
राहुल भाटिया एक समय ट्रैवल एजेंसी चलाते थे। (PC: Indigo)
राहुल भाटिया कहां है? इंडिगो एयरलाइंस की सैकड़ों फ्लाइट्स कैंसिल होने के कारण लाखों मुसाफिरों को धक्के खाने पड़ रहे हैं और इसके प्रमोटर राहुल भाटिया का कहीं पता नहीं चल रहा है। बीती 1 दिसंबर से 7 दिसंबर तक, इंडिगो ने 2,100 से अधिक फ्लाइट्स कैंसल कीं। 6 दिसंबर को अकेले 385 फ्लाइट्स कैंसल हुईं, जिसमें बेंगलुरु में 124, मुंबई में 109 और दिल्ली में 86 शामिल थीं। इतने बड़े क्राइसेस पर राहुल भाटिया की चुप्पी की वजह समझ से परे है।
राहुल और उनके पिता कपिल भाटिया को करीब से जानने वाले बताते हैं कि ये मूल रूप से राजधानी दिल्ली के सदर बाजार के बस्ती हरफूल सिंह से हैं। इनका पहला दफ्तर सदर बाजार में ही था। वहां पर पिता-पुत्र एयरलाइंस की टिकटें बेचा करते थे। पर इन्हें जल्दी समझ आ गया कि एयरलाइंस बिजनेस बढ़ाने के लिए किसी बेहतर जगह में दफ्तर होना चाहिए। इसलिए कनॉट प्लेस के पी ब्लॉक में आफिस शुरू किया। उसके बाद इन्होंने पीछे मुड़ कर नहीं देखा। वायुदूत एयरलाइंस के फाउंडर चेयरमेन हर्षवर्धन कहते हैं कि राहुल भाटिया आगे इसलिए बढ़े क्योंकि इन्होंने सही वक्त पर सही फैसले लिए। हालांकि, वह यह भी कहते हैं कि उन्होंने अपने पैरों पर कुल्हाड़ी मार ली है। उनके लिए आने वाले वाला समय आसान नहीं होगा।
आपको कनॉट प्लेस के 'पी' ब्लॉक में अब भी बहुत से शो-रूम और उनमें काम करने वाले मुलाजिम मिल जाएंगे जिन्होंने राहुल भटिया को अपने पिता कपिल भाटिया की ट्रेवल एजेंसी 'दिल्ली एक्सप्रेस' में आते-जाते देखा है। 'दिल्ली एक्सप्रेस' का दफ्तर अब बंद हो चुके मद्रास होटल के पास ही था। ये 1980 और 1990 के दौर की बातें हैं। राहुल भाटिया तब कनाडा में पढ़ रहे थे। वे दिल्ली आते तो अपने दफ्तर में बैठते भी थे। उस दौर में अपने देश में गिनती के ही लोग विमान से सफर किया करते थे। दिल्ली एक्सप्रेस का काम ठीक-ठाक था। दिल्ली एक्सप्रेस कुछ अतरराष्ट्रीय एयरलाइंसों की एजेंट थी। आप कह सकते हैं कि यह सिर्फ इन्हीं एयरलाइंस की टिकट बुक किया करती थी। आर्थिक उदारीकरण के बाद देश के एविएशन सेक्टर की तस्वीर बदलने लगी। इस बीच राहुल कनाडा से वापस आ गए थे। अब वह पूरी तरह काम में पिता का हाथ बंटाने लगे थे।
राहुल भाटिया कनाडा से मैनेजमेंट की डिग्री लेकर आए थे। अपनी ट्रेवल एजेंसी की ग्रोथ से वह संतुष्ट नहीं थे। वो बड़ी छलांग लगाना चाहते थे। इसी दौरान, भाटिया परिवार ने 'दिल्ली एक्सप्रेस' अपने पार्टनर को बेच दी और 'इंटर ग्लोब ट्रेवल एजेंसी' नाम से नया काम शुरू किया। इसका काम चमकने लगा। इस बीच, सरकार ने 1993 में देश में प्राइवेट एयरलाइंस शुरू करने के लिए लाइसेंस देने शुरू किए। इसके बाद डक्कन एविएशन, जेट एयरवेज वगैरह शुरू हुईं। ये सब राहुल भाटिया देख रहे थे। उनका भी अरमान था कि वे भारत में अपनी एयरलाइंस शुरू करें। कनॉट प्लेस में भाटिया परिवार के पड़ोसी रहे रज्जी राय बताते हैं कि राहुल भाटिया बहुत महत्वांकाक्षी थे।
राहुल ने अमेरिका में रहने वाले दोस्त राकेश गंगवाल से नई एयरलाइंस शुरू करने के बारे में बात की। दोनों ने अपनी य़ोजना पर काम किया। राकेश फाइनेंस मामलों के एक्सपर्ट थे। आखिर इनका वक्त आया 2006 में। इन्होंने इंडिगो एयरलाइंस लांच कर दी।
राहुल भाटिया के पार्टनर राकेश गंगवाल ने कुछ समय पहले इंडिगो की अपनी हिस्सेदारी बेच दी है। मतलब अब राहुल इंडिगो के एकछत्र मालिक हैं। एविएशन सेक्टर के जानकार और चार्टर्ड एकाउंटेंट राजन धवन ने राहुल को तब से देखा है, जब वह कनॉट प्लेस से ऑपरेट करते थे। वे कहते हैं कि इंडिगो के हालिया संकट से इसकी छवि बुरी तरह खराब हुई है। अब इसे सरकार की सख्ती का सामना करना पड़ेगा। राहुल भाटिया को जवाब देना होगा कि उनकी एयरलाइंस की करतूत के कारण भारत के एविशन सेक्टर की इमेज को कितना झटका लगा है। उन्हें हैरानी इस बात की है कि वे अपनी तरफ से कुछ भी नहीं बोल रहे। मुसाफिरों से माफी नहीं मांग रहे।
फिलहाल तो राहुल भाटिया की नींद हराम होगी। सारा देश इंडिगो को कोस रहा है। 1 से 7 दिसंबर तक, इंडिगो ने 2,100 से अधिक फ्लाइट्स कैंसल कीं। कंपनी के 20 वर्षों के इतिहास में इतना बड़ा व्यवधान कभी नहीं आया। इसके कारण बहुआयामी थे। क्रू शॉर्टेज (नवंबर में 755 कैंसिलेशन क्रू से संबंधित), फ्लाइट ड्यूटी टाइम लिमिट (FDTL) नियमों का सख्ती से पालन, खराब मौसम, एयर ट्रैफिक कंट्रोल फेलियर और तकनीकी 'रीबूट'। इन वजहों के चलते एयरपोर्ट्स पर अव्यवस्था मच गई। सारे देश का एविएशन सेक्टर घुटनों पर आ गया। देश भर के हवाई अड्डों पर हजारों यात्री फंस गए। दिल्ली, मुंबई, बेंगलुरु, हैदराबाद जैसे प्रमुख एयरपोर्ट पर लंबी-लंबी कतारें लगी रहीं, लोग रात भर टर्मिनल में सोते नजर आए। छोटे बच्चों और बुजुर्गों को सबसे ज्यादा परेशानी हुई। कई यात्रियों की शादियां, नौकरियों के इंटरव्यू, मेडिकल इमरजेंसी तक प्रभावित हुईं। सोशल मीडिया पर #IndiGoChaos ट्रेंड करने लगा और गुस्साए यात्रियों ने वीडियो पोस्ट कर एयरलाइन की लापरवाही को उजागर किया।
इंडिगो ने आधिकारिक तौर पर कारण बताया कि खराब मौसम, कुछ विमानों में तकनीकी खराबी और क्रू मेंबर्स की कमी के चलते यह कदम उठाना पड़ा। लेकिन हकीकत यह है कि ये सभी समस्याएं नई नहीं हैं। पिछले दो-तीन साल में इंडिगो ने आक्रामक तरीके से फ्लीट बढ़ाया है, पर मेंटेनेंस, पायलट ट्रेनिंग और ग्राउंड स्टाफ की भर्ती उस रफ्तार से नहीं बढ़ी। नतीजा यह कि छोटी-मोटी दिक्कतें भी बड़े संकट में बदल जाती हैं। साथ ही, कंपनी ने ओवर-बुकिंग और अत्यधिक शेड्यूलिंग की नीति अपनाई हुई है, जिसमें एक विमान के लेट होने पर पूरी चेन प्रभावित होती है।
यह घटना सिर्फ इंडिगो की नहीं, बल्कि पूरे भारतीय एविएशन सेक्टर की कमजोर कड़ियों को उजागर करती है। एक तरफ हम 2030 तक दुनिया का तीसरा सबसे बड़ा एविएशन मार्केट बनने का सपना देख रहे हैं, दूसरी तरफ बुनियादी समस्याएं जस की तस हैं।
भविष्य में इस तरह के संकट से बचने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने होंगे। पहला, इंडिगो को अपनी क्षमता से ज्यादा शेड्यूल बनाने की आदत छोड़नी होगी। दूसरा, मेंटेनेंस और स्पेयर पार्ट्स की समस्या का स्थायी हल निकालना होगा। अभी ज्यादातर एयरलाइंस विदेशी MRO (मेंटेनेंस, रिपेयर और ओवरहाल) पर निर्भर हैं। सरकार को भारत में ही विश्वस्तरीय MRO हब बनाने के लिए टैक्स छूट और जमीन जैसे इंसेंटिव देने होंगे। एक बात और। पायलट और केबिन क्रू की कमी से निपटने के लिए दूरंदेशी भर्ती और ट्रेनिंग जरूरी है। अभी ज्यादातर एयरलाइंस 'जैसे-तैसे' काम चला रही हैं। DGCA को सख्ती से पायलट-टू-कॉकपिट रेशियो और ड्यूटी टाइम लिमिट लागू करानी होगी। यात्रियों के अधिकारों को मजबूत करना होगा। सरकार को जल्दी से “यात्री अधिकार चार्टर” लागू करना चाहिए।
सभी एयरलाइंस को पारदर्शिता दिखानी होगी। इंडिगो देश की सबसे बड़ी और भरोसेमंद एयरलाइन रही है, लेकिन यह संकट उसकी विश्वसनीयता पर बट्टा लगा गया है। अगर कंपनी और नियामक मिलकर ऊपर बताए कदम नहीं उठाते, तो आने वाले वर्षों में ऐसे संकट बार-बार देखने को मिलेंगे। यात्रियों का गुस्सा सिर्फ सोशल मीडिया तक सीमित नहीं रहेगा, वे दूसरी एयरलाइंस या ट्रेन का रुख कर लेंगे। भारतीय एविएशन के सुनहरे भविष्य के लिए यह सही वक्त है कि सबक लिया जाए और सुधार शुरू किया जाए।
Published on:
08 Dec 2025 10:59 am
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