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शिक्षक दिवस विशेष-शिक्षक ने नवाचारों के बलबूते बनाई स्वयं की पहचान

Teachers made their own identity on the strength of innovations Teachers do not stop even on Sundays The stature of Halke Veer

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The stature of Halke Veer

The stature of Halke Veer

शिक्षक ने नवाचारों के बलबूते बनाई स्वयं की पहचानरविवार में भी नहीं रुकते शिक्षक हल्के वीर के कदम

नरसिंहपुर- जिले के विकासखंड साईंखेड़ा के ग्राम उसराय के सरकारी प्राथमिक विद्यालय में पदस्थ शिक्षक हल्के वीर पटेल ने अपनी लगन, जुनून और अनूठे नवाचारों से शिक्षा जगत में विशेष पहचान बनाई है। प्रात: काल से ही विद्यालय पहुंचने वाले हल्के वीर अपनी ड्यूटी से आगे बढकऱ रोज़ 4-5 घंटे अतिरिक्त समय देते हैं।विद्यार्थियों की अनुपस्थिति हो या अभिभावकों की उदासीनता, वे हर चुनौती से डटकर सामना करते हैं।
शिक्षा गुणवत्ता सुधार की पहल
शिक्षक पटेल नियमित कक्षा के साथ.साथ रोज़ाना 2 घंटे अतिरिक्त शिक्षण कर बच्चों की पढ़ाई का स्तर सुधार रहे हैं। इससे बच्चों में आत्मविश्वास बढ़ा है और अभिभावक भी विद्यालय से जुडऩे लगे हैं।
कबाड़ से नवाचार
निपुण भारत मिशन के तहत उन्होंने कबाड़ से शिक्षण सामग्री बनाकर कक्षाओं को अधिगम.समृद्ध वातावरण में बदल दिया। साथ ही, बच्चों के लेखन अभ्यास के लिए फ र्श पर स्लेट जैसी व्यवस्था की, जिससे नन्हे हाथों की मांसपेशियां मजबूत हो रही हैं।
नि:शुल्क सहायता कॉर्नर
एक छात्र के पास कॉपी-पेन न होने की समस्या देखकर उन्होंने अपने पूर्व छात्रों की मदद से नि:शुल्क शिक्षण सामग्री सहायता केंद्र स्थापित किया। अब कोई भी बच्चा बिना संकोच सामग्री लेकर पढ़ाई कर सकता है।
जनभागीदारी से शौचालय निर्माण
विद्यालय में शौचालय की समस्या दूर करने के लिए उन्होंने स्वयं धनराशि दी। ग्रामवासियों से सहयोग लिया और पंचायत व जनप्रतिनिधियों की मदद से निर्माण कार्य शुरू कराया। यह प्रयास ग्राम स्तर पर अनुकरणीय उदाहरण बन गया।
समुदाय को जोड़ा शिक्षा से
शिक्षक पटेल ने गांव में रात्रिकालीन सभाएं,जागरूकता रैलियां और युवाओं को संगठित कर शिक्षा का महत्व बताया। बच्चों की टोलियों से नशामुक्ति और सामाजिक जागरूकता के संदेश दिलाए। नतीजतन गांववासी विद्यालय की गतिविधियों में सक्रिय भागीदारी करने लगे।
अवकाश में भी समाज सेवा
हल्के वीर पटेल के कदम रविवार और अवकाश के दिन भी नहीं रुकते। वे गांव-गांव जाकर शिक्षा, नशामुक्ति, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक सुधार के संदेश देते हैं। शिक्षक हल्के वीर पटेल ने यह सिद्ध किया है कि सच्ची लगन और समाजहित की सोच से शिक्षा के क्षेत्र में क्रांति लाई जा सकती है। उनके नवाचार न केवल बच्चों के भविष्य को रोशन कर रहे हैं बल्कि पूरे गांव को शिक्षा की मुख्यधारा से जोड़ रहे हैं।
पुरस्कार और सम्मान व पारिवारिक पृष्ठभूमि
अपने नवाचारों और समर्पण के चलते हल्के वीर पटेल को कई बड़े सम्मान मिल चुके हैं। जिनमें राज्यपाल पुरस्कार के अलावा दो बार राज्य स्तरीय सम्मान राष्ट्र निर्माता की उपाधि प्रमुख रूप से शामिल है। शिक्षक पटेल ने बताया कि उन्हे सात कलेक्टरों के अलावा तत्कालीन हाईकोर्ट जज राजेंद्र मेनन द्वारा भी सम्मानित किया जा चुका है। धूनी वालों की पवित्र साईंखेड़ा में जन्मे हल्के वीर पटेल गरीब भूमिहीन परिवार से आते हैं। उनके माता.पिता स्वर्गीय हो चुके हैं। तीन भाइयों में सबसे छोटे होने के कारण उनका नाम हल्के वीर रखा गया।बड़े भाई गांव.गांव जाकर मनिहारी का सामान बेचते हैं।मंझले भाई भोपाल में मिस्त्री का काम करते हैं। गरीबी के बावजूद माता.पिता के संस्कारों ने हल्के वीर को शिक्षा और राष्ट्रसेवा के मार्ग पर आगे बढ़ाया। उनकी धर्मपत्नी कमला पटेल हर कदम पर उनका साथ देती हैं। तूमड़ा की शाला में पदस्थ रहते समय उन्होंने अपनी पत्नी के जेवर बेचकर विद्यालय का कायाकल्प कर दिया था। यही नहीं, समुदाय की मदद से वहां के विद्यालय को प्रदेश स्तरीय चैंपियन शाला और मॉडल स्कूल का दर्जा दिलवाया, जिसके लिए तत्कालीन शिक्षा मंत्री दीपक जोशी ने उन्हें सम्मानित किया था।