
तीन की दोस्ती
हृदयांश पंचोली, 11 वर्ष
जंगल में एक उल्लू, एक मां हिरणी और उसके बच्चे के साथ दोस्ती करता है। वे जंगल का दौरा एक साथ करते हैं, आसपास के वातावरण का अन्वेषण करते हैं और एक-दूसरे के बारे में जानते हैं। उल्लू हिरणी के जीवन और आदतों के बारे में सीखता है और हिरणी उल्लू की बुद्धिमत्ता और तेज दृष्टि के बारे में सीखती है। तीनों जंगल में अच्छे दोस्त बन जाते हैं, एक-दूसरे की कंपनी का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे से सीखते हैं। जैसे-जैसे उनकी दोस्ती बढ़ती है, उल्लू, मां हिरणी और उसका बच्चा जंगल में नए दृश्यों और ध्वनियों की खोज करते हैं। वे एक-दूसरे की ताकत पर भरोसा करना सीखते हैं, उल्लू की तेज दृष्टि उन्हें नेविगेट करने में मदद करती है, हिरणी की चपलता उन्हें कठिन इलाके को पार करने की अनुमति देती है, और बच्चे की जिज्ञासा उन्हें छिपे हुए आश्चर्यों की ओर ले जाती है। एक साथ, वे जंगल में अविस्मरणीय यादें बनाते हैं, उनका बंधन हर गुजरते दिन के साथ मजबूत होता जाता है।
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साझा करने से हमें ख़ुशी मिलती है
श्रव्या तोदी, 9 वर्ष
एक बार की बात है, एक जंगल में एक मां हिरण और उसका का बच्चा रहता था, जिसका नाम गोलू था.. हिरण के बच्चे गोलू ने अपनी मां से दोपहर के भोजन के बारे में पूछा.. उसकी माँ ने बताया कि उसने उसका पसंदीदा भोजन पास्ता बनाया है। अचानक एक उल्लू पेड़ पर बैठ गया और उनकी बातें सुनने लगा और बोला कि मैं भी पास्ता खाना चाहता हूं, लेकिन हिरण के बच्चे ने उसे पास्ता देने से मना कर दिया.. लेकिन हिरण की मां ने उसे समझाया कि हमें हमेशा दूसरे व्यक्ति के साथ चीजें साझा करनी चाहिए इससे हमें खुशी मिलेगी.. हिरण के बच्चे को अपनी मां की बात समझ आ गई और उसके बाद उन सभी ने मिलकर पास्ता का आनंद लिया।
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जंगल के दोस्त
तन्मय सिंह राजावत, 9 वर्ष
एक दिन जंगल में एक मां हिरणी अपने छोटे बच्चे के साथ घूम रही थी। वे दोनों बहुत खुश थे और जंगल की हरियाली का आनंद ले रहे थे। तभी एक पुराने पेड़ की डाल पर बैठे उल्लू ने उन्हें देखा। उल्लू ने सोचा कि ये दोनों कितने प्यारे लग रहे हैं। उल्लू ने मां हिरणी से कहा, "आप और आपका बच्चा कितने सुंदर लग रहे हैं! जंगल में आप कैसे रहते हैं?" मां हिरणी ने मुस्कुराते हुए कहा, "हम जंगल में बहुत खुश हैं। हम यहां की हरियाली में खेलते हैं और ताजी हवा में सांस लेते हैं।" उल्लू ने कहा, "वाह! लगता है जंगल आपका घर है। मैं भी यहां रहता हूं, लेकिन पेड़ों पर रहना मुझे अच्छा लगता है।" बच्चे ने उल्लू को देखा और कहा, "उल्लू बुआ, क्या आप हमें उड़ना सिखा सकते हैं?" उल्लू हंसकर बोला, "नहीं बेटा, मैं उड़ना सिखा सकता हूं, लेकिन तुम्हारे पास पंख नहीं हैं। तुम दौड़ना सीखो, जंगल में दौड़ने में भी बहुत मजा आता है!" मां हिरणी ने कहा, "हां बेटा, हम दौड़ेंगे और जंगल का आनंद लेंगे।" उल्लू ने उन्हें शुभकामनाएं दीं और वे सब हंसते हुए अपने-अपने रास्ते चले गए।
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हरे जंगल की बातें
सिद्धांत पटेल, 12 वर्ष
यह कहानी एक हरे-भरे जंगल की है, जहां सूरज की किरणें ऊंचे पेड़ों की पत्तियों से छनकर ज़मीन पर पड़ती थीं। इस तस्वीर में, एक सुंदर हिरनी और उसका छोटाका बच्चा, जिसका नाम बाम्बी है, एक साथ खड़े हैं। बाम्बी अभी दुनिया को जानने के लिए उत्सुक है और अपनी मां की सुरक्षा में सुरक्षित महसूस करता है। उनकी नज़रें ऊपर पेड़ की एक मोटी शाखा पर बैठी एक बड़ी उल्लू पर हैं। यह उल्लू जंगल में सबकी दोस्त है, जिसे बहुत ज्ञान है। उल्लू गंभीर और दयालु लग रहा है, जैसे वह मां और बच्चे को कोई जरूरी बात बता रहा हो। शायद वह उन्हें जंगल में आने वाले ख़तरों के बारे में चेतावनी दे रहा है, या फिर जीवन के किसी अनमोल रहस्य के बारे में समझा रहा है। बाम्बी की मां शांत और सतर्क, अपने बच्चे को उल्लू की बातों पर ध्यान देने के लिए प्रेरित कर रही है। वह जानती है कि जंगल में जीवित रहने के लिए बुद्धि और सावधानी दोनों ज़रूरी हैं। जंगल चारों ओर हरियाली से भरा है, नीचे लाल फूल खिले हैं और घास बहुत नरम है। यह जगह परिवार और दोस्ती का प्रतीक है। उल्लू की समझदारी और मां का प्यार बाम्बी को सिखाते हैं कि जंगल में मुश्किल समय में भी एक-दूसरे का साथ और बड़ों का मार्गदर्शन कितना महत्वपूर्ण होता है। यह सिर्फ एक चित्र नहीं है, बल्कि परिवार के बंधन और प्रकृति के साथ तालमेल बिठाने की एक खूबसूरत कहानी है।
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साहसी बाम्बी
दक्ष सोनी, 13 वर्ष
सुबह की पहली किरणें जंगल के पत्तों को छू रही थीं। हिरणी मां थोड़ी दूर घास चर रही थी। बाम्बी अकेला खड़ा था, लेकिन आज वह निडर महसूस कर रहा था। उसने देखा कि एक छोटी सी गिलहरी ज़मीन पर गिरी हुई है। बाम्बी थोड़ा हिचकिचाया, पर फिर साहस जुटाकर उसके पास गया। पेड़ की डाल पर बैठे बुद्धिमान उल्लू ने बाम्बी को गलती से झाड़ी से टकराते देखा। उल्लू ने तुरंत हल्की सी चेतावनी भरी आवाज़ निकाली। मां ने उल्लू की आवाज़ सुनकर तुरंत सिर उठाया। उसने देखा कि बाम्बी सुरक्षित है और सिर्फ़ गिलहरी की मदद कर रहा है। मां मुस्कुराई। बाम्बी ने गिलहरी को सुरक्षित पेड़ के तने के पास पहुंचा दिया। उल्लू ने भी संतोष से सिर हिलाया। बाम्बी ने आज न केवल साहस दिखाया, बल्कि यह भी सीखा कि जंगल के सभी दोस्तएक-दूसरे का ध्यान रखते हैं।
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उल्लू की सीख
सार्थक शर्मा, 12 वर्ष
एक हरे-भरे जंगल में एक हिरणी अपने नन्हे बच्चे चिंकू के साथ रहती थी। चिंकू बहुत चंचल था, हर चीज को जानने-समझने की कोशिश करता। एक दिन वह खेल-खेल में जंगल के अंदर बहुत दूर चला गया। रास्ते में उसे एक पेड़ पर बैठा बूढ़ा उल्लू दिखा। उल्लू ने प्यार से पूछा – कहां जा रहे हो छोटे?” चिंकू बोला – “मैं दुनिया देखना चाहता हूं, मम्मी कहती हैं बाहर खतरा है, पर मुझे डर नहीं लगता।” उल्लू मुस्कुराया और बोला – “साहस अच्छा है बेटा, लेकिन समझदारी उससे भी ज़्यादा जरूरी है। जिस रास्ते पर तुम जा रहे हो, वहां शिकारी के जाल लगे हैं।” चिंकू ने चारों ओर देखा तो सच में ज़मीन पर जाल फैला था। वह डर गया और भागकर अपनी मां के पास लौट आया। हिरणी ने उसे सीने से लगाते हुए कहा – “बेटा, मैं हर समय तुम्हारे साथ नहीं रह सकती, लेकिन याद रखो, जंगल में सबसे बड़ा मित्र वह होता है जो समय पर सही सलाह दे।” चिंकू ने उल्लू की ओर देखा, जो मुस्कुराते हुए बोला – “ज्ञान सबसे बड़ा रक्षक होता है।” उस दिन के बाद से चिंकू हर नए काम से पहले सोच-समझकर कदम उठाने लगा। जंगल के बाकी बच्चे भी उसकी बात मानने लगे और सबने उल्लू को अपना “बुद्धिमान गुरु” मान लिया।
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हिरण के बच्चे की शर्त
कृतिका मीना, 8 वर्ष
एक बार एक हिरण का बच्चा टहल रहा था टहलते-टहलते वह एक पेड़ के पास आया। उस पेड़ के ऊपर एक उल्लू बैठा हुआ था। उल्लू ने हिरण का मजाक उड़ाते हुए कहा कि तुम तो उड़ नहीं सकते और दो पैरों पर चल भी नहीं सकते, सिर्फ चार पैरों पर ही चल सकते हो। हम तो दो पैरों पर चल सकते हैं उल्लू जोर-जोर से हंसने लगता है तभी वहां पर हिरण की मां आ जाती है हिरण की मां हिरण को ले जाने लगती है। तभी उल्लू हिरण की मां से बोलता है अपने बच्चे से पूछो मेरे साथ शर्त लगाएगा कि वह कल हमारे साथ आसमान में उड़ेगा। हिरण की मां कोई जवाब नहीं देती और चली जाती है। घर पहुंचते ही बच्चा मां से पूछता है कि आपने मुझे कुछ बोलने क्यों नहीं दिया, मां बोलती है हम उड़ नहीं सकते हैं। बच्चा बाहर चला जाता है। उल्लू उसी पेड़ पर बैठा था, हिरण का बच्चा उल्लू के पास जाता है और कहता है मैं शर्त मंजूर करता हूं। अगले दिन हिरण अपनी मां को पहाड़ी पर ले गया। उल्लू उनका पहले इंतजार कर रहा था। जब तक मां को पता चला बहुत देर हो गई थी। मां को जोर से भूख लगी, उसको कोई शिकार नहीं मिला तो हिरण की मां उल्लू को झपट्टा मार कर खा गई।
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स्वस्थ जीवन की राह
आरोही राय, 10 वर्ष
एक बार की बात है, एक सुंदर वन था जो जादुई वन के नाम से जाना जाता था। इस वन में बहुत सारे जानवर रहा करते थे। इन जानवरों की यह विशेषता थी कि वह जब जो चाहें खा सकते थे। इसी वजह से यह जंगल जानवरों की पसंदीदा जगह बन चुकी थी। यहा जो आता, वह जंगल की शोभा-सुंदरता को देखकर आश्चर्यचकित हो जाता। लेकिन कुछ ही दिनों बाद, यह उस जंगल के जानवरों की सबसे बड़ी समस्या बन चुकी थी। क्योंकि जानवर खाना ढूंढने के लिए इधर-उधर चलना या दौड़ना नहीं पड़ता था, वह सिर्फ फल या सब्जी का नाम बोलते और वह उनके सामने आ जाता। इसी वजह से जानवरों के शरीर की ऊर्जा खत्म हो चुकी थी, वह आलसी बन चुके थे। उल्लू यह सब देख रहा था, उसने जंगल के राजा शेर से इस बारे में बात की। शेर इस बात से सहमत हुआ और उसने सभी जानवरों की बैठक बुलाई। शेर ने सभी जानवरों को आदेश दिया कि सभी जानवर अपने खान-पान की चीजों को खुद ढूंढकर लेकर आएंगे और सुबह जल्दी उठकर व्यायाम करेंगे। उसके बाद, पूरा जंगल खुशी और ऊर्जा से भर चुका था।
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जंगल में मंगल
यश राज, 10 वर्ष
एक घने जंगल में, एक छोटे हिरण का बच्चा रहता था जिसका नाम था बंटी। बंटी बहुत भोला और जिज्ञासु था। वह अपनी मां के साथ जंगल में खेलता और नई-नई चीजें सीखता था। एक दिन, जब बंटी अपनी मां से थोड़ा दूर निकल आया, तो वह एक विशाल पेड़ के पास पहुंचा। पेड़ पर बैठा एक उल्लू था, जिसका नाम था गोलू। गोलू जंगल का सबसे समझदार प्राणी माना जाता था। उसकी बड़ी-बड़ी आंखें और शांत स्वभाव उसे सब से अलग बनाते थे। बंटी को थोड़ा डर लगा, लेकिन गोलू ने मुस्कुराते हुए अपनी आँखें खोलीं और धीमी आवाज़ में कहा, "घबराओ मत छोटे, मैं तुम्हें कोई नुकसान नहीं पहुंचाऊंगा। तुम यहां क्या कर रहे हो?" बंटी ने सहमते हुए बताया कि वह अपनी मां से बिछड़ गया है और उसे रास्ता नहीं मिल रहा। गोलू, जो कि पेड़ की सबसे ऊंची डाल से पूरे जंगल को देख सकता था, ने उसे धीरज बंधाया। गोलू ने अपनी तेज़ नज़रों से चारों तरफ देखा और जल्द ही बंटी की माँ को एक झाड़ी के पास घास चरते हुए देख लिया। "देखो, वह रही तुम्हारी माँ!" गोलू ने अपनी चोंच से एक दिशा की ओर इशारा किया। बंटी ने उस दिशा में देखा और खुशी से उछल पड़ा। अपनी मां को देखकर उसकी आंखों में आंसू आ गए। दौड़कर वह अपनी मां के पास गया और उन्हें गले लगा लिया। बंटी की मां ने गोलू को धन्यवाद दिया, और बंटी ने भी वादा किया कि वह अब कभी अकेला दूर नहीं जाएगा। उस दिन से, बंटी और गोलू बहुत अच्छे दोस्त बन गए। बंटी अक्सर गोलू से मिलने आता और गोलू उसे जंगल की अनूठी कहानियाँ सुनाता था। बंटी ने सीखा कि दोस्ती किसी भी रूप या आकार की हो सकती है, और ज़रूरत पड़ने पर मदद हमेशा मिल जाती है।
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मित्रता और समझदारी की मिसाल
शनाया गहलोत, 9 वर्ष
एक घने जंगल में एक हिरणी अपने नन्हे बच्चे के साथ रहती थी। हर सुबह वे दोनों हरे-भरे पेड़ों के बीच खेलने और दौड़ने जाया करते थे। जंगल का वातावरण बहुत सुंदर था—चारों ओर हरियाली, फूलों की खुशबू और पक्षियों का मधुर गीत सुनाई देता था। एक दिन जब हिरणी और उसका बच्चा पेड़ के नीचे आराम कर रहे थे, तभी पेड़ पर बैठा एक बुद्धिमान उल्लू उन्हें देखने लगा। उल्लू ने देखा कि छोटा हिरन बहुत उत्सुक और चंचल है, लेकिन कभी-कभी जल्दीबाजी में गलतियाँ कर बैठता है। उल्लू ने प्रेम से कहा, “छोटे, हमेशा सोच-समझकर कदम बढ़ाना। जंगल में सभी दोस्त नहीं होते, कुछ खतरे भी छिपे होते हैं।” हिरण के बच्चे ने मुस्कुराते हुए कहा, “धन्यवाद, उल्लू अंकल! मैं आपकी बात याद रखूंगा।” कुछ ही देर बाद पास में एक शिकारी आया, पर उल्लू ने जोर से हूट कर हिरणी को सावधान कर दिया। हिरणी तुरंत अपने बच्चे को लेकर झाड़ियों के पीछे छिप गई। शिकारी उन्हें ढूंढ नहीं पाया और निराश होकर लौट गया। उस दिन के बाद से हिरणी और उसका बच्चा रोज़ उल्लू के पास जाकर उससे बातें करते और नई बातें सीखते। जंगल के सभी जीव उन्हें देखकर खुश होते। इस तरह जंगल में उनकी मित्रता और समझदारी की मिसाल बनने लगी।
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बिना स्वार्थ के करेंगे मदद
आरुष माहेश्वरी, 10 वर्ष
बहुत समय पहले की बात है एक दिन एक हिरण का बच्चा उसकी मां के साथ जंगल में घूम रहा था। वह बच्चा घूमते—घूमते भटक गया और बहुत दूर जाकर एक पेड़ के नीचे बैठ गया। उसने मां को ढूढ़ने की कोशिश करी लेकिन नाकाम रहा। फिर वह बहुत उदास होकर रोने लगा। उसी वक़्त एक उल्लू ने उसे देखकर पूछा कि तुम क्यों रो रहे हो तो हिरन के बच्चे ने कहा कि वह रास्ता भटक चुका है और उसे उसकी मां की बहुत याद आ रही है। उल्लू ने भी उसकी मां को ढूंढने में बहुत सहायता की। थोड़ी देर बाद उल्लू ने देखा कि कुछ दूरी पर एक हिरण बहुत बैचेन होकर इधर उधर घूम रहा था। उल्लू और हिरण का बच्चा भागते हुए उस पेड़ के पास पहुंचे। जैसे ही हिरण ने अपने बच्चे को देखा वो ख़ुशी से झूम उठी और उल्लू को बहुत धन्यवाद् कहा। हिरण ने उल्लू को वचन दिया की जैसे उसने हिरण की मदद की, वैसे ही वो भी किसी जरुरतमंद की बिना किसी स्वार्थ के मदद करेगी।
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उल्लू और हिरण की दोस्ती
दैनिक बुडानिया, 10 वर्ष
एक बार की बात है, एक जंगल में उल्लू और हिरण रहते थे। दोनों अच्छे दोस्त थे। एक दिन उल्लू ने देखा कि हिरण बहुत परेशान है। उल्लू ने पूछा, “क्या हुआ हिरण बहन, तुम इतनी उदास क्यों हो?” हिरण ने रोते हुए कहा, “अरे उल्लू भैया! मेरा बच्चा कहीं खो गया है, मुझे समझ नहीं आ रहा वो कहां चला गया!” उल्लू ने कहा, “तुम चिंता मत करो, मैं तुम्हारी मदद करूंगा।” फिर दोनों मिलकर पूरे जंगल में खोजने लगे। उन्होंने झाड़ियों में देखा, पेड़ों के पीछे देखा, यहां तक कि नदी किनारे भी खोजा। अचानक तालाब की ओर से किसी के रोने की आवाज आई। उल्लू उड़कर वहां पहुंचा तो देखा— वो तो हिरण का बच्चा था! उल्लू ने जल्दी से हिरण को बुलाया। हिरण दौड़ती हुई आई और अपने बच्चे को गले लगा लिया। वो बहुत खुश हुई और बोली, “धन्यवाद, उल्लू भैया! तुमने मेरी बहुत मदद की।” उस दिन से हिरण और उल्लू की दोस्ती और भी गहरी हो गई।
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हंसता—खेलता जंगल
ओजस्वी मेहरा, 8 वर्ष
एक जंगल में बहुत से जानवर रहते थे। हिरण और उसका छोटा बच्चा भी रहता था। हिरण के घर के पास ही एक पेड़ था, जहां पर उल्लू रहा करता था। उल्लू बुजुर्ग था। वह सभी जानवरों से बहुत प्यार से रहता था। एक दिन उल्लू ने हिरण के बच्चे को देखा और उसके साथ तरह-तरह के खेल खेलने लगा। तभी हिरण की मां वहां आई और उनको वहां साथ में खेलते देखा बहुत खुश हुई। सब मिलजुल कर हंसी—खुशी खेलने लगे।
Published on:
05 Nov 2025 04:02 pm

