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आपकी बात : नियमों के बावजूद ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश क्यों नहीं लग पाता है?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाएं दी हैं। प्रस्तुत है पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

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जयपुर

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Opinion Desk

Dec 01, 2025

जानकारी का अभाव मुख्य कारण
अधिकांश लोगों को यह जानकारी नहीं है कि तेज आवाज या शोर उनके स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है। लगातार तेज शोर सुनने से सिरदर्द, तनाव, नींद में समस्या जैसी परेशानियां हो सकती हैं। इसके बावजूद बहुत से लोग तेज शोर को सामान्य मान लेते हैं और इसे नजरअंदाज कर देते हैं। यदि कोई शिकायत करना चाहे, तो अक्सर यह नहीं पता होता कि इसे कहां और कैसे दर्ज कराया जाए। नियम और कानून तो मौजूद हैं, लेकिन प्रायोगिक रूप से उनका पालन नहीं हो रहा है। इस वजह से ध्वनि प्रदूषण नियंत्रण में गंभीर कमी बनी हुई है। - डॉ. योगेश कुमार सिंहल, उदयपुर

साइलेंट जोन की कमी के कारण
वाहनों की बढ़ती संख्या, प्रेशर हार्न, बुलेट की तेज आवाज और डीजे जैसे स्रोत शहरों में ध्वनि प्रदूषण को गंभीर बना रहे हैं। स्कूल, कॉलेज और अस्पतालों के पास बने साइलेंट ज़ोन का पालन नहीं हो रहा, जिससे छात्रों और मरीजों को परेशानी होती है। नियमों के कमजोर प्रवर्तन के कारण शोर फैलाने वालों के हौसले बढ़े हैं। ध्वनि प्रदूषण रोकने के लिए सख्त नीतियां, नियमित पुलिस पेट्रोलिंग, लाइसेंस रद्द करना और दोषी वाहनों की जब्त करना जरूरी है। - आलोक वालिम्बे, बिलासपुर

प्रभावी नीतियां लागू करें
ध्वनि प्रदूषण को रोकने के लिए बनाए गए कानून और नीतियां आज के समय में उतनी प्रभावी नहीं रह गई हैं। इन नियमों को जमीनी स्तर पर सही तरह से लागू भी नहीं किया जाता। ध्वनि प्रदूषण की निगरानी और नियंत्रण के लिए जरूरी तकनीक और उपकरणों की भी कमी है। सामान्य लोगों में ध्वनि प्रदूषण रोकने से जुड़े नियमों की जानकारी कम है और जागरूकता का भी अभाव है। - नरेन्द्र योगी, सांभर लेक

जनता में जागरूकता की कमी है
ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश नहीं लग पाता क्योंकि नियमों के बावजूद लोग इनका सख्ती से पालन नहीं करते। इसके साथ ही निगरानी तंत्र कमजोर है, पुलिस और प्रशासन के पास पर्याप्त संसाधन नहीं होते है। आम जनता भी जागरूक नहीं है, जुर्माने का भय नहीं है। आयोजनों में राजनीतिक-सामाजिक दबाव रहता है। लोग स्वयं भी हॉर्न, पटाखे, लाउडस्पीकर का अनियंत्रित उपयोग करते हैं। - डॉ. अभिनव शर्मा, झालावाड़

कानून प्रभावी रूप से लागू हो
ध्वनि प्रदूषण कम नहीं होने का प्रमुख कारण कानून का केवल कागजी बनकर रह जाना हैं। यदि कानून का सख्ती से पालन किया जाए तो निश्चित रूप से ध्वनि प्रदूषण कम होगा। आम जनता को भी समझना होगा शादी व अन्य कार्यक्रमों में निर्धारित समय से अधिक व तेज आवाज में साउंड नहीं बजाने चाहिए। धार्मिक कार्यक्रमों के आयोजन में भी ध्वनि प्रदूषण का ध्यान रखा जाना चाहिए। सख्ती से कानून का पालन और जनता की समझ ही ध्वनि प्रदूषण को कम कर सकती है। - आजाद पूरण सिंह, जयपुर

नियम तोड़ने पर कार्यवाही नहीं होती
ध्वनि प्रदूषण पर रोक नहीं लग पाती क्योंकि लोग नियमों को व्यवहार में उतारने की कोशिश ही नहीं करते। शादियों, त्योहारों और जुलूस में ध्वनि को सीमित रखना हमारे समाज में अभी भी आयोजन का महत्व घटाने जैसा माना जाता है। यातायात, हॉर्न और निर्माण कार्य बिना निगरानी के रोज शोर का स्तर बढ़ा देते हैं। प्रशासनिक संसाधन सीमित होने से हर उल्लंघन पर तुरंत कार्रवाई संभव नहीं होती। जब तक समाज यह नहीं समझेगा कि शांत वातावरण भी एक अधिकार है, तब तक नियम सिर्फ कागजों पर ही असर दिखाएंगे। - कैलाश कुमार, फलोदी

कानूनी प्रावधान की कमी के कारण
मोडिफाइड साइलेंसर, लाउडस्पीकर और पटाखों से होने वाला शोर, नियम होने के बावजूद लगातार बढ़ती हुई समस्या है। नियमों का ठीक से पालन न होना, निगरानी की कमी, दंड का अभाव ध्वनि प्रदूषण को रोकने में बाधा बनती हैं। इसके साथ ही औद्योगिक क्षेत्रों का शोर, वाहनों से होने वाला प्रदूषण, कार्यक्रमों के दौरान नियमों को ढीला करना और शोर के अनगिनत छोटे-बड़े स्रोत भी इसे नियंत्रित करना मुश्किल बना देते हैं। दुबई जैसे देशों में सख्त नियम हैं यहां तक कि बेवजह हॉर्न बजाने पर भी रोक है। ऐसे ही सख्त कानून और उनका सही ढंग से पालन ही ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण ला सकते हैं। - शिवजी लाल मीना, जयपुर

सामाजिक स्वीकृति सबसे बड़ा कारण
ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश न लगने का मुख्य कारण नियमों का कमजोर प्रवर्तन और पर्याप्त निगरानी तंत्र की कमी है। इसेक साथ ही ध्वनि प्रदूषण की सामाजिक स्वीकृति हैं। धार्मिक एवं सांस्कृतिक आयोजनों में लाउडस्पीकर के अत्यधिक उपयोग पर सख्ती से कार्रवाई करना कठिन होता है। इसके अलावा, जनता में स्वास्थ्य प्रभावों की जागरूकता का अभाव भी नियमों के उल्लंघन को बढ़ावा देता है। - अभिषेक सांखला, बीकानेर

ध्वनि प्रदूषण को एक परेशानी मानना
ध्वनि प्रदूषण के नियंत्रण के लिए कानूनों का प्रभावी ढंग से क्रियान्वयन न होना, दंडस्वरूप अत्यल्प जुर्माना व सजा है। जनजागरुकता का अभाव, जनता का ध्वनि प्रदूषण को अपराध न मानकर केवल एक परेशानी मानना भी एक कारण है। प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के पास पर्याप्त मानव संसाधनों, व उच्च स्तर के मॉनिटरिंग उपकरणों का अभाव, निगरानी करने व दंड देने की इच्छा नहीं होना। राजनीतिक हस्तक्षेप व भ्रष्टाचार भी एक बड़ा कारण है। - विजय कुमार वर्मा, सीकर

नियमों का पर्याप्त न होना
ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश नहीं लग पाने के मुख्य कारण नियमों का पर्याप्त न होना है। जनता में जागरूकता का अभाव और कानून का कमजोर क्रियान्वित होना भी एक कारण है। इसके साथ ही तकनीकी और प्रशासनिक सीमाएं शामिल है। पुलिस और नगर निगम अधिकारी जनता की शिकायतों पर अमल ही नहीं करते हैं, इसलिए उल्लंघनर्ताओ पर कोई सख्त कार्रवाई नहीं होती है। इस वजह से ध्वनि प्रदूषण पर अंकुश नहीं लग पा रहा है। - मीना सनाढ्य, उदयपुर