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Dussehra 2025 : 185 साल से मैदान मेें खड़ा रावण का पूरा परिवार

Dussehra 2025 : परम्पराएं व रस्में अलग, संदेश केवल एक : सदैव अच्छाई की जीत हो

अनूठे दशहरा : जिनका लोग करते हैं फिर से लौटने का इंतजार, परम्पराएं व रस्में अलग, संदेश केवल एक : सदैव अच्छाई की जीत हो

-अनूठी परम्पराओं व अनुपम संगम के कारण कुछ दशहरा मेलों की अलग पहचान

बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक दशहरा या विजयादशमी पर्व परंपराओं और आधुनिकता का अनूठा मेल हैं। भगवान श्रीराम की रावण पर विजय और मां दुर्गा की महिषासुर पर जीत की कहानी को जीवंत करने वाले ये उत्सव देश की विविध सांस्कृतिक धरोहर का अनुपम संगम हैं। परंपराओं से सजे दशहरा मेले लाखों लोगों को आकर्षित करते हैं। अनूठी रस्में, भव्य झांकियां और लोक नृत्य न केवल मनोरंजन प्रदान करते हैं, बल्कि आगामी वर्ष के लिए समृद्धि और शांति की कामना भी जगाते हैं। मेलों की चमक-दमक और सामूहिक उत्साह के कारण लोग हर साल इनका बेसब्री से इंतजार भी करते हैं। प्रस्तुत है देश के कुछ चुनिंदा अनूठे दशहरा की एक झलक....

यहां मंदोदरी के वस्त्र का टुकड़ा प्रसाद स्वरूप ले जाने की परम्परा-
राजस्थान के झालावाड़ जिले के झालरापाटन का दशहरा पूरे देश में अनूठा है। यहां 185 साल से रावण का पूरा परिवार स्थायी पुतलों के रूप में मैदान में खड़ा है। ये पुतले प्लास्टर ऑफ पेरिस से बने हैं। रावण, मंदोदरी, मेघनाथ, विभीषण, मारीच व लेटा हुआ कुंभकर्ण का पुतला खास आकर्षण है। हर साल पुतलों का रंग-रोगन किया जाता है। यहां दशहरे पर मंदोदरी के वस्त्र का टुकड़ा प्रसाद स्वरूप ले जाने की परम्परा है।

मैसूरु दशहरा : शाही भव्यता के लिए मशहूर

22 सितंबर से 2 अक्टूबर 2025 (10 दिन)

खासियत : कर्नाटक के मैसूरु में शाही जंबो सवारी, सोने के हौदे पर मां चामुंडेश्वरी की मूर्ति और महल की रोशनी इसे भव्य बनाती है। राजसी वैभव की चमक-दमक देश-दुनिया तक मशहूर है।

इस बार नया : अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार विजेता लेखिका बानू मुश्ताक ने उद्घाटन किया। ड्रोन शो में विश्व रेकार्ड बनाया। इको-फ्रेंडली झांकियां और सौर ऊर्जा से सजावट। डिजिटल टिकटिंग और लाइव स्ट्रीमिंग।

कुल्लू दशहरा : देवताओं के मिलन की परम्परा

2 अक्टूबर से 8 अक्टूबर 2025 (7 दिन)।

खासियत : हिमाचल के कुल्लू का दशहरा राम-रावण की कथा के अलावा देवी पूजा पर केन्द्रित है। रघुनाथजी की रथयात्रा और 200 से अधिक देवी-देवताओं की झांकियों से मिलन की अनूठी परंपरा।

इस बार नया : वर्चुअल टूर और डिजिटल हस्तशिल्प प्रदर्शनी।

कोटा दशहरा : इस बार दुनिया का सबसे ऊंचा पुतला

22 सितंबर से 17 अक्टूबर तक (26 दिन)।

खासियत : राजस्थान के कोटा में रिसासतकालीन 131 साल पुरानी परंपरा का निर्वहन। विविधताओं को समेटे मेले में रावण दहन और खेल प्रतियोगिताओं का आकर्षण।

इस बार नया : पहली बार दुनिया का सबसे ऊंचा 221.5 फीट रावण पुतला बनाया गया है। ऑपरेशन सिंदूर व तिरंगा थीम पर ड्रोन व लाइट शो व सेना के जवानों की चित्रकारी। जलपरियों का खेल व अयोध्या के श्रीरामलला मंदिर की प्रतिकृति का आकर्षण।

दिल्ली दशहरा (रामलीला मैदान) : ड्रोन शो का आकर्षण

खासियत: दिल्ली के रामलीला मैदान में रामलीला के नाट्य का भव्य मंचन और रावण दहन की धूम।

इस बार नया : ऑपरेशन सिंदूर व तिरंगा थीम पर लाइट शो सहित अन्य आकर्षण। ड्रोन शो और ओपन-एयर थिएटर।

यहां रावण के मंदिर, पूजा भी होती है...

देश में जहां अधिकतर जगहों पर रावण का दहन होता है, वहीं कुछ ऐसी जगह भी है। जहां रावण के मंदिर हैं और कुछ लोग रावण की पूजा भी करते हैं। राजस्थान के जोधपुर, मध्यप्रदेश के मंदसौर व विदिशा, उत्तरप्रदेश के कानपुर, कर्नाटक के कोलार, आंध्रप्रदेश के काकीनाडा क्षेत्र में रावण की पूजा की जाती है। जोधपुर में मान्यता है कि रावण की पत्नी मंदोदरी मंडोर से थी। मंदसौर में भी मान्यता है कि रावण उनका जंवाई था। इसलिए महिलाएं जंवाई रावण की प्रतिमा के सामने घुंघट निकालकर जाती है। नामदेव समाज की ओर से सुबह रावण की प्रतिमा की पूजा होती हैं और शाम को रावण का दहन करते हैं। कानपुर में 1868 में बना रावण का मंदिर साल में एक बार दशहरा पर ही खुलता है और जलाभिषेक व पूजा होती है। मध्यप्रदेश के गाडरवारा तहसील के कुसमी में रावण दहन के बाद पूरे गांव को पान खिलाकर मुंह मीठा कराने की अनूठी परंपरा भी है।

ये दशहरा भी है खास-

छत्तीसगढ़ के बस्तर दशहरा, उत्तराखंड का नैनीताल दशहरा, दक्षिण भारत के तमिलनाडु का बोम्मई गोलु दशहरा, बिहार का मुंगेर दशहरा भी अपनी अनूठी परम्पराओं व आकर्षण के कारण विशेष पहचान बनाए हुए हैं।