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Crimes against STs: देश में 29% बढ़ोतरी, सबसे ज्यादा मणिपुर में, मध्य प्रदेश दूसरे और राजस्थान तीसरे स्थान पर रहे : NCRB Reports

Crimes cases against STs: मणिपुर में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों में सर्वाधिक तेजी दर्ज की गई है। 2020 में यहां अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ एक भी अपराध दर्ज नहीं हुआ था। NCRB रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में मध्य प्रदेश दूसरे और राजस्थान तीसरे स्थान पर रहा।

Crime Against Scheduled Tribes Cast
देश में ST के खिलाफ अपराध में 29% बढ़ोतरी दर्ज की गई है (Photo: IANS)

NCRB Reports 2023: राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (NCRB) द्वारा जारी नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, अनुसूचित जनजातियों (STs) के खिलाफ अपराधों में पिछले वर्ष की तुलना में 2023 में 28.8 प्रतिशत की बढ़ोतरी दर्ज की गई है। देश भर में 2023 में कुल 12,960 मामले दर्ज किए गए जबकि 2022 में 10,064 मामले सामने आए थे।

वहीं राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की वर्ष 2022 की 'भारत में अपराध' रिपोर्ट के अनुसार, भारत में दलित जाति-आधारित अत्याचारों के प्रति संवेदनशील बने हुए हैं। अनुसूचित जातियों (एससी) के विरुद्ध अपराध के कुल 57,582 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 (50,900 मामले) की तुलना में 13.1% अधिक है। अपराध दर 2021 में 25.3 से बढ़कर 2022 में 28.6 हो गई।

अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध में मणिपुर टॉप पर

Manipur violence between the Meitei and Kuki-Zo Sharp rise: मणिपुर में वर्ष 2022 में सिर्फ एक मामला अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ दर्ज किया गया था लेकिन वर्ष 2023 में अप्रत्याशित बढ़ोतरी दर्ज की गई। वर्ष 2023 में 3,399 मामले दर्ज किए गए। 2022 में सिर्फ एक मामला दर्ज किया जबकि वर्ष 2021 में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराध का एक भी मामला सामने नहीं आया था। राज्य में मई 2023 से मैतेई और कुकी-जो समुदायों के बीच जातीय हिंसा (Meitei and Kuki-Zo communities Clash in Manipur) जारी है।

Crimes against STs: एमपी दूसरे और राजस्थान तीसरे स्थान पर

राज्यवार आंकड़ों के अनुसार, मध्य प्रदेश में अनुसूचित जनजातियों के खिलाफ अपराधों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या 2,858 मामलों के साथ दर्ज की गई जबकि 2022 में यह संख्या 2,979 और 2021 में 2,627 थी। इसके बाद राजस्थान रहा, जहां 2023 में 2,453 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 में 2,521 मामलों से कम है, लेकिन 2021 में 2,121 मामलों से अधिक है।

राजस्थान में पांच सालों में 56,879 मामले दर्ज हुए

राजस्थान पुलिस के आंकड़ों के अनुसार, 2017 से 2023 के बीच अनुसूचित जाति/अनुसूचित जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत 56,879 मामले दर्ज किए गए। 2018 से 2022 तक दलितों और आदिवासियों के खिलाफ अपराधों में औसतन 22 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। इस बीच, 2022 में दोषसिद्धि दर 22.38 प्रतिशत रही, जबकि 2020 में यह 27.49 प्रतिशत थी।

Crime against Women: महिलाओं के खिलाफ अपराध बढ़े

सोमवार को जारी 2023 के एनसीआरबी आंकड़ों से यह भी पता चला है कि उस वर्ष महिलाओं के खिलाफ अपराध के कुल 4,48,211 मामले दर्ज किए गए, जो 2022 में 4,45,256 मामलों की तुलना में 0.7% की वृद्धि दर्शाता है।

(File Photo: Kuntal Chakrabarty/IANS)

महिला के खिलाफ पति या रिश्तेदार की क्रूरता सबसे ज्यादा

एनसीआरबी की रिपोर्ट के अनुसार, "महिलाओं के खिलाफ अपराध के तहत ज़्यादातर मामले पति या रिश्तेदारों द्वारा क्रूरता के तहत दर्ज किए गए, जिनकी संख्या 1,33,676 (29.8 प्रतिशत) थी। महिलाओं के अपहरण के 88,605 मामले (19.8 प्रतिशत), महिलाओं के खिलाफ यौन उत्पीड़न के 83,891 मामले (18.71 प्रतिशत) और यौन अपराधों से बच्चों का संरक्षण (पॉक्सो) अधिनियम के तहत 66,232 मामले (14.8 प्रतिशत) दर्ज किए गए। 2023 में प्रति लाख महिला आबादी पर दर्ज अपराध दर 66.2 थी, जबकि 2022 में यह 66.4 थी।"