
छत्तीसगढ़ बनने के बाद बस्तर जैसे आदिवासी इलाकों में खेती के सामने सबसे बड़ी चुनौती सिंचाई की सुविधाओं की कमी थी। राज्य बनने से पहले यहां के किसान पूरी तरह से मानसून पर निर्भर थे। अगर बारिश अच्छी होती थी, तो फसल अच्छी होती थी, नहीं तो खेत बंजर हो जाते थे। हालांकि, पिछले 25 सालों (Chhattisgarh 25 Years) में राज्य सरकार और जल संसाधन विभाग की लगातार कोशिशों ने इस नज़ारे को पूरी तरह बदल दिया है।
छत्तीसगढ़ बनने से पहले, बस्तर ज़िले में कुल 38 छोटी सिंचाई स्कीमें चलती थीं। (Self-reliant Farmers) इन स्कीमों से खरीफ़ फ़सलों के लिए सिर्फ़ 7,521 हेक्टेयर और रबी फ़सलों के लिए 1,386 हेक्टेयर, यानी कुल 8,907 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई होती थी। खेती पूरी तरह से सीज़नल थी, जिससे किसानों के लिए रबी फ़सलें काटना लगभग नामुमकिन हो जाता था।

राज्य बनने के बाद सरकार ने बस्तर (Bastar Irrigation Schemes) में किसानों को आत्मनिर्भर बनाने और खेती की पैदावार बढ़ाने का लक्ष्य रखा। इसके लिए पिछले 25 सालों में 54 नई सिंचाई योजनाएं बनाई गईं। इन योजनाओं से अब 23,749 हेक्टेयर नया सिंचाई क्षेत्र तैयार हो गया है।
वहीं अब तक, ज़िले में कुल 92 सिंचाई प्रोजेक्ट चल रहे हैं, जिनसे लगभग 32,656 हेक्टेयर ज़मीन की सिंचाई हो रही है। यह पिछले साल के मुकाबले तीन गुना से भी ज़्यादा है। इन स्कीमों से किसानों ने खरीफ़ फ़सलों के साथ-साथ रबी फ़सलें भी बोना शुरू कर दिया है, जिससे उनकी इनकम काफ़ी बढ़ गई है। जहाँ पहले धान ही अकेली फ़सल थी, वहीं अब किसान सब्ज़ियाँ, दालें, तिलहन और मक्का भी उगा रहे हैं।

राज्य गठन के बाद जल संसाधन विभाग ने बस्तर में कई प्रमुख परियोजनाएं पूरी कीं, जिन्होंने कृषि विकास की दिशा तय की। इनमें शामिल हैं–
कोसारटेडा मध्यम सिंचाई परियोजना
बेदारमुंडा एवं टिकरालोहंगा लघु सिंचाई तालाब
कुम्हरावंड, बनियागांव एवं भालूगुड़ा उदवहन सिंचाई योजना
मूली एवं कावारास व्यपवर्तन योजना
46 एनीकट एवं स्टॉपडेम का निर्माण
इन परियोजनाओं से न केवल सिंचाई क्षेत्र बढ़ा बल्कि भूमिगत जल स्तर में भी सुधार आया। (Bastar Agricultural Development) किसानों को फसलों के लिए नियमित जल आपूर्ति मिल रही है, जिससे फसल की गुणवत्ता और उत्पादन दोनों में वृद्धि हुई है।

इन सिंचाई स्कीम की वजह से, बस्तर के किसान अब साल में दो बार फसल काट रहे हैं। वे डबल क्रॉपिंग कर रहे हैं, खरीफ में धान और रबी में सब्जियां, तिलहन या दालें उगा रहे हैं। (Progress in Chhattisgarh Agriculture) इससे किसानों की इनकम लगातार बढ़ रही है, और लोकल मार्केट में भी अलग-अलग तरह के लोग आ रहे हैं।
Published on:
30 Oct 2025 04:36 pm

