सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा कि आवास का अधिकार संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत मौलिक अधिकार है। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वह दिवाला प्रक्रिया से गुजर रहे संकटग्रस्त रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स को बचाने के लिए विशेष रिवाइवल फंड का गठन करे। जस्टिस जे.बी. पारदीवाला और जस्टिस आर. महादेवन की पीठ ने कहा कि लक्ष्य केवल मकानों या फ्लैट्स को पूरा करना नहीं है, बल्कि बैंकिंग सेक्टर, संबंधित उद्योगों और बड़ी आबादी की रोजगार सुरक्षा भी इससे जुड़ी है।
अदालत ने माना कि सरकार की संवैधानिक जिम्मेदारी है वह गृह-खरीदारों और व्यापक अर्थव्यवस्था दोनों की रक्षा करे। सुप्रीम कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि ऐसे सट्टेबाज खरीदार, जो केवल मुनाफे के लिए शामिल हुए, दिवाला प्रक्रिया में किसी राहत के हकदार नहीं हैं। अदालत ने एनसीएलएटी के उस फैसले को बरकरार रखा, जिसमें सट्टेबाद खरीदारों की दावेदारी खारिज कर दी गई थी।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दिवाला और शोधन अक्षमता संहिता (आइबीसी) का उद्देश्य बीमार कंपनियों को पुनर्जीवित करना और सुरक्षित करना है, न कि मुनाफाखोरी करने वालों को लाभ पहुंचाना। इस व्यवस्था के दुरुपयोग को रोकते हुए कोर्ट ने स्पष्ट किया कि वास्तविक और जरूरतमंद गृह-खरीदारों के हित सर्वोपरि हैं और सरकार को इस दिशा में ठोस कदम उठाने होंगे।
Published on:
14 Sept 2025 12:03 am