्राम करते हैं ताकि उन्हें पता चले कि पैसा कहां लगाना है। फाइनेंस और टैक्स लिट्रेसी पर काम कर रहे हैं ताकि लोगों को समझ में आए कि टैक्स की क्या इम्प्लीकेशन है।

किस शहर में सीए की अपॉर्चुनिटी ज्यादा है?

आउटसोर्सिंग की बात करें तो गुडग़ांव में अपॉर्चुनिटी ज्यादा है। हालांकि इससे कोई खास फर्क नहीं पड़ता, हमारे सीए देश ही नहीं विदेशों में भी अपनी काबिलियत का लोहा मनवा रहे हैं।

सीए में गर्ल्स का रेशियो क्या है?

हमारे यहां हर तीसरा सीए गर्ल्स है। स्टूडेंट्स में 43 प्रतिशत लड़कियां हैं। रही बात माक्र्स की तो बच्चे की काबिलियत पर डिपेंड करता है कि उसे कितना परसेंट मिले। हमने कभी किसी बच्चे के नंबर को कम नहीं किया। 1949 से से लेकर आज तक नंबर कम नहीं हुए हैं।

कभी आरक्षण देने पर विचार किया जा सकता है?

हम कम्प्लीटली प्रोफेशनल्स की बॉडी हैं। आरक्षण देंगे तो परेशानी होगी। कई ऐसे बच्चे हैं जो अभाव के बावजूद एग्जाम टॉप करते हैं। पिछले साल ऑटो वाले की बेटी ने टॉप किया था। ऐसे कई उदाहरण हैं जिसमें देखा गया कि वे अपनी मेहनत के बल पर टॉप करते हैं। इसलिए हम चाहते हैं कि कोई बच्चा बेहतर तरीके से देश के लिए अपना कंट्रीब्यूशन देना चाहे वह सीए बने।

पिछड़े क्षेत्रों के बच्चों के लिए क्या प्लानिंग है?

हम देश के हर जिले में सीए ब्रांच खोलना चाहते हैं। अगर किसी छोटी सी जगह में भी ऑफिस हो वहां विजिट कर सब कुछ समझा जा सकता है।