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आपकी बात : सेल्फी व रील्स के कारण हो रहे हादसों के बारे में आपके क्या विचार हैं?

पाठकों ने इस पर विभिन्न प्रतिक्रियाए दी हैं, प्रस्तुत हैं पाठकों की चुनिंदा प्रतिक्रियाएं

जयपुर

Opinion Desk

Sep 24, 2025

दीवानगी ले रही जान
मेरा ऐसा मानना है कि सेल्फी व रील्स को लेकर आजकल युवाओं में एक अलग तरह की दीवानगी है। सेल्फी लेते समय या रील्स बनाते समय इनके द्वारा बरती जाने वाली लापरवाही भी हादसों का सबब बन रही है। - वसंत बापट, भोपाल

सख्त कार्रवाई जरूरी
सेल्फी और रील्स के कारण होने वाले हादसों को रोकने के लिए खतरनाक जगहों पर सुरक्षा उपाय और सोशल मीडिया पर जिम्मेदारी से कंटेंट बनाने की संस्कृति विकसित करना जरूरी है। प्रशासन को जोखिम भरे इलाकों में चेतावनी बोर्ड और सुरक्षाकर्मी तैनात करने चाहिए। नियमों का उल्लंघन करने वालों पर सख्त कार्रवाई करनी चाहिए। साथ ही माता-पिता को बच्चों की रील्स और गेमिंग की लत पर नजर रखनी चाहिए। - दिनेश भगत, कुचामन सिटी

रियल व रील लाइफ का अंतर समझें
वर्तमान में सेल्फी और रील्स बनाने के चक्कर में लोग अपनी जान जोखिम में डाल देते है और हादसों के शिकार हो जाते है। लोगों को रियल और रील लाइफ के बीच के अंतर को समझना होगा। सोशल मीडिया पर व्यूज पाने के जद्दोजहद में लोग अपनी जान जोखिम में डाल रहे है। ये लोग सोशल मीडिया पर वायरल होना के लिए रेल ब्रिज, नदियों, तालाबों, जंगली जानवरों और अनेक जगह पर बिना किसी सुरक्षा के जाते है सरकार को इनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करने की आवश्यकता है। सोशल मीडिया रेगुलेशन एक्ट को मजबूत बनाते हुए इनके ऊपर कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए। बुद्धिजीवी और प्रतिष्ठित लोगों को ऐसे कृत्यों की निंदा करनी चाहिए और युवाओं को सही मार्ग दिखना चाहिए। - गजेंद्र चौहान, कसौदा