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क्या इस बार बिहार में होगा बीजेपी का सीएम? ये 5 चुनौती कर सकती हैं परेशान

2010 के विधानसभा चुनाव में बीजेपी का प्रदर्शन सबसे अच्छा रहा था। उसने 91 सीटें जीती थीं।

भारत

Ashish Deep

Sep 08, 2025

Bihar News
बिहार में एक जनसभा से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार। (फोटो : ANI)

बिहार में बीजेपी हर बार नीतीश कुमार को ही सीएम की कुर्सी क्यों थमाती है। 2005 से अब तक हुए 5 विधानसभा चुनाव में हर बार नीतीश कुमार ने ही सरकार की कमान संभाली है। 2020 में तो बीजेपी दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी थी, लेकिन पार्टी में पास कोई सीएम फेस नहीं था। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिर बीजेपी बिहार में क्यों अपना सीएम नहीं बना पाती है और क्या इस बार के विधानसभा चुनाव में यह संभव हो पाएगा?

बिहार में जातीय समीकरण सबसे बड़ा मुद्दा

जानकार बताते हैं कि बिहार का सियासी माहौल अन्य राज्यों से अलग है। यहां जातीय समीकरण, गठबंधन रणनीति और राष्ट्रीय व राज्य स्तर के नेतृत्व की भूमिका महत्वपूर्ण है। बीते कुछ सालों में बीजेपी ने यह नैरेटिव बनाया है कि केंद्र और राज्य दोनों जगह एक ही राजनीतिक दल की सरकार होगी तो विकास तेज होगा। इस प्रयोग के तहत ही उसने जदयू से तालमेल बनाकर रखा और डेढ़ दशक से ज्यादा समय सत्ता में भागीदार रही।

बीजेपी को कौन सी चुनौती पार करनी होगी


  1. जानकारों के मुताबिक बीजेपी की कमजोरियां भी कम बड़ी नहीं हैं। 2024 में सुशील मोदी के दिवंगत होने के बाद बीजेपी के पास बिहार में कोई लीडर नहीं बचा और न ही कोई नया चेहरा उभरा।




  2. गठबंधन पॉलिटिक्स में नीतीश कुमार की अस्थिरता भी बड़ी चिंता है। क्योंकि उन्होंने पहले कई बार गठबंधन बदले हैं, जैसे 2015 में राजद-कांग्रेस के साथ जुड़ना। इसी तरह चिराग पासवान और दूसरे नेताओं की ज्यादा सीटों पर चुनाव लड़ने की जिद भी गठबंधन को खतरे में डाल सकती है।




  3. इसके अलावा यादव और मुस्लिम वोट बैंक भी परेशानी का सबब बनते आए हैं, जो आज भी राजद का मजबूत आधार बने हुए हैं।




  4. बिहार की जातीय राजनीति में महागठबंधन अगर उभरता है तो बीजेपी को चुनौती दे सकता है। बेरोजगारी और गरीबी जैसी समस्याएं भी चुनौती हैं, जिससे आम जनता में विरोध की भावना बढ़ रही है।




  5. प्रशांत किशोर जैसे नए खिलाड़ी, जो जाति निरपेक्ष राजनीति का संदेश दे रहे हैं। वह बीजेपी के वोट बैंक खासकर युवा वोटर को धीरे-धीरे अपनी ओर खींच सकते हैं। बीजेपी के नेताओं को अंदेशा है कि इससे एनडीए को नुकसान पहुंच सकता है।

क्या है बीजेपी की ताकत


  1. बीजेपी की सबसे बड़ी ताकत उसका मजबूत संगठनात्मक नेटवर्क और कैडर बेस है, जो संघ के प्रभाव से और भी मजबूत हुआ है।




  2. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता खासकर शहरी और अगड़ी जाति के मतदाताओं के बीच बीजेपी को मजबूती देती है। इसके जरिए वह अपनी पकड़ सत्ता पर मजबूत कर सकती है।

कहां है पार्टी के लिए मौके


  1. जानकार बताते हैं कि बीजेपी के लिए विपक्ष में असहमति और मतभेद एक बड़ा मौका दे सकता है। राजद के उल्ट गैर यादव ओबीसी वोटर को बीजेपी अपनी ओर मोड़ सकती है।




  2. नीतीश कुमार अगर रिटायरमेंट लेते हैं तो बीजेपी खुद को बिहार में एनडीए का प्रमुख दल साबित कर सकती है।