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जेल में कैद निर्देशक ने कैदियों को लेकर बना दी अवॉर्ड विनिंग फिल्म- जाफर पनाहि की कहानी

Iranian filmmaker Jafar Panahi: पनाहि की ज़िंदगी की कहानी अंधेरे में उम्मीद और हौसला दिखाने वाली किसी फिल्मी कहानी सरीखी ही है।

Iranian director Jafar Panahi
फोटो डिजाइन पत्रिका, (फोटो सोर्स: द वाशिंटन पोस्ट)

ईरान के मशहूर फिल्म निर्देशक जाफर पनाहि (Jafar Panahi) की कहानी किसी थ्रिलर फिल्म से कम नहीं लगती। सरकार की पाबंदियों के बीच भी उन्होंने अपने कैमरे की रोशनी कभी बुझने नहीं दी। जेल में रहने, फिल्मों पर प्रतिबंध झेलने और छिप कर शूटिंग करने के बावजूद, उन्होंने सिनेमा को अपनी आजादी का जरिया बना लिया।

पनाहि का जन्म 11 जुलाई 1960 को ईरान के मियानेह में हुआ था। 65 वर्षीय जाफर पनाहि ने अपने करियर की शुरुआत डॉक्यूमेंट्री बनाने से की थी, लेकिन साल 1995 में उनकी फिल्म ‘The White Balloon’ ने उन्हें अंतरराष्ट्रीय पहचान दिलाई। इस फिल्म ने Cannes Film Festival में Camera d’Or Award जीता और पनाहि ईरानी सिनेमा की नई आवाज बन गए। इसके बाद उन्होंने ‘The Mirror’, ‘The Circle’, और ‘Offside’ जैसी फिल्मों से महिलाओं और समाज की असल कहानी को पर्दे पर उतारा।

द वाशिंटन में पोस्ट में प्रकाशित हुए जाफर पनाहि के इंटरव्यू से उनके संघर्ष की कहानी को समझते हैं। जाफर पनाहि ईरान के सबसे लोकप्रिय और सरकार के खिलाफ असहमति जताने वाले कलाकारों में गिने जाते हैं। संवेदनशील कहानीकार होने के साथ-साथ वह हाजिरजवाब भी हैं।

पनाहि ने झेली पाबंदी और नजरबंदी

पनाहि की फिल्मों में समाज और राजनीति की सच्चाई दिखाई देती थी और यही सच्चाई सरकार की आंखों में चुभने लगी। इसलिए साल 2010 में 'शासन विरोधी दुष्प्रचार' के आरोप में उन्हें गिरफ्तार किया गया और तेहरान की प्रसिद्ध एविन जेल में रखा गया। 6 साल की कैद के साथ उन पर 20 साल तक फिल्में नहीं बनाने की पाबंदी भी लाद दी गई। मगर उस कठिन दौर में भी जाफर ने अपनी एक बात से सबको चौंका दिया। उन्होंने कहा, “अगर मुझे कैमरे से दूर कर दिया गया, तो मैं अपनी आंखों से फिल्में बनाऊंगा।”

बता दें कि ये उनकी तीसरी गिरफ्तारी थी, और इसने उनका जीवन पूरी तरह बदल दिया था। तीन महीने बाद उन्हें जमानत पर रिहा तो किया गया, लेकिन 20 सालों तक फिल्म बनाने, विदेश यात्रा करने और पत्रकारों से बात करने पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया। साल 2023 तक ये प्रतिबंध लगे रहे।

पनाहि ने इंटरव्यू में कहा,

फोटो डिजाइन पत्रिका, (फोटो सोर्स: द वाशिंटन पोस्ट)

गुप्त कैमरों से लेकर वैश्विक मंच तक

सरकार द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के बावजूद, जाफर पनाहि ने रुकना नहीं सीखा। साल 2011 में उन्होंने अपने घर में छिपकर This Is Not a Film नाम की फिल्म बनाई। एक यूएसबी ड्राइव में इस फिल्म को कान फिल्म महोत्सव में भेजा गया। वहीं, 2015 की उनकी फिल्म Taxi को बर्लिन फिल्म फेस्टिवल में Golden Bear अवॉर्ड से नवाजा गया। इस फिल्म में उन्होंने ईरान की रोजमर्रा की जिंदगी का सजीव चित्रण किया था। ये पूरी फिल्म एक टैक्सी में ही शूट की गई थी। और 2022 में उनकी फिल्म 'No Bears' को वेनिस फेस्टिवल में जगह मिली। मगर इस वक्त भी वो जेल में ही थे।

भूख हड़ताल से मिली आजादी

2022 में पनाहि ने जेल में भूख हड़ताल शुरू की, जिसके बाद अंतर्राष्ट्रीय दबाव के चलते 2023 में उन्हें रिहा कर दिया गया। 2025 में, 20 साल बाद, जाफर पनाहि पहली बार Cannes Film Festival में पहुंचे। उनकी नई फिल्म It Was Just an Accident ने वहां Palme d’Or पुरस्कार जीता। यह जीत एक कलाकार की जिद और आज़ादी का प्रतीक बन गई।

आपको बता दें कि पनाहि उन कुछ निर्देशकों में से एक हैं जो अपनी यथार्थवादी फिल्मों के लिए Palme d’Or, Golden Lion और Golden Bear, तीनों प्रतिष्ठित पुरस्कार जीत चुके हैं। उनके अलावा ये सम्मान केवल रॉबर्ट ऑल्टमैन, माइकेल एंजेलो एंतोनियोनी और अंरि-जॉर्ज क्लूजो को मिला है।

It Was Just an Accident”: जेल से उपजी प्रतिरोध की एक कहानी

पनाहि ने It Was Just an Accident को जेल में ही गुप्त रूप से शूट किया। यह प्रतिशोध से भरी कहानी वाली डार्क कॉमेडी है। कहानी कुछ पूर्व कैदियों की है, जो जेल में कैदियों के ऊपर अत्याचार करने वाले व्यक्ति को अगवा कर लेते हैं। मगर वो सब असमंजस में होते हैं कि उन्होंने सही शख्स को पकड़ा है या नहीं। पनाहि की ये फिल्म समाज पर तीखा कटाक्ष करती है।

फोटो डिजाइन पत्रिका, (फोटो सोर्स: द वाशिंटन पोस्ट)

अपनी इस फिल्म पर पनाहि कहते हैं, 'शायद अगर उन्होंने मुझे जेल में न डाला होता, तो यह फिल्म कभी बनती ही नहीं। इसलिए इस फिल्म को मैंने नहीं, इस्लामी गणराज्य ने बनाया है।'

गुप्त रूप से हुई शूटिंग

इस फिल्म की शूटिंग सिर्फ 25 दिनों में पूरी की गई थी। जेल में शूट करना आसान नहीं था। हर दिन का फुटेज छिपाया जाता था। हर वक्त छापेमारी की शंका बनी रहती थी। इससे बचने के लिए, उनकी टीम के पास फर्जी कैमरे, नकली स्क्रिप्ट और खाली मेमोरी कार्ड तक रहते थे, ताकि पकड़े जाने पर कोई सबूत न मिले।

गैर-पेशेवर कलाकारों की हिम्मत और प्रतिशोध की आवाज

इस फिल्म कि खासियत ये थी कि इसमें काम करने वाले कलाकारों को एक्टिंग का ए भी नहीं पता था। फिल्म में टैक्सी ड्राइवर, कारपेंटर और कराटे प्रशिक्षक जैसे गैर-पेशेवर लोग शामिल थे जो जेल में सजा काट रहे थे। ये सब अपनी जान को जोखिम में डालकर इस फिल्म का हिस्सा बने थे।

अभिनेत्री पर हिजाब पहनने का दबाव

जब ये फिल्म कान्स फिल्म फेस्टिवल में पहुंची तो वहां मौजूद अधिकारियों ने फिल्म की अभिनेत्री मरियम अफशारी पर रेड कार्पेट पर हिजाब पहनने का दबाव डाला, लेकिन अफशारी ने इसको सिरे से नकार दिया। जबकि उनको पता था कि इसके लिए उनको 15 साल की सजा भी हो सकती है। फिल्म की अभिनेत्री मरियम अफशारी कहती हैं,

फोटो डिजाइन पत्रिका, (फोटो सोर्स: द वाशिंटन पोस्ट)

ऑस्कर और सिनेमा के जरिए प्रतिरोध

It Was Just an Accident फिल्म को फ्रांस की ओर से ऑस्कर में बेस्ट इंटरनेशनल फीचर के लिए नॉमिनेट किया गया। पनाहि का कहना है कि ऑस्कर जैसे मंच सरकार पर अपनी असहमति जताने वाले फिल्मकारों के लिए सुरक्षा कवच की तरह होते हैं। वो कहते हैं कि यह भी एक तरह का प्रतिरोध है और हर देश को अपनी राजनीतिक सीमाओं से परे जाकर रचनात्मक स्वतंत्रता देनी चाहिए।

ईरान, स्वतंत्रता और सिनेमा

पनाहि ने बताया कि उनका सिनेमा ईरान की जमीनी सच्चाइयों से जन्मा है। एक ऐसी जगह की सच्चाई जहां भ्रष्टाचार, सेंसरशिप और डर आपकी रोज मर्रा की जिंदगी का हिस्सा हैं। शायद उनकी फिल्मों की यही सच्चाई उन्हें जनता से जोड़ती है।

फोटो डिजाइन पत्रिका, (फोटो सोर्स: द वाशिंटन पोस्ट)

पनाहि का सिनेमा जो हर दीवार लांघ गया

पनाहि मानते हैं , 'जेल मेरी कैद है, लेकिन कैमरा मेरी आजादी।'

उनकी फिल्मों में चुप्पी भी बोलती है, और खामोशी में इंकलाब दिखता है। जाफर पनाहि ने साबित किया कि सिनेमा सिर्फ मनोरंजन नहीं, बल्कि विचार और विरोध की आवाज भी है। आज वो दुनिया भर के उन फिल्मकारों के लिए प्रेरणा हैं जो सेंसरशिप और राजनीतिक दबाव के बावजूद सच दिखाने की हिम्मत रखते हैं। जाफर पनाहि की कहानी सिर्फ एक फिल्ममेकर की नहीं, बल्कि उस सच्चे कलाकार की है जिसने दिखाया कि कैमरा बंद हो सकता है, पर नजर नहीं।