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Palace on Wheels: रेल की पटरी पर दौड़ता शाही महल ‘पैलेस ऑन व्हील्स’, बार से लेकर स्पा तक… जानें क्या है किराया ?

'पैलेस ऑन व्हील्स' भारत की पहली लग्जरी ट्रेन है जिसे साल 1982 में राजस्थान पर्यटन निगम और भारतीय रेलवे ने मिलकर शुरू किया था। ये ट्रेन एक चलती फिरती शाही हवेली है जो आज भी यात्रियों को वही मेहमान नवाजी का अनुभव कराती है जिसके लिए भारत दुनिया में विख्यात है।

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जयपुर

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Kamal Mishra

Nov 06, 2025

Palace on Wheels

पैलेस ऑन व्हील्स ट्रेन के अंदर का नजारा (फोटो- ऑफिसियल वेबसाइट)

जयपुर। रेत के टीलों, हवेलियों और किलों की धरती राजस्थान की पहचान सिर्फ ऊंट और महलों तक सीमित नहीं है। अब इस पहचान की सबसे खूबसूरत कड़ी फिर से पटरियों पर लौट आई है। 'पैलेस ऑन व्हील्स' भारत की वह शाही ट्रेन, जिसे कभी विदेशी सैलानियों का सपना कहा जाता था, दोबारा पूरी शान से दौड़ रही है।

आइए जानते है इसकी सुविधाओं के बारे में जो इसे बाकी ट्रेनों से अलग करती हैं, साथ ही जानिए सबसे कम कीमत में कैसे यात्रा की जा सकती है।

पैलेस ऑन व्हील्स में उपलब्ध शाही सुविधाएं

सांस्कृतिक स्वागत और लाइव शो

पैलेस ऑन व्हील्स में कदम रखते ही यात्रियों का स्वागत राजसी परंपरा के अनुरूप ढोल, नगाड़े, शहनाई, गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा और तिलक आरती के साथ किया जाता है। मेहमानों के लिए लाइव फॉक शो भी आयोजित किए जाते हैं जिसमें कालबेलिया नृत्य, मांड और घूमर जैसे लोकनृत्य शामिल हैं।

डीलक्स और सुपरडीलक्स केबिन

पैलेस ऑन व्हील्स के केबिन भारत की लग्जरी सुविधा का उदाहरण हैं। इस ट्रेन में कुल 15 फुल एसी कोच हैं और हर केबिन को राजघराने जैसा डिजाइन किया गया है। यहां मेहमान अपनी पसंद के अनुसार किसी भी शाही केबिन का चुनाव कर सकते हैं। जो यात्री शाही सुविधाएं और यादगार अनुभव चाहते हैं उनके लिए पैलेस ऑन व्हील्स के 39 डीलक्स और 2 सुपरडीलक्स केबिन उत्तम विकल्प हैं।

रॉयल डाइनिंग हॉल

ट्रेन का डाइनिंग अनुभव सबसे शानदार माना जाता है। पैलेस ऑन व्हील्स में डाइनिंग शाही और लग्जरी दोनों हैं। यात्रियों को अनोखा अनुभव देने के लिए स्वर्ण महल और शीश महल रेस्टोरेंट नाम रखा गया है। जहां विभिन्न प्रकार के व्यंजन उपलब्ध करवाए जाते हैं।

बार और स्पा

पैलेस ऑन व्हील्स में यात्रियों को शाही आराम और विलासिता का नया स्तर प्रदान किया जाता है। ट्रेन के बार में प्रीमियम ड्रिंक्स, कॉकटेल्स, क्लासिक इंडियन और फॉरेन वाइन उपलब्ध हैं। वहीं ऑन बोर्ड स्पा में यात्रियों को आधुनिक थेरेपीज, मसाज, हर्बल उपचार और वेलनेस से शाही ताजगी प्रदान की जाती है।

ट्रेन का रूट: कब कहां पहुंचती है ट्रेन और किन प्रसिद्ध स्थानों की यात्रा करवाती है ?

  • पैलेस ऑन व्हील्स यात्रियों को 8 दिन और 7 रात की यात्रा उपलब्ध कराती है।
  • यात्रा की शुरुआत शाम को दिल्ली के सफदरगंज रेलवे स्टेशन से होती है। दूसरे दिन ट्रेन जयपुर पहुंचती है, जहां आप आमेर का किला, हवामहल, शाही बाजारों में घूम सकते हैं।
  • तीसरे दिन ये ट्रेन सवाईमाधोपुर में रणथंभौर नेशनल टाइगर सफारी तक ले जाती है। उसी दिन शाम को चित्तौड़गढ़ किले के लाइट एंड साउंड शो में शामिल होकर आनंद लिया जाता है।
  • चौथे दिन पैलेस ऑन व्हील्स उदयपुर पहुंचती हैं। जहां आप सिटी पैलेस में ब्रेकफास्ट करके पिछोला झील में बोटिंग कर सकते हैं।
  • पांचवें दिन ट्रेन जैसलमेर पहुंचती है और सैम सैंड ड्यून्स में डेजर्ट सफारी कर सकते हैं। यहां रेत के टीले आकर्षण का केंद्र होते हैं।
  • यात्रा के छठे दिन ट्रेन जोधपुर का मेहरानगढ़ किला घूमने के बाद आगे रवाना होती है।
  • सातवें दिन भरतपुर के केवला देव पक्षी अभ्यारण के विचरण के बाद दोपहर में विश्वप्रसिद्ध आगरा के ताजमहल और आगरा का किला दिखाया जाता है।
  • आठवें दिन ये शाही यात्रा दिल्ली में ही समाप्त होती हैं।

साल 1982 में शुरू हुआ सफर

  • 'पैलेस ऑन व्हील्स' की शुरुआत 26 जनवरी 1982 को भारतीय रेलवे और राजस्थान पर्यटन विकास निगम (RTDC) ने मिलकर की थी।
  • उस दौर में यह भारत की पहली लक्जरी ट्रेन थी, जो ब्रिटिश वायसराय और राजपूताना के राजाओं के निजी कोच से प्रेरित थी। साल 1982 से लेकर अब तक करीब 50,000 से ज्यादा पर्यटक इस ट्रेन की सवारी कर चुके हैं।

कोरोना के बाद दोबारा रफ्तार

कोरोना महामारी के दौरान यह ट्रेन लगभग दो वर्षों तक बंद रही। लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों की वजह से न सिर्फ विदेशी पर्यटक घटे, बल्कि देशी यात्रियों की दिलचस्पी भी कम हुई।

अब हालात सुधरने के साथ ही 'पैलेस ऑन व्हील्स' ने फिर से पटरी पकड़ी है। 2025-26 के सीजन में ट्रेन की बुकिंग फिर बढ़ने लगी है। पहले जहां औसत ऑक्यूपेंसी 35–40 प्रतिशत रह जाती थी, अब यह 60 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, मौजूदा समय में इस ट्रेन को काफी कम यात्रियों के साथ सफर तय करना पड़ रहा है।

पैलेस ऑन व्हील्स में यात्रा करना चाहते हैं तो क्या करें?

यदि आप पैलेस ऑन व्हील्स ट्रेन में यात्रा करना चाहते हैं तो सबसे पहले पैलेस ऑन व्हील्स की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर टिकट बुक करें। कम से कम 65 दिन पहले टिकट बुक करें। अगर आपके पास एक बार में सारा पैसा नहीं है तो आप 25% के साथ भी टिकट बुक कर सकते हैं लेकिन आपको 75% पैसा भी 65 दिन के पहले ही जमा करना होगा नहीं तो आपकी टिकट पक्की नहीं मानी जाएगी। पैलेस ऑन व्हील्स टिकट की कीमतें इस बात पर निर्भर करती हैं की आप कौनसे प्रकार की ऑक्युपेंसी का चुनाव करते हैं।

सीजन के हिसाब से ट्रेन का किराया

  • टिकट की शुरुआत लो सीजन ( अप्रैल से सितंबर) में रु5,36,711 से शुरू होती है।
  • पैलेस ऑन व्हील्स की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार किराया 2 हिस्सों में विभाजित है।
  • लीन सीजन ( अक्टूबर से मार्च)
  • लो सीजन ( अप्रैल से सितंबर)

मई से अगस्त के बीच कोई ट्रेन उपलब्ध नहीं होती है इसके अलावा कुछ तारीखों पर अतिरिक्त शुल्क भी लग सकते हैं।

किराया- पहले और अब

कोरोना से पहले (2019-20)

  • डबल ऑक्यूपेंसी (प्रति व्यक्ति) – करीब ₹45,000 प्रति रात
  • सिंगल ऑक्यूपेंसी – ₹65,000 प्रति रात

अब (2025-26 सीजन)

  • डबल ऑक्यूपेंसी (प्रति व्यक्ति) – ₹80,000 प्रति रात
  • सिंगल ऑक्यूपेंसी – ₹1,23,000 प्रति रात
  • सुपर डीलक्स केबिन – ₹2.25 लाख प्रति रात
  • प्रेसिडेंशियल सुइट – ₹2.87 लाख प्रति रात

इस तरह देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में किराए में औसतन 60-70% की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, अब यात्रियों के लिए कुछ ऑफर भी जारी किए जा रहे हैं ताकि बुकिंग बढ़ाई जा सके। यदि आप एक टिकट लेते हैं तो दूसरी टिकट आधे दाम पर मिलेगी।

यात्रियों की संख्या में उतार-चढ़ाव

RTDC के आंकड़ों के मुताबिक-

  • 2014-15 में: 2098 यात्रियों से ₹35.7 करोड़ की आमदनी।
  • 2017-18 में: 1498 यात्रियों से ₹27.5 करोड़।
  • 2020-21 (कोविड काल): संचालन पूरी तरह बंद।
  • 2023-24 में: लगभग 1800 यात्रियों के साथ आय फिर से ₹30 करोड़ के पार।

ट्रेन में अब धीरे-धीरे देशी पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है। पहले जहां यात्रियों में 80% विदेशी होते थे, अब भारतीय सैलानियों का हिस्सा 40% तक पहुंच चुका है।

अंतर अब सिर्फ कीमत में नहीं, नजरिए में भी

कोरोना के पहले 'पैलेस ऑन व्हील्स' को केवल विदेशी यात्रियों के लिए लक्जरी ट्रेन के रूप में प्रमोट किया जाता था। अब राजस्थान पर्यटन विभाग ने फोकस भारतीय पर्यटकों पर भी किया है। टीवी विज्ञापनों और डिजिटल मीडिया के जरिए अब यह संदेश दिया जा रहा है- 'शाही सैर सिर्फ राजाओं के लिए नहीं, आपके लिए भी है।'

'विरासत अब भी जिंदा है'

'पैलेस ऑन व्हील्स' सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि राजस्थान की संस्कृति, रंग और रॉयल्टी की जीवंत झलक है। यह यात्रा इतिहास और आधुनिकता के संगम का अनुभव कराती है। जहां एक ओर मेहरानगढ़ की तोपों की गूंज है, वहीं दूसरी ओर सैम के टीलों पर ढलते सूरज की लालिमा। रेल की पटरी पर दौड़ता यह शाही महल एक बार फिर बता रहा है कि 'रफ्तार भले धीमी हुई थी, पर विरासत अब भी जिंदा है।'