
पत्रिका समूह के प्रधान संपादक गुलाब कोठारी
अभ्युदय जीवन की उपलब्धि है, पुरुषार्थ इसका मार्ग है। लक्ष्य इससे भी व्यापक है। व्यष्टि से समष्टि की ओर यात्रा है। तीन अवस्थाएं -बचपन,यौवन तथा वृद्धावस्था आयुगत प्रक्रिया है। जीवन के चारों खण्ड प्रवृति-निवृति की प्रेरणा हैं। चौथी अवस्था के मुहाने पर ‘अमृत-काल’ शब्द का प्रयोग चेतना के स्वरूप को भी प्रकाशित करता है। जीवन यात्रा के इस संपूर्ण चित्र का चित्रकार वह एक ही है। उसे हम प्रकृति भी कह सकते हैं और ईश्वर भी।
उसे ही इस बात का पता होता है कि जीवन का सम्पूर्ण प्रारब्ध अथवा अंतिम अवस्था कैसी होने वाली है। पिछले साल जनवरी में मैंने जीवन के तीन आश्रमों को पार कर चौथे आश्रम में प्रवेश किया तो यह अनुभव किया कि जीवन यात्रा का यह मार्ग पहले से ही तय रहता है। ऐसा ही मार्ग तय करते हुए आज देश के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी इस यात्रा पथ के तीन पड़ाव पार कर 76वें वर्ष में प्रवेश कर रहे हैं। बधाई।
द्वापर युग में योगेश्वर कृष्ण अलग-अलग स्वरूपों में सामने आए। गीता में उनका उद्घोष है कि-
परित्राणाय साधूनां विनाशाय च दुष्कृताम्।
धर्मसंस्थापनार्थाय संभवामि युगे युगे।। (4.8)
इसे ही संन्यास की मूल परिभाषा कहा जाना चाहिए। राष्ट्र मेें धर्म की स्थापना के लिए संघर्षरत रहना और अधर्म के विनाश के लिए तत्पर रहना, दृढ़ रहना। अपने चौथे आश्रम में प्रवेश के साथ नरेन्द्र मोदी जी से देश की अपेक्षाएं इसी अनुरूप बढ़ीं भी है।
सही मायने में वह देश भाग्यशाली होता है जिसका नेतृत्व भूत और भविष्य को साथ लेकर चलता है। प्रधानमंत्री ही नहीं, गुजरात के मुख्यमंत्री के रूप में भी नरेन्द्र मोदी एक राजनेता से अलग संवेदनशील व्यक्तित्व के साथ काम करते रहे थे। उनकी संवेदना का उदाहरण देखिए- जयपुर में राजस्थान पत्रिका के स्वर्ण जयंती समारोह पर वर्ष 2006 में नरेन्द्र मोदी हमारे विशिष्ट अतिथि थे। उन्होंने तब गुजरात के भूकम्प पीड़ितों के लिए पत्रिका की ओर से जुटाए सहयोग का उल्लेख करके कहा था कि ‘मैं इस समारोह में कर्ज उतारने आया हूं। राजस्थान की जनता ने राजस्थान पत्रिका के नेतृत्व में गुजरात के लोगों की जो सहायता की है, वह अभूतपूर्व है।’
मेरे जीवन का वह एक गौरवपूर्ण और अविस्मरणीय दिन था जब आज से पांच साल पहले प्रधानमंत्री ने मेरे दो ग्रन्थों और जयपुर में पत्रिका समूह की ओर से निर्मित ‘पत्रिका गेट’ का दूरदर्शन से लाइव लोकार्पण किया था। उनके स्वर्णिम शब्द-‘राजस्थान पत्रिका अखबार हर दिन लोगों के घर के दरवाजे खोलता है और पढ़ने के बाद, मन के दरवाजे खोलता है’, आज भी मेरे हृदय पटल पर गूंज रहे हैं। यह तो हमारे लिए अमूल्य तमगा बन गया। उन्होंने मेरे श्रद्धेय पिताजी, स्व. कर्पूरचन्द्र कुलिश, से हुई व्यक्तिगत वार्ताओं तथा उनके वेद-विज्ञान के प्रसार में योगदान का भी उल्लेख किया था। इस वर्ष हम उनका भी शताब्दी वर्ष मना रहे हैं।
गुजरात और राजस्थान में न केवल भौगोलिक निकटता ही है, बल्कि इतिहास-कला-संस्कृति भी काफी समान है। इन रिश्तों की मजबूती के लिए पत्रिका का प्रकाशन वर्ष 2002 में अहमदाबाद से शुरू हुआ तब भी गुजरात का नेतृत्व नरेन्द्र मोदी ही कर रहे थे। उनके मुख्यमंत्री काल में मुझे वर्ष 2007 एवं वर्ष 2012 के गुजरात विधानसभा चुनावों को कवर करने का भी अवसर मिला। गोधरा रेल विस्फोट काण्ड के बाद भी हमारे गहन जानकारियों से जुड़े संवाद हुए थे। पिछले विधानसभा चुनावों में छत्तीसगढ़ के दुर्ग में अपनी व्यस्तताओं के बाद भी उन्हाेंने मुझे समय दिया था। उन्होंने मुझे यह भी कहा कि, आप मुझे इतनी सामग्री भेजते हो कि मैं यात्रा में-हवाई जहाज में-ले जाकर पढ़ता हूं।
जीवन में व्यस्तता कर्मशील होने की निशानी है। कर्मनिष्ठा से एक संकल्प भी प्रतिष्ठित होता है—चरैवेति-चरैवेति। इस संकल्प में कर्म की ऊर्जा के साथ कृष्ण का उद्घोष भी जब प्रकाशित रहे तो जीवन में गीता का सन्देश प्रतिफलित होने लगता है—कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन। जीवन का शेष अध्याय इसी के साथ पूरा हो जाए। ईश्वर से कामना है कि इसी ऊर्जा के साथ नरेन्द्र मोदी देश का नेतृत्व करें। जन्मदिन पर मेरे साथ मेरे सभी पत्रिका पाठकों-सहयोगियों की शुभकामनाएं उनके साथ हैं। प्रभु उनको स्वस्थ जीवन एवं दीर्घायु प्रदान करे।
Updated on:
18 Sept 2025 10:36 am
Published on:
17 Sept 2025 10:19 am
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