
पैलेस ऑन व्हील्स ट्रेन के अंदर का नजारा (फोटो- ऑफिसियल वेबसाइट)
जयपुर। रेत के टीलों, हवेलियों और किलों की धरती राजस्थान की पहचान सिर्फ ऊंट और महलों तक सीमित नहीं है। अब इस पहचान की सबसे खूबसूरत कड़ी फिर से पटरियों पर लौट आई है। 'पैलेस ऑन व्हील्स' भारत की वह शाही ट्रेन, जिसे कभी विदेशी सैलानियों का सपना कहा जाता था, दोबारा पूरी शान से दौड़ रही है।
आइए जानते है इसकी सुविधाओं के बारे में जो इसे बाकी ट्रेनों से अलग करती हैं, साथ ही जानिए सबसे कम कीमत में कैसे यात्रा की जा सकती है।
पैलेस ऑन व्हील्स में कदम रखते ही यात्रियों का स्वागत राजसी परंपरा के अनुरूप ढोल, नगाड़े, शहनाई, गुलाब की पंखुड़ियों की वर्षा और तिलक आरती के साथ किया जाता है। मेहमानों के लिए लाइव फॉक शो भी आयोजित किए जाते हैं जिसमें कालबेलिया नृत्य, मांड और घूमर जैसे लोकनृत्य शामिल हैं।
पैलेस ऑन व्हील्स के केबिन भारत की लग्जरी सुविधा का उदाहरण हैं। इस ट्रेन में कुल 15 फुल एसी कोच हैं और हर केबिन को राजघराने जैसा डिजाइन किया गया है। यहां मेहमान अपनी पसंद के अनुसार किसी भी शाही केबिन का चुनाव कर सकते हैं। जो यात्री शाही सुविधाएं और यादगार अनुभव चाहते हैं उनके लिए पैलेस ऑन व्हील्स के 39 डीलक्स और 2 सुपरडीलक्स केबिन उत्तम विकल्प हैं।
ट्रेन का डाइनिंग अनुभव सबसे शानदार माना जाता है। पैलेस ऑन व्हील्स में डाइनिंग शाही और लग्जरी दोनों हैं। यात्रियों को अनोखा अनुभव देने के लिए स्वर्ण महल और शीश महल रेस्टोरेंट नाम रखा गया है। जहां विभिन्न प्रकार के व्यंजन उपलब्ध करवाए जाते हैं।
पैलेस ऑन व्हील्स में यात्रियों को शाही आराम और विलासिता का नया स्तर प्रदान किया जाता है। ट्रेन के बार में प्रीमियम ड्रिंक्स, कॉकटेल्स, क्लासिक इंडियन और फॉरेन वाइन उपलब्ध हैं। वहीं ऑन बोर्ड स्पा में यात्रियों को आधुनिक थेरेपीज, मसाज, हर्बल उपचार और वेलनेस से शाही ताजगी प्रदान की जाती है।
कोरोना महामारी के दौरान यह ट्रेन लगभग दो वर्षों तक बंद रही। लॉकडाउन और अंतरराष्ट्रीय यात्रा प्रतिबंधों की वजह से न सिर्फ विदेशी पर्यटक घटे, बल्कि देशी यात्रियों की दिलचस्पी भी कम हुई।
अब हालात सुधरने के साथ ही 'पैलेस ऑन व्हील्स' ने फिर से पटरी पकड़ी है। 2025-26 के सीजन में ट्रेन की बुकिंग फिर बढ़ने लगी है। पहले जहां औसत ऑक्यूपेंसी 35–40 प्रतिशत रह जाती थी, अब यह 60 फीसदी तक पहुंचने की उम्मीद है। हालांकि, मौजूदा समय में इस ट्रेन को काफी कम यात्रियों के साथ सफर तय करना पड़ रहा है।
यदि आप पैलेस ऑन व्हील्स ट्रेन में यात्रा करना चाहते हैं तो सबसे पहले पैलेस ऑन व्हील्स की आधिकारिक वेबसाइट पर जाकर टिकट बुक करें। कम से कम 65 दिन पहले टिकट बुक करें। अगर आपके पास एक बार में सारा पैसा नहीं है तो आप 25% के साथ भी टिकट बुक कर सकते हैं लेकिन आपको 75% पैसा भी 65 दिन के पहले ही जमा करना होगा नहीं तो आपकी टिकट पक्की नहीं मानी जाएगी। पैलेस ऑन व्हील्स टिकट की कीमतें इस बात पर निर्भर करती हैं की आप कौनसे प्रकार की ऑक्युपेंसी का चुनाव करते हैं।
मई से अगस्त के बीच कोई ट्रेन उपलब्ध नहीं होती है इसके अलावा कुछ तारीखों पर अतिरिक्त शुल्क भी लग सकते हैं।
इस तरह देखा जाए तो पिछले कुछ वर्षों में किराए में औसतन 60-70% की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि, अब यात्रियों के लिए कुछ ऑफर भी जारी किए जा रहे हैं ताकि बुकिंग बढ़ाई जा सके। यदि आप एक टिकट लेते हैं तो दूसरी टिकट आधे दाम पर मिलेगी।
ट्रेन में अब धीरे-धीरे देशी पर्यटकों की संख्या भी बढ़ रही है। पहले जहां यात्रियों में 80% विदेशी होते थे, अब भारतीय सैलानियों का हिस्सा 40% तक पहुंच चुका है।
कोरोना के पहले 'पैलेस ऑन व्हील्स' को केवल विदेशी यात्रियों के लिए लक्जरी ट्रेन के रूप में प्रमोट किया जाता था। अब राजस्थान पर्यटन विभाग ने फोकस भारतीय पर्यटकों पर भी किया है। टीवी विज्ञापनों और डिजिटल मीडिया के जरिए अब यह संदेश दिया जा रहा है- 'शाही सैर सिर्फ राजाओं के लिए नहीं, आपके लिए भी है।'
'पैलेस ऑन व्हील्स' सिर्फ एक ट्रेन नहीं, बल्कि राजस्थान की संस्कृति, रंग और रॉयल्टी की जीवंत झलक है। यह यात्रा इतिहास और आधुनिकता के संगम का अनुभव कराती है। जहां एक ओर मेहरानगढ़ की तोपों की गूंज है, वहीं दूसरी ओर सैम के टीलों पर ढलते सूरज की लालिमा। रेल की पटरी पर दौड़ता यह शाही महल एक बार फिर बता रहा है कि 'रफ्तार भले धीमी हुई थी, पर विरासत अब भी जिंदा है।'
Published on:
06 Nov 2025 06:30 am
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