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छत्तीसगढ़ी में MA करने वाले बेरोजगार… भाषा को सम्मान मिला, लेकिन नौकरी का हक नहीं, जानें वजह व समाधान!

MA in Chhattisgarhi: छत्तीसगढ़ को राज्य बने 25 साल पूरे होने को हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने बार-बार दावा किया कि छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा दिया जाएगा।

छत्तीसगढ़ी में एमए कर चुके युवाओं का दर्द (फोटो सोर्स- पत्रिका)
छत्तीसगढ़ी में एमए कर चुके युवाओं का दर्द (फोटो सोर्स- पत्रिका)

MA in Chhattisgarhi: छत्तीसगढ़ को राज्य बने 25 साल पूरे होने को हैं। इस दौरान राज्य सरकार ने बार-बार दावा किया कि छत्तीसगढ़ी भाषा को बढ़ावा दिया जाएगा। स्कूलों में छत्तीसगढ़ी पढ़ाई जाने लगी, विश्वविद्यालयों में स्नातक और स्नातकोत्तर पाठ्यक्रम शुरू हुए। लेकिन हकीकत यह है कि पिछले 12 सालों में 500 से ज्यादा छात्र-छात्राओं ने छत्तीसगढ़ी भाषा में एमए किया, लेकिन इनमें से किसी को भी सरकारी नौकरी नहीं मिली। यह आंकड़ा राज्य की भाषा नीति पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

भाषा को लेकर बड़े-बड़े वादे, लेकिन रोजगार शून्य

जब छत्तीसगढ़ राज्य बना था, तब से लगातार यह मांग उठती रही कि छत्तीसगढ़ी को राजभाषा के रूप में लागू किया जाए और सरकारी नौकरियों में इसका महत्व बढ़ाया जाए। 2013 में छत्तीसगढ़ी को स्कूल शिक्षा में शामिल किया गया और विश्वविद्यालयों में एमए की डिग्री शुरू हुई। हर साल औसतन 40-50 छात्र एमए में दाखिला लेते रहे। लेकिन रोजगार के अवसर न के बराबर रहे। बता दें कि राज्य के पांच सरकारी और निजी विश्वविद्यालयों में एमए छत्तीसगढ़ी की पढ़ाई कराई जा रही है। अब तक 500 से ज्यादा विद्यार्थियों ने छत्तीसगढ़ी भाषा में मास्टर डिग्री प्राप्त की है। हालांकि इन्हें रोजगार देने के लिए सरकार के पास कोई भी कोई योजना नहीं है।

पूर्व मुख्यमंत्री और मंत्री कर चुके घोषणा

छत्तीसगढ़ी भाषा में एमए की पढ़ाई करने वालों के लिए सरकारी नौकरी देने की घोषणा पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भी मुयमंत्री रहते हुए किया था लेकिन उनके द्वारा कोई भी आगे कार्य नहीं किया गया। ऐसे ही सांसद बृजमोहन अग्रवाल ने शिक्षा मंत्री रहते हुए भी छत्तीसगढ़ी में एमए करने वाले छात्रों के लिए नौकरी की घोषणा की थी। लेकिन आगे इसमें भी कुछ नहीं हो पाया।

रोजगार योजनाओं का अभाव, रेकॉर्ड भी नहीं

हाल ही में विधानसभा में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने एक सवाल के जवाब में बताया था कि छत्तीसगढ़ी भाषा में मास्टर डिग्री प्राप्त करनेे वाले विद्यार्थियों को रोजगार या नौकरी देने के लिए राज्य सरकार की कोई योजना नहीं है। इसके अलावा, सरकार के पास नौकरी पाने वाले डिग्रीधारी विद्यार्थियों की संख्या का रिकॉर्ड भी नहीं है।

रोजगार के अवसरों की कमी

रोजगार के अवसरों की कमी से डिग्रीधारकों में निराशा है। पं. रविवि के एमए छत्तीसगढ़ी छात्र संगठन सालों से इसके लिए मांग कर रहे हैं। उनकी मांग है कि राज्य के स्कूलों में अनिवार्य रूप से छत्तीसगढ़ी भाषा की पढ़ाई हो, सरकारी काम-काज की भाषा छत्तीसगढ़ी बने, स्नातक व स्नातकोत्तर स्तर में छत्तीसगढ़ी भाषा को अनिवार्य रूप से पढ़ाया जाए, रोजगार में छत्तीसगढ़ी, त्रिभाषा फार्मूला के तहत प्रदेश की राजभाषा छत्तीसगढ़ी में पढ़ाई हो, सरकारी कार्यालय में छत्तीसगढ़ी अनुवादक के रूप में डिग्रीधारियों की भर्ती हो, राजभाषा आयोग में राजभाषा अधिकारी के रूप में नियुक्ति दी जाए। इससे की बेरोजगार युवाओं को रोजगार मिल सके।

एमए छत्तीसगढ़ी करने वालों की मुश्किलें

कोई अलग भर्ती प्रक्रिया नहीं - छत्तीसगढ़ी पढ़ाने के लिए न शिक्षक भर्ती निकाली जाती है, न ही अनुवादक या रिसर्च असिस्टेंट की कोई स्थायी पोस्ट होती है।

सीमित प्राइवेट अवसर - निजी संस्थानों में भी छत्तीसगढ़ी पढ़ाने का ज्यादा स्कोप नहीं है।

रोजगार की गारंटी नहीं - छात्रों को मजबूरी में प्रतियोगी परीक्षाओं या अन्य क्षेत्रों में करियर तलाशना पड़ता है।

समाधान क्या हो सकता है?

भाषा शिक्षक भर्ती: स्कूल और कॉलेजों में छत्तीसगढ़ी के लिए स्थायी पद सृजित किए जाएं।
अनुवादक एवं रिसर्च पद: सरकारी दस्तावेजों और योजनाओं का छत्तीसगढ़ी में अनुवाद करने के लिए भर्ती हो।
लोकल मीडिया और डिजिटल प्लेटफॉर्म पर प्रोत्साहन: छत्तीसगढ़ी में समाचार, फिल्म, OTT कंटेंट को बढ़ावा देकर युवाओं को रोजगार का मौका मिले।
भाषा को प्रशासनिक कामकाज में शामिल करना: आदेश, नोटिस और सरकारी पत्राचार में छत्तीसगढ़ी का प्रयोग बढ़ाया जाए।