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क्यों सोशल मीडिया पर ट्रेंड कर रहा राजस्थान का बेटा…जो एमपी में IAS अफसर, पढ़िए EXPLAINER

IAS Ravi Kumar Sihag: आईएएस रवि कुमार सिहाग पर आरोप लगे थे कि उन्होंने गलत EWS सर्टिफिकेट के आधार पर नौकरी हासिल की है। जो कि एक बार फिर से चर्चाओं में हैं।

ias ravi kumar sihag
ias ravi kumar sihag

IAS Ravi Kumar Sihag: इन दिनों सोशल मीडिया पर एक आईएएस अफसर जमकर चर्चाओं विषय बना हुआ है। ये अफसर कोई और नहीं बल्कि ये राजस्थान का बेटा है...जो एमपी कैडर के आईएएस अफसर हैं। बात चर्चित रवि कुमार सिहाग (IAS Ravi Kumar Sihag) की हो रही है। बीते 6 महीने पहले उन्हें कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानी डीओपीटी के द्वारा ईडब्ल्यूएस और आय प्रमाण पत्र की जांच के लिए राजस्थान मुख्य सचिव को तलब किया था।

दरअसल, आईएएस रवि कुमार सिहाग के खिलाफ सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर लाखों फॉलोअर्स वाले एक्स अकाउंट जैसे खुरपेंच, खुराफात समेत कई अन्य यूजर्स ने राजस्थान सरकार के द्वारा जांच में लेटलतीफी किए जाने पर टिप्पणी की। खुरपेंच ने एक्स पर लिखा कि 15 हेक्टेयर से ज्यादा जमीन होने के बाद फर्जी EWS कैसे बनवा लिया ? राजस्थान के चीफ सेक्रेटरी के पास मई महीने में जांच पहुंची उसके बाद भी कोई रिपोर्ट क्यों नहीं आई ? साथ अकाउंट के द्वारा दावा किया गया है कि अगर जल्दी रिपोर्ट नहीं आई तो हम सारे डॉक्युमेंट्स पब्लिक कर देंगे।

खुराफात नामक यूजर लिखते हैं कि 15 हेक्टेयर ज़मीन फिर भी EWS? वाह, गरीबी भी अब VIP पास लेकर आती है क्या? मई में मामला राजस्थान के चीफ़ सेक्रेटरी तक पहुँचा… उसके बाद फ़ाइल शायद हिमालय पर ध्यान लगाने चली गई, क्योंकि आज तक रिपोर्ट लौटी ही नहीं। अगर इसी स्पीड में जांच चलनी है, तो बता दें—अगली बार हम ही सारे काग़ज़ पब्लिक कर देंगे। फिर EWS नहीं, पूरा सिस्टम एक्सपोज़ होगा।

आइए समझते हैं क्यों IAS Ravi Kumar Sihag पर उठ रहे सवाल

जब रवि कुमार सिहाग ने तीसरी बार यूपीएससी क्लियर की तो उनके कई फैन्सों ने फैन पेज बनाए। फैन पेज के जरिए उनके कई मोटिवेशनल वीडियो सोशल मीडिया पर पोस्ट किए। इसी दौरान रील्स स्क्रूटनी करने वालों ने रवि के यूपीएससी के पुराने रिजल्ट्स पर गौर किया तो उन्हें एक बात खटकी कि रवि ने साल 2018 और 2019 में दिए यूपीएससी के पहले अटेम्प्ट में किसी भी कोटे से अप्लाई नहीं किया था। तब वह जनरल कैटगरी में थे। तब उसमें रैंक अच्छी नहीं आई और ना ही आईएएस का पोस्ट मिला। जब उन्होंने तीसरा अटेम्प्ट 2021 में दिया तो उसमें ईडब्ल्यूएस का कोटा लगाया।

साल 2021 में ईडब्ल्यूएस से रैंक अच्छी आई और कोटा लगने के कारण पोस्ट मिल गई। बताया जाता है कि कुछ सामाजिक कार्यकर्ताओं ने रवि को शक की निगाहों से देखना शुरु कर दिया। दावा किया गया कि रवि ने लूप होल का इस्तेमाल करके ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट बनवाया और यूपीएससी में लगा दिया। एक आरोप यह भी लगा कि जब उन्होंने ने अपना रिजल्ट इंस्टाग्राम पर पोस्ट किया तो उसमें अपने रिजर्वेशन वाले सेक्शन को जानबूझकर छुपा दिया। रवि कुमार सिहाग के ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट को लेकर एक दावा यह भी किया था कि उनके माता-पिता के पास कई एकड़ जमीन थी। जिसके कारण उनका ईडब्ल्यूएस सर्टिफिकेट नहीं बना सका। फिर साल 2021 वाले अटेम्प्ट से पहले अपनी जमीनें रिश्तेदारों को दान दे दी। ऐसा करने से रवि अब ईडब्ल्यूएस कोटे के लिए एलिजिबल हो गए। ऐसे तमाम प्रकार के आरोप और दावे रवि कुमार सिहाग को लेकर किए गए थे।

3 बार UPSC निकाल चुके हैं रवि कुमार सिहाग

रवि कुमार सिहाग ने साल 2018 में अपना पहला यूपीएससी दिया। पहले अटेम्प्ट यूपीएससी क्रैक कर दी। जिसमें उनकी रैंक 337 आई। नौकरी इंडियन रेलवे ट्रैफिक सर्विसेज में पक्की हुई। मगर, ये रवि को मंजूर नहीं था। दोबारा उन्होंने साल 2019 में यूपीएससी दिया। इस बार वह फिर से क्वालिफाई कर गए। रैंक आई 317। उनका चयन इंडियन डिफेंस अकाउंट सर्विसेज में हुआ। मगर, आईएएस बनने की धुन में सवार रवि को ये मंजूर नहीं था। साल 2020 में यूपीएससी दी। इस सफलता नहीं मिली। मेहनत में रवि ने कोई कसर नहीं छोड़ी और साल 2021 में उन्होंने यूपीएससी में ऑल इंडिया में 18वीं रैंक हासिल की। फिर वह बन गए मध्यप्रदेश के कैडर के आईएएस अफसर।

हालांकि, जब कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग यानी डीओपीटी की ओर से राजस्थान के मुख्य सचिव को उनके ईडब्ल्यूएस और आय प्रमाण पत्र की जांच के लिए तलब किया था। उस दौरान मध्यप्रदेश के सिवनी जिले लखनादौन में एसडीएम के पद पर तैनात रवि कुमार सिहाग ने patrika.com से बातचीत में स्वीकारा था कि उनपर जांच बैठाई गई है। साथ ही उन्होंने यह भी कहा था जांच रिपोर्ट सामने आने के बाद सबको पता चल जाएगा।

कई राज्यों के अफसरों पर बैठाई गई थी जांच

भारत सरकार के कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग (DoPT) की ओर से 11 IAS, 2 IPS, 1 IFS, और 1 IRS अधिकारी के प्रमाण पत्रों की जांच की जाएगी। जिसमें राजस्थान, उत्तर प्रदेश, हरियाणा, ओडिशा, बिहार, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और केरल के अफसर शामिल हैं। इसमें आरक्षण श्रेणियों के तहत जमा किए गए प्रमाणपत्रों में गंभीर अनियमितताओं की शिकायत सामने आई थी। यह मामला तब सामने आया जब 16 अगस्त 2024 को एक शिकायतकर्ता की ओर से विस्तृत शिकायत दर्ज की गई। जिसमें आरोप लगाया गया कि कुछ अभ्यर्थियों ने फर्जी या गलत तरीके से आरक्षण का लाभ उठाया है।