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Watch Video : जवाई बांध के गेटों से छलकी खुशी, तेहरा में से 8 गेट खुले

प​श्चिमी राजस्थान के सबसे बड़े जवाई बांध के दसवीं बार खोले गए गेट

पाली

Suresh Hemnani

Sep 06, 2025

Watch Video : जवाई बांध के गेटों से छलकी खुशी
पाली जिले के जवाई बांध के गेट खोलने के बाद बांध से बहता पानी।

सुमेरपुर (पाली)। पश्चिमी राजस्थान के जवाई बांध के गेट दसवीं बार शनिवार दोपहर खोले गए। बांध के गेट खोलने से पहले कैबिनेट मंत्री जोराराम कुमावत ने पूजन किया। उन्होंने बटन दबाकर गेट नंबर-2, आहोर विधायक छगन सिंह राजपुरोहित ने गेट नंबर-4 व सिरोही जिला कलेक्टर अल्पा चौधरी ने गेट नंबर-10 खोला। इसके बाद जल आवक बढ़ने पर 13 में से 8 गेट खोल दिए गए। गेट खोलने के दौरान बड़ी संख्या में लोग जवाई बांध पहुंचे। गेट से नीचे खड़े लोग लोगाें ने नदी में पानी बहाव होते ही जयकारे लगाए। बांध का गेट 2, 3, 4, 5, 6, 8, 9, 10 को 6 फीट तक खोलकर पानी की निकासी की गई। अधिशासी अभियंता राज भंवरायत ने बताया कि जवाई बांध की अधिकतम क्षमता 7327.50 मिलियन क्यूबिक फीट है। बांध में सुबह 11 बजे तक गेज 59.55 फीट और भराव क्षमता 6883.00 मिलियन घन फीट दर्ज की गई। बांध का गेज गेट खोलने के दौरान 60 फीट पार हो चुका था।

पुलिस-प्रशासन की अलर्ट मोड पर तैनाती

गेट खोलने से पहले चेतावनी सायरन बजाकर लोगों को अलर्ट किया गया। सीओ जितेंद्र सिंह राठौड़,सिटी थाना अधिकारी रविंद्र सिंह खींची,सदर थाना अधिकारी भगाराम मीणा सहित भारी पुलिस जाप्ता मौके पर तैनात रहा।

नदी में उफान, पुलिया डूबी

गेट खोलने के बाद जवाई नदी में तेज़ बहाव आ गया। सुमेरपुर-शिवगंज के बीच पुलिया पर पानी चढ़ गया, जिससे आवागमन बंद करवा दिया गया। नदी के किनारे लगे बिजली के पोल और रोड लाइटें के पोल तेज़ बहाव से झूक गए। नीलकंठ महादेव मंदिर और हनुमान मंदिर तक पानी पहुंच गया। इस दौरान सिटी थाना अधिकारी रविंद्र सिंह खिंची जाप्ते के साथ तैनात रहे।

गेट खोलते समय सिरोही भाजपा जिला अध्यक्ष रक्षा भंडारी, अधीक्षण अभियंता राज भंवरायत, तहसीलदार दिनेश आचार्य, सहायक अभियंता अक्षय कुमावत, भबूत सिंह, सुमेरपुर भाजपा मंडल अध्यक्ष रविकांत रावल, पूर्व बाजरा मंडल अध्यक्ष महेंद्र माली आदि मौजूद रहे।

गणपति विसर्जन पर रोक

जवाई नदी और गहरे जलभराव वाले क्षेत्रों में गणपति विसर्जन कार्यक्रम पर प्रशासन ने रोक लगा दी है। आयोजनकर्ताओं को छोटे तालाबों और छिछले जलस्रोतों में ही विसर्जन करने के निर्देश दिए गए हैं।