सोशल मीडिया के खतरों को लेकर पिछले सालों में विभिन्न स्तरों पर चेतावनियां दी जा रही हैं। बच्चों से लेकर बड़ों तक के बारे में यह लगातार कहा जा रहा है कि मोबाइल तथा अन्य डिजिटल डिवाइस पर लगातार चिपके रह कर आभासी दुनिया में खोए रहने व लत की हद तक पहुंचने में स्वास्थ्य से जुड़ीं कई गंभीर समस्याएं पैदा हो जाएंगी। सोशल मीडिया की लत को बीमारी मानकर उपचार की गाइड लाइन तय करने की पीजीआइ चंडीगढ़ की तैयारी को भी इन्हीं खतरों से जोड़कर देखा जाना चाहिए। पीजीआइ का मानना है कि इस गाइड लाइन के जरिए खास तौर से बच्चों और उनके अभिभावकों को डिजिटल दुनिया की जटिलताओं को समझने व उनसे निपटने में आसानी रहेगी।
इससे पहले भी कई अध्ययनों में यह बात सामने आ चुकी है कि सोशल मीडिया की लत व्यक्ति को कई मानसिक और शारीरिक परेशानियां पैदा करने वाली हो रही हैं। खास तौर से नई पीढ़ी में अवसाद, चिंता व अकेलेपन की समस्याएं परिवारों के लिए बड़े खतरे के रूप में सामने आ रही है। बड़ी चिंता यह भी कि आभासी दुनिया के इस दौर में व्यक्ति असली दुनिया के रिश्तों तक की अनदेखी करने लगता है। अमरीका के यूनिवर्सिटी ऑफ नॉर्थ कैरोलिना के वैज्ञानिकों ने एक अध्ययन में पाया है कि जो बच्चे अपने सोशल मीडिया अकाउंट को बार-बार चेक करते हैं, उन्हें मस्तिष्क संबंधित विकारों का खतरा रहता है। मोबाइल और सोशल मीडिया की लत से बच्चों में एंजाइटी और ईटिंग डिसऑर्डर जैसी समस्याएं भी पैदा हो रही हैं। बॉम्बे हाईकोर्ट ने इस साल की शुरुआत में ही एक केस की सुनवाई करते हुए कहा था कि बच्चों का ऑनलाइन गेम एडिक्शन आने वाले समय में ड्रग्स और मादक पदार्थों की लत की तरह ही साबित होगा। इससे मानसिक और शारीरिक सेहत को कई नुकसान हो सकते हैं। कोर्ट का मानना था कि यह जरूरी है कि इस पर कोई कानून लाया जाए। जाहिर है सबसे बड़ी जरूरत इंटरनेट व सोशल मीडिया के इस्तेमाल को लत की हद तक ले जाने से रोकना है। वर्चुअल दुनिया में लाइक्स, कमेंट्स व फॉलोअर्स की चाहत व स्क्रीन पर बढ़ता समय डिजिटल लत ही है जो धूम्रपान और मादक पदार्थों के सेवन की लत की तरह खतरा बनकर सामने आ रही है। इस लत से छुटकारा पाने के लिए लोग अस्पतालों की शरण में पहुंचने लगे हैं।
भारत में सोशल मीडिया की लत सचमुच बड़ी समस्या के रूप में उभरने वाली है। दक्षिण कोरिया जैसा देश जो सबसे ज्यादा डिजिटल रूप से जुड़ा है, उसने भी पिछले दिनों ही पढ़ाई के दौरान कक्षाओं में मोबाइल व डिजिटल डिवाइस पर पाबंदी के लिए कानून बनाया है। जिस तरह की तस्वीर सामने आ रही है, उसे देखते हुए नशा निवारण की तरह ही सोशल मीडिया के खतरों से भी लोगों को अवगत कराने के लिए अभियान चलाना जरूरी हो गया है।
Published on:
15 Sept 2025 01:59 pm