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Rajasthan: अंता से नरेश मीणा का क्यों कटा टिकट? डोटासरा-गहलोत पर लगे गंभीर आरोप, क्या हैं सियासी समीकरण?

Anta Assembly by-election: बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सियासी माहौल गरमा चुका है।

Naresh Meena
पत्रिका फाइल फोटो

Anta Assembly by-election: बारां जिले की अंता विधानसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए सियासी माहौल गरमा चुका है। 11 नवंबर को होने वाले मतदान और 14 नवंबर को आने वाले नतीजों से पहले इस सीट पर मुकाबला रोचक होने के आसार हैं। कांग्रेस ने अपने कद्दावर नेता और दो बार के पूर्व मंत्री प्रमोद जैन भाया को मैदान में उतारा है, जबकि युवा नेता नरेश मीणा ने निर्दलीय चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया है।

BJP ने अभी तक अपने प्रत्याशी की घोषणा नहीं की है, लेकिन नरेश मीणा के मैदान में उतरने से दोनों प्रमुख पार्टियों के समीकरण बिगड़ सकते हैं। खासकर टोंक के समरावता थप्पड़कांड के बाद नरेश मीणा सहानुभूति की लहर पर सवार हैं।

क्यों नहीं मिला नरेश मीणा को टिकट?

नरेश मीणा ने कांग्रेस पर गंभीर आरोप लगाए हैं। एक टीवी डिबेट में उन्होंने दावा किया कि उनका टिकट पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा ने काटा। मीणा ने डोटासरा पर BJP से सांठगांठ का आरोप लगाते हुए कहा कि डोटासरा ने फर्जी तरीके से सरकारी नौकरियां बांटीं और उनके बेटे को भी फर्जी तरीके से RAS बनवाया।

मीणा ने डोटासरा पर परिवारवाद का भी आरोप लगाया, दावा करते हुए कि उन्होंने अपने रिश्तेदारों को सरकारी नौकरियां दिलवाईं। इन आरोपों के बाद नरेश मीणा को कांग्रेस प्रवक्ता यशवंत सिंह शेखावत ने जवाब दिया।

यशवंत सिंह ने कहा कि लोकतंत्र में कोई भी चुनाव लड़ सकता है, लेकिन मीणा को तमीज में रहकर बात करनी चाहिए। इस पर मीणा भड़क गए और बोले कि तमीज क्या होती है, मैं तुम्हें सिखाऊंगा। प्रचार के लिए अंता जरूर आना, मैं भाया को जिताने वालों को तमीज सिखाऊंगा। मीणा ने कांग्रेस नेताओं को खुली चुनौती दी कि वे अंता में आकर उनका प्रचार करें।

अंता का सियासी इतिहास

अंता विधानसभा सीट पर हमेशा से BJP और कांग्रेस के बीच कड़ा मुकाबला देखने को मिला है। इस सीट का राजनीतिक इतिहास उतार-चढ़ाव से भरा रहा है। परिसीमन के बाद 2008 में ही यह सीट बनी थी।

2008: कांग्रेस के प्रमोद जैन भाया ने BJP के रघुवीर सिंह कौशल को 29,668 मतों के बड़े अंतर से हराया।
2013: BJP के प्रभूलाल सैनी ने प्रमोद जैन भाया को 3,399 मतों से मात दी।
2018: प्रमोद जैन भाया ने प्रभूलाल सैनी को 35,000 वोटों से हराकर वापसी की।
2023: BJP के कंवरलाल मीणा ने प्रमोद जैन भाया को 5,861 वोटों से हराया।

इस बार उपचुनाव में प्रमोद जैन भाया फिर से कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, लेकिन नरेश मीणा की निर्दलीय उम्मीदवारी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है।

अंता के जातीय समीकरण क्या हैं?

अंता सीट पर कुल 2,27,563 मतदाता हैं, जिनमें 1,16,405 पुरुष, 1,11,154 महिला और 4 थर्ड जेंडर वोटर शामिल हैं। जातीय समीकरण की बात करें तो यह माली समाज बहुल क्षेत्र है। यहां करीब 40,000 माली वोटर हैं, जो किसी भी उम्मीदवार की जीत में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इसके अलावा 30,000 मीणा, 35,000 SC, 8,000 मुस्लिम और धाकड़ समाज के वोटर भी महत्वपूर्ण हैं। नरेश मीणा स्वयं मीणा समाज से हैं, इस समुदाय के वोटों पर मजबूत पकड़ रखते हैं। समरावता थप्पड़कांड के बाद उनकी लोकप्रियता और सहानुभूति बढ़ी है।

नरेश मीणा का सियासी सफर

1979 में बारां जिले के अटरू तहसील के नया गांव में जन्मे नरेश मीणा ने राजस्थान यूनिवर्सिटी से बीए किया। छात्र राजनीति में सक्रिय रहते हुए वे 2003 में NSUI से राजस्थान विश्वविद्यालय छात्रसंघ (RUSU) के महासचिव बने। इसके बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति में कदम रखा।

2023: बारां जिले की छबड़ा सीट से निर्दलीय लड़े और 44,000 से अधिक वोट हासिल किए, लेकिन BJP के प्रताप सिंह सिंघवी से हार गए।
2024: टोंक की देवली-उनियारा सीट पर उपचुनाव में निर्दलीय उतरे। कांग्रेस ने उन्हें टिकट नहीं दिया, जिसके बाद उन्होंने 60,000 वोट हासिल कर दूसरा स्थान प्राप्त किया, जबकि कांग्रेस तीसरे स्थान पर रही।

समरावता थप्पड़कांड और नरेश की सहानुभूति

नवंबर 2024 में देवली-उनियारा उपचुनाव के दौरान समरावता में नरेश मीणा ने ग्रामीणों की मांगों का समर्थन करते हुए टोंक के SDM अमित चौधरी को थप्पड़ जड़ दिया था। यह घटना इतनी चर्चित हुई कि क्षेत्र में आगजनी और उपद्रव तक हो गए। इस घटना ने नरेश को सुर्खियों में ला दिया और उन्हें सहानुभूति की लहर का लाभ मिला। जेल से छूटने के बाद वे और सक्रिय हो गए, जिसका असर अंता में भी दिख सकता है।

नरेश मीणा कैसे बिगाड़ सकते हैं खेल?

नरेश मीणा की निर्दलीय उम्मीदवारी से कांग्रेस और BJP दोनों की मुश्किलें बढ़ सकती हैं। खासकर कांग्रेस के लिए खतरा ज्यादा है, क्योंकि मीणा का वोट बैंक मुख्य रूप से कांग्रेस का पारंपरिक समर्थक रहा है। 2024 के देवली-उनियारा उपचुनाव में मीणा ने 60,000 वोट हासिल कर कांग्रेस को तीसरे स्थान पर धकेल दिया था। इस बार भी अगर वे माली, मीणा और SC वोटों में सेंधमारी करते हैं तो प्रमोद जैन भाया की राह मुश्किल हो सकती है।

BJP के लिए भी नरेश मीणा चुनौती बन सकते हैं, क्योंकि उनकी सहानुभूति और युवा जोश क्षेत्र के मतदाताओं, खासकर युवाओं और ग्रामीणों को आकर्षित कर सकता है। अगर BJP किसी कमजोर उम्मीदवार को उतारती है तो नरेश वोटों का विभाजन कर उनकी जीत को प्रभावित कर सकते हैं।

अंता में उपचुनाव का भविष्य

अंता में उपचुनाव का मुकाबला अब त्रिकोणीय हो गया है। प्रमोद जैन भाया अपने अनुभव और माली समाज के समर्थन के दम पर मजबूत दावेदारी पेश कर रहे हैं। BJP का उम्मीदवार अभी तय नहीं है, लेकिन पार्टी इस सीट को बचाने के लिए मजबूत रणनीति बना रही है। दूसरी ओर, नरेश मीणा की बागी तेवर और सहानुभूति की लहर इस उपचुनाव को अप्रत्याशित बना सकती है। फिलहाल, अंता की सियासत में नरेश मीणा एक बड़ा फैक्टर बनकर उभरे हैं, जो दोनों दिग्गज पार्टियों के लिए सिरदर्द साबित हो सकते हैं।