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जनवरी 2026 से महंगाई भत्ता कितना बढ़ेगा और 8वें वेतन आयोग पर क्या पड़ेगा असर? जानिए इस कैलकुलेशन से

मौजूदा कैलकुलेशन के मुताबिक 7वें वेतन आयोग पर आधारित डीए 58.94% से बढ़कर 60.12% हो सकता है।

पटना

Ashish Deep

Oct 03, 2025

वेतन (photo-patrika)
वेतन (photo-patrika)

केंद्रीय कर्मचारियों और पेंशनभोगियों के लिए जनवरी 2026 से मिलने वाला महंगाई भत्ता (DA) और महंगाई राहत (DR) पहले से ही सुर्खियों में है। वजह साफ है कि इस बार की बढ़ोतरी सीधे 8वें वेतन आयोग (8th Pay Commission) से जुड़कर न्यूनतम वेतन तय करेगी। इस बीच, लेबर ब्यूरो ने ऑल इंडिया कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (AICPI-IW) के अगस्त 2025 के आंकड़े जारी किए हैं, जो और ज्यादा धड़कन बढ़ाने वाले हैं।

0.6 अंक बढ़ गया इंडेक्स

लेबर ब्यूरो के AICPI-IW के आंकड़ों के मुताबिक इंडेक्स में 0.6 अंकों की बढ़ोतरी हुई और यह 147.1 पर पहुंच गया है। जुलाई 2025 में यह 146.5 था। इसका मतलब है कि महंगाई का दबाव धीरे-धीरे बढ़ रहा है और आने वाले महीनों के लिए महंगाई भत्ते की गणना में इसमें और बढ़ोतरी होने का अनुमान है।

जुलाई 2025 तक का महंगाई भत्ता

केंद्रीय कैबिनेट ने केंद्रीय कर्मचारियों के जुलाई 2025 के डीए में 3% बढ़ोतरी की मंजूरी दी थी। इससे महंगाई भत्ता 55% से बढ़कर 58% हो गया। यानी मौजूदा समय में केंद्रीय कर्मचारियों को 58% डीए मिल रहा है।
अगस्त 2025 तक उपलब्ध आंकड़ों के आधार पर अनुमान है :
1- दिसंबर 2025 तक इंडेक्स अगर स्थिर रहा तो जनवरी 2026 में डीए/डीआर 60% तक पहुंच जाएगा।
2- मौजूदा कैलकुलेशन के मुताबिक 7वें वेतन आयोग पर आधारित डीए 58.94% से बढ़कर 60.12% हो सकता है।
3- यानी जनवरी 2026 से कर्मचारियों को 2% या उससे अधिक का फायदा मिलेगा।

क्यों खास है जनवरी 2026 का डीए

जनवरी 2026 का डीए सिर्फ सामान्य बढ़ोतरी नहीं है। यही आंकड़ा 8वें वेतन आयोग में फिटमेंट फैक्टर और न्यूनतम वेतन तय करने का आधार बनेगा। दरअसल, जब भी नया वेतन आयोग लागू होता है, उस समय डीए शून्य कर दिया जाता है और उसी हिसाब से नई बेसिक पे तय की जाती है।

रिटायरमेंट प्लानिंग पर असर पड़ेगा

जानकार बताते हैं कि पेंशनभोगियों के लिए भी जनवरी 2026 अहम है। 60% डीआर मिलने से पेंशन में सीधी बढ़ोतरी होगी। इसके अलावा, 8वें वेतन आयोग के लागू होते ही बेसिक पेंशन भी दोबारा फिक्स होगी। यानी रिटायरमेंट के करीब खड़े कर्मचारियों के लिए यह बदलाव उनकी वित्तीय योजना में बड़ा फर्क डाल सकता है।