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24 घंटें तक कलेक्टोरेट के बाहर डटे रहे ग्रामीण, बोले- हमारी आवाज नहीं सुनी तो करेंगे बड़ा आंदोलन

Coal Mines Protest: कोल माइंस विरोध तेज, 24 घंटे से अधिक समय तक ग्रामीण कलेक्टोरेट के बाहर डटे रहे। कलेक्टर से नहीं मिले, अब गांव में जनसुनवाई का विरोध करेंगे।

24 घंटें तक कलेक्टोरेट के बाहर डटे रहे ग्रामीण (photo source- Patrika)
24 घंटें तक कलेक्टोरेट के बाहर डटे रहे ग्रामीण (photo source- Patrika)

Coal Mines Protest: रायगढ़ के छाल क्षेत्र के पुरुंगा में कोल माइंस खोले जाने का जमकर विरोध हो रहा है। इसकी जनसुनवाई 11 अक्टूबर को निर्धारित है। इस जनसुनवाई को निरस्त करने की मांग जोर पकड़ ली है। इस मांग को लेकर क्षेत्र के ग्रामीणों ने 24 घंटे से अधिक समय तक कलेक्टोरेट के बाहर प्रदर्शन किया। प्रदर्शन के बीच जब कलेक्टर ग्रामीणों से मिलने नहीं पहुंचे तो वे शुक्रवार की दोपहर कलेक्टोरेट के बाहर किए जाने वाला प्रदर्शन यह कहते हुए समाप्त किया कि वे गांव में होने वाली जनसुनवाई का विरोध करेंगे। इसके बाद वे अपने गांव लौट गए।

Coal Mines Protest: कलेक्टोरेट के बाहर प्रदर्शनकारी करते रहे इंतजार

जिले में मेसर्स अंबुजा सीमेंट लिमिटेड कंपनी के पुरूंगा में अंडर ग्राउंड कोल माइंस के लिए 11 नवंबर को जनसुनवाई आयोजित की गई है। इसके विरोध में पहले तो ग्रामीण गांव स्तर पर ही विरोध किए, लेकिन बात नहीं बनी तो गुरुवार की सुबह क्षेत्र के करीब तीन सौ से अधिक महिला पुरुष कलेक्टोरेट पहुंचे। यहां पहुंचने पर कलेक्टोरेट के बाहर धरना प्रदर्शन शुरू किए। उनकी मांग थी कि जनसुनवाई को निरस्त किया जाए। इसकी जानकारी मिलने पर प्रदर्शनकारियों के पास रायगढ़ एसडीएम महेश शर्मा पहुंचे थे, लेकिन ग्रामीण अपनी बात कलेक्टर के समक्ष रखना चाहते थे।

कलेक्टर से मुलाकात गुरुवार को नहीं हुई। ऐसे में वे पूरी रात कलेक्टोरेट के बाहर ही रहे। रात भर हालांकि वे शांत रहे, लेकिन सुबह होने पर वे फिर से प्रदर्शन शुरू कर दिए। उनका प्रदर्शन दोपहर तक चला। इस समय भी उनकी मुलाकात कलेक्टर से नहीं हो सकी। ऐसे में ग्रामीण यह कहते हुए अपना प्रदर्शन समाप्त किए कि वे पुरूंगा में होने वाली जनसुनवाई का व्यापक विरोध करेंगे। इसके बाद दोपहर को वे गांव लौट गए।

छोटे बच्चों के साथ महिलाएं थी शामिल

Coal Mines Protest: प्रदर्शन के दौरान प्रभावित होने वाले कोकदार, तेंदुमुड़ी, पुरुंगा और समरसिंघा गांव से पुरुषों के साथ महिलाएं भी बड़ी संख्या में प्रदर्शन के लिए पहुंचीं थी। इस दौरान प्रदर्शन में कुछ ऐसी महिलाएं भी शामिल थी तो छोटे बच्चे के साथ यहां आई थीं।

छावनी में तब्दील रहा कलेक्टोरेट

प्रदर्शन को लेकर ग्रामीण बड़ी संख्या में पहुंचे थे। वहीं ऐसा पहली बार हुआ कि कलेक्टोरेट के बाहर ग्रामीण कलेक्टर से मुलाकात नहीं होने पर पूरी रात बैठे रहे। ग्रामीणों के प्रदर्शन को लेकर पुलिस प्रशासन भी अलर्ट मोड़ रहा। सुरक्षा की दृष्टि से कलेक्टोरेट परिसर पर बड़ी संख्या में पुलिस बल तैनात किए गए थे। इससे एक तरह से कलेक्टोरेट परिसर छावंनी में तब्दील रहा।

निर्धारित स्थल पर अपनी बात रखें

Coal Mines Protest: कलेक्टर मयंक चतुर्वेदी का कहना है कि जनसुनवाई का मतलब है कि ग्रामीणों की बातें सुनी जाएं। इसके लिए एक माह पहले तारीख और स्थान तय कर दी गई है, ताकि ग्रामीणों को अपनी बात रखने का पर्याप्त समय मिल सके। जनसुनवाई पर हर व्यक्ति वहां जाकर अपनी बात रख सकता है। हम ग्रामीणों को समझाने की कोशिश कर रहे हैं और उमीद है कि वे सही तरीके से बात समझेंगे।