Patrika Logo
Switch to English
मेरी खबर

मेरी खबर

प्लस

प्लस

शॉर्ट्स

शॉर्ट्स

ई-पेपर

ई-पेपर

सरकारी अस्पताल के वार्डोमें हाइजीन मानकों की अनदेखी, अमला नहीं अलर्ट

In the time of infection, there is carelessness about cleanliness amidst the increasing number of patients

number of patients
number of patients

नरसिंहपुर। इंदौर के एमवायएच में दो नवजात शिशुओं की मौत के बाद शासन स्तर पर सरकारी अस्पतालों की मॉनिटरिंग के निर्देश दिए गए हैं। लेकिन नरसिंहपुर जिला अस्पताल में स्थिति अब भी जस की तस है। सैनिटाइजेशन और हाइजीन से लेकर पेस्ट कंट्रोल तक को लेकर लापरवाही साफ नजर आ रही है। जिला अस्पताल के जनरल वार्ड,नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई एसएनसीयूऔर पोषण पुनर्वास केंद्र एनआरसी जैसे अति संवेदनशील वार्डों में बेरोकटोक आवाजाही बनी हुई है। वार्डों में मरीजों के साथ बड़ी संख्या में परिजन भी बेधडक़ आते.जाते देखे जा रहे हैं। इससे संक्रमण का खतरा बढऩे के साथ ही हाइजीन मानकों का उल्लंघन हो रहा है।
फर्श और दीवारों पर गंदगी
वार्डों में समय.समय पर नियमित सैनिटाइजेशन और सफाई व्यवस्था सुनिश्चित करने के निर्देश तो हैं,लेकिन जमीनी स्तर पर इनका पालन नहीं हो रहा। दीवारों और फ र्श पर गंदगी साफ देखी जा सकती है, वहीं मेडिकल उपकरणों के आसपास भी सफ ाई पर ध्यान नहीं दिया जा रहा। अस्पताल की ऊपरी मंजिल की ओर जाने वाली सीढिय़ां और दीवारों पर थूकी गई पान और गुटखा पाउच की पीक से दीवारें लाल हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि अस्पताल के संवेदनशील वार्डों में संक्रमण फैलने की आशंका सबसे अधिक रहती है। यदि हाइजीन और सैनिटाइजेशन पर विशेष ध्यान नहीं दिया गया तो यह स्थिति गंभीर रूप ले सकती है।
वार्डो में हाइजीन कंट्रोल के लिए यह है जरूरी कदम
सभी वार्ड, ओपीडी, ऑपरेशन थिएटर और आईसीयू,एसएनसीयू में प्रतिदिन ड्राई वेट क्लीनिंग और डिसइन्फेक्शन,शौचालयों की सफाई हर 2-3 घंटे में होना चाहिए वहीं बेडशीट,कम्बल रोजाना बदले जाएं और संक्रमण वाली स्थिति में तुरंत बदले जाएं। जबकि वस्तुस्थिति में यह काम चौबीस घंटे में एक बार ही होते हैं। हर संवेदनशील वार्ड जैसे एसएनसीयू, आईसीयू, लेबर रूम में हैंडवॉश और सैनिटाइजऱ डिस्पेंसर हो,वार्ड में अनावश्यक आवाजाही प्रतिबंधित करना। वेंटिलेशन और पेस्ट कंट्रोल के तहत सभी वार्डों में क्रास वेंटिलेशन या एयर प्यूरीफि केशन। हर महीने चूहे, मच्छर, कॉकरोच रोकथामअनिवार्य है। इसी प्रकार नवजात शिशु गहन चिकित्सा इकाई में प्रवेश और आवाजाही नियंत्रण जरूरी है। प्रवेश द्वार पर फु ट डिप कीटाणुनाशक युक्त मैट का होना अनिवार्य। आगंतुकों को हेड कवर, मास्क और चप्पल बदलना अनिवार्य। फ र्श की सफ ाई दिन में कम से कम 3 बार डिसइन्फेक्टेंट से,वार्ड की दीवारें, बेड की सतह रोजाना सैनिटाइज की जाना चाहिए।
अस्पताल प्रबंधन की जिम्मेदारी
इंदौर की घटना के बाद जिला अस्पताल प्रबंधन को अतिरिक्त सतर्कता बरतनी चाहिए थी। लेकिन अमला अब भी बेपरवाह नजर आ रहा है। ऐसे में सवाल यह है कि जब जिला अस्पताल जैसे बड़े केंद्र में ही हाइजीन पर लापरवाही होगी तो छोटे स्वास्थ्य केंद्रों की स्थिति कैसी होगी।
वर्जन
अस्पताल में हाइजीन अपडेट के लिए लगातार मानीटरिंग की जाती है। सफाई इंतजामों को भी दुरूस्त रखने के प्रयास किए जाते हैं। पेस्ट कंट्रोल पिछले सप्ताह ही कराया गया है। इन दिनों अस्पताल में भीड़ अधिक हो रही है। फिर भी व्यवस्थाओं के सुधार के लिए प्रयास जारी है।
डा राजकुमार चौधरी सिविल सर्जन जिला अस्पताल