2 दिसंबर 2025,

मंगलवार

Patrika LogoSwitch to English
home_icon

मेरी खबर

icon

प्लस

video_icon

शॉर्ट्स

epaper_icon

ई-पेपर

Bastar Pandum 2026: 5 जनवरी से शुरू होगा बस्तर पंडुम 2026, इन तीन मंत्रियों की मौजूदगी में हुई अहम बैठक, जानें…

Bastar Pandum 2026: समृद्ध जनजातीय विरासत और पारंपरिक कला-संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला ‘बस्तर पंडुम 2026’ आगामी 5 जनवरी से 5 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा।

less than 1 minute read
Google source verification
Bastar Pandum 2026: 5 जनवरी से शुरू होगा ‘बस्तर पंडुम 2026, इन तीन मंत्रियों की मौजूदगी में हुई अहम बैठक, जानें...(photo-patrika)

Bastar Pandum 2026: 5 जनवरी से शुरू होगा ‘बस्तर पंडुम 2026, इन तीन मंत्रियों की मौजूदगी में हुई अहम बैठक, जानें...(photo-patrika)

Bastar Pandum 2026: छत्तीसगढ़ की समृद्ध जनजातीय विरासत और पारंपरिक कला-संस्कृति को प्रदर्शित करने वाला ‘बस्तर पंडुम 2026’ आगामी 5 जनवरी से 5 फरवरी तक आयोजित किया जाएगा। आयोजन की तैयारियों, विभागीय समन्वय और कार्ययोजना को लेकर रविवार को उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा के रायपुर स्थित निवास में बैठक संपन्न हुई। बैठक में वन मंत्री केदार कश्यप, संस्कृति मंत्री राजेश अग्रवाल सहित वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया।

Bastar Pandum 2026: उपमुख्यमंत्री विजय शर्मा ने ली समीक्षा बैठक

बैठक में उपमुख्यमंत्री शर्मा ने कहा कि बस्तर पंडुम केवल सांस्कृतिक उत्सव नहीं, बल्कि बस्तर की जनजातीय परंपराओं, कला और सामाजिक विरासत को संरक्षित एवं प्रोत्साहित करने का अवसर है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के मार्गदर्शन में इस आयोजन को राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई जाएगी।

उन्होंने निर्देश दिए कि उत्सव का प्रसारण देश-विदेश में सुनिश्चित किया जाए तथा सभी राज्यों के कलाकारों को जनजातीय कला-प्रदर्शन के लिए आमंत्रित किया जाए। बस्तर के प्रमुख परंपरागत प्रतिनिधियों जैसे सिरहा, मांझी और चालकी को आमंत्रण भेजने पर भी जोर दिया गया। वन मंत्री कश्यप ने इसे युवाओं के लिए अपनी सांस्कृतिक प्रतिभा दिखाने का महत्वपूर्ण मंच बताया, जबकि संस्कृति मंत्री अग्रवाल ने समयबद्ध और व्यवस्थित तैयारियों की आवश्यकता पर बल दिया।

12 विधाओं में होंगी प्रतियोगिताएं

बस्तर पंडुम 2026 में बस्तर की सांस्कृतिक विविधता का अनोखा संगम देखने को मिलेगा। महोत्सव में कुल 12 पारंपरिक विधाओं में प्रतियोगिताएं आयोजित की जाएंगी। इनमें पारंपरिक नृत्य-गीत, जनजातीय रीति-रिवाज, लोकनृत्य, पारंपरिक वाद्ययंत्र, शिल्पकला, जनजातीय व्यंजन, लोकगीत, पारंपरिक वेशभूषा, चित्रकला, आंचलिक साहित्य, जनजातीय नाट्य, आभूषण कला, पारंपरिक पेय और वन-औषधियों के प्रदर्शन शामिल हैं।

प्रतियोगिताएं जनपद स्तर से लेकर जिला और अंततः संभाग स्तर तक तीन चरणों में होंगी। हर चरण में उत्कृष्ट प्रदर्शन करने वाले प्रतिभागियों को पुरस्कार राशि और प्रमाण पत्र प्रदान किए जाएंगे।