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Dharmendra: जब राजस्थान में शूटिंग के दौरान खो गए थे धर्मेंद्र, घबरा गए थे अमरीश पुरी और प्राण

Dharmendra Untold Story: दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र को लेकर मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक केसी बोकाडिया से पत्रिका ने बातचीत की तो यादों का कारवां चल पड़ा। उन्होंने धर्मेंद्र की ज़िंदगी के अनछुए पहलू साझा किए।

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K.C. Bokadia dharmendra untols story

Photo: patrika

Dharmendra Untold Story: दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र अपनी दोस्ती के प्रति बड़े वफादार थे। उनके और दारा सिंह के बीच एक गहरा रिश्ता रहा, जो कई दशकों तक चला। इसी तरह, उनके और शत्रुघ्न सिन्हा के बीच भी बहुत अच्छा याराना रहा। जहां तक मेरी बात करूं तो मैंने उनके साथ करीब 7 फिल्में की, जिसमें उनका भरपूर प्यार मिला। 80 और 90 के दशक में उनकी फिल्मों का निर्देशन करना किसी चैलेंज से कम नहीं था। इन फिल्मों के दौरान ही धर्मेंद्र पाजी से दोस्ती हो गई और फिर यह दोस्ताना बहुत लंबा चला। यह कहना है मशहूर फिल्म निर्माता निर्देशक केसी बोकाडिया का।

दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र को लेकर बोकाडिया से 'पत्रिका' ने बातचीत की तो यादों का कारवां चल पड़ा। बोकाडिया कहते हैं कि दोस्त बड़े नसीब से मिलते हैं, इसलिए दोस्त की याद मेरे लिए बहुत खास है। उन्होंने धर्मेंद्र की ज़िंदगी के अनछुए पहलुओं को बयां करते हुए कहा कि हरेक भारतीय अभिनेता को राजस्थान की लोकेशंस पसंद आती हैं, लेकिन धर्मेंद्र पाजी इस मामले में बहुत अलग थे।

उन्हें लोकेशंस से ज्यादा जहां वह शूटिंग कर रहे होते थे, वहां की पृष्ठभूमि ज्यादा लुभाती थी। इसलिए वे सेट पर ही लोगों से मिलना-जुलना शुरू कर देते थे। ऐसे में शूटिंग के दौरान परेशानी भी होती थी, लेकिन वह कहते थे लोगों के बीच रहने से उनके दिल को सुकून मिलता है। जिसका परिणाम यह होता था कि लोग उनके लिए चूल्हे पर बना खाना लाया करते थे।

दोस्त की ताकत और हिम्मत को सलाम

बोकाडिया ने हैरान कर देने वाली एक फिल्मी घटना का राज बताते हुए अपने दोस्त की हिम्मत और ताकत के जज्बे को सलाम किया। उन्होंने कहा कि 1984 में रिलीज हुई फिल्म 'इंसाफ कौन करेगा' के एक दृश्य में अभिनेता रजनीकांत को खुले टाइगर के बीच छोड़ दिया जाता है। जिसमें रजनीकांत को बचाने के लिए धर्मेंद्र को आगे आना होता है।

इस दृश्य को फिल्माने के लिए एक पालतू टाइगर को लिया गया। वो टाइगर काफी लंबा था, जिसे देखकर धर्मेंद्र ने उसके केयर टेकर से उसके वजन और हाइट की तारीफ की थी। ऐसे में केयर टेकर ने टाइगर के दोनों पांवों को धर्मेंद्र के सीने पर टिका दिया था, जिससे एक बारी तो हम सब डर गए, लेकिन धर्मेंद्र ने उससे पहले दोस्ती की और फिर अपने चिरपरिचित अंदाज में 'हीमैन' की तरह लड़ने लगे। यह दृश्य देखकर सेट पर मौजूद सभी लोग उनकी हिम्मत और ताकत को सलाम करने लगे।

ऊंटों के काफिले में खोए तो बोले लोगों के दिलाें में ढूंढो

राजस्थान के पुष्कर का वाकया सुनाते हुए बोकाडिया कहते हैं कि एक फिल्म की शूटिंग के दौरान अमरीश पुरी, शक्ति कपूर, प्राण, जयाप्रदा और रजनीकांत के साथ ही धर्मेंद्र को लेकर दृश्य फिल्माया जा रहा था, जिसमें धर्मेंद्र ऊंट पर बैठकर रेतीले टीलों में आगे बढ़ गए। ऐसे में साथी कलाकार घबरा गए और रजनीकांत और हम सब ने उन्हें तलाश किया तो वह ऊंटों के काफिले के बीच मिले।

इस बीच उन्होंने जोशिले अंदाज में कहा था कि मुझे ढूंढना है तो लोगों के दिलों में ढूंढना। उनकी यह बात सुनकर सेट पर मौजूद सभी साथी कलाकार उनकी जिंदादिली की तारीफ करने लगे थे। बोकाडिया ने कहा कि मेरे लिए धर्मेंद्र पाजी "शेर-ए-हिंदुस्तान" और शेरे फिल्मिस्तान से कम नहीं थे। जो अपने दोस्तों को बचाने के लिए जान की बाजी लगाने से भी नहीं डरते थे। ऐसे 'हीमैन' को मेरा आखिरी सलाम।