
सॉफ्ट लैंडिंग को मिली नई उड़ान : हाइब्रिड वीटीओएल तकनीक का सफल परीक्षण
चेन्नई. भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आइआइटी, IIT) मद्रास के शोधकर्ताओं ने वर्टिकल टेक-ऑफ और लैंडिंग (वीटीओएल,VTOL) विमान व मानवरहित वायु वाहन (यूएवी, UAV) के लिए हाइब्रिड रॉकेट थ्रस्टर्स पर आधारित प्लेटफॉर्म का सफल विकास किया है। यह शोध इंटरनेशनल जर्नल ऑफ एरोनॉटिकल एंड स्पेस साइंसेज में प्रकाशित हुआ है। यह शोध पत्र संस्थान के प्रोफेसर पी.ए. रामकृष्ण, डॉ. जोएल जॉर्ज मंथारा और आनंदु भद्रन ने मिल कर लिखा है।शोधकर्ताओं ने एक रियल-टाइम हाइब्रिड रॉकेट थ्रस्टर को वर्चुअल सिमुलेशन से जोड़ कर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ के लिए जरूरी वेलॉसिटी (उड़ान के लिए पलायन वेग) प्राप्त की। इस तकनीक से ग्रहों पर लैंडिंग से लेकर धरती पर विमानों की वर्टिकल लैंडिंग तक की प्रक्रिया अधिक सुरक्षित बन सकती है।
दूर-दराज के क्षेत्रों में विमान सेवाएं
एयरोस्पेस इंजीनियरिंग डिपार्टमेंट के प्रोफ़ेसर पी.ए. रामकृष्ण ने प्रोफेसर पी.ए. रामकृष्ण ने बताया, “वीटीओएल तकनीक से एयरक्राफ़्ट को वर्टिकली टेक-ऑफ और लैंड कराया जा सकता है, जिससे लंबे रनवे की आवश्यकता नहीं रहती। यह दूर-दराज के क्षेत्रों तक पहुंचने में सहायक होगी।”
हाइब्रिड रॉकेट मोटर का उपयोग लिक्विड इंजन की तुलना में कम जटिल और अधिक सुरक्षित माना गया है। शोध के अनुसार, हाइब्रिड सिस्टम में अंतर्निहित सुरक्षा और थ्रॉटलिंग की क्षमता बेहतर पाई गई है। डॉ. जोएल जॉर्ज मंथारा के अनुसार, “वीटीओएल के लिए हाइब्रिड रॉकेट थ्रस्टर्स का उपयोग इस शोध का नया पहलू है। इससे सुरक्षा, सरलता और नियंत्रण का संतुलन मिलेगा।
हाइब्रिड रॉकेट ईंधन
शोध कार्य में बतौर ऑक्सीडाइज़र सिर्फ संपीड़ित हवा का उपयोग कर ऐसा हाइब्रिड रॉकेट ईंधन विकसित किया गया है, जिससे वीटीओएल सिस्टम्स एयरोस्पेस वाहनों में लगाना आसान होगा। डॉ. मंथारा ने बताया, “हम ने एचआईएलएस फ्रेमवर्क में लाइव-फायरिंग हाइब्रिड रॉकेट मोटर को सीधे जोड़ कर टेस्टिंग को सटीक बनाया है।” हॉट फ्लो टेस्ट में इस सिस्टम को 0.66 एम/एस का टचडाउन वेलॉसिटी मिला। आनंदु भद्रन ने बताया, “हाइब्रिड रॉकेट मोटर ने थ्रस्ट मॉड्यूलेशन की क्षमता और विश्वसनीयता सिद्ध की है, जिससे वीटीओएल व अन्य एयरोस्पेस सिस्टम में इसकी उपयोगिता प्रमाणित हुई है।
सेना को मिलेगी मदद
आइआइटी मद्रास का यह शोध नई पीढ़ी के वायु परिवहन व नागरिक-मिलिट्री एयरक्राफ्ट के विकेंद्रीकरण की दिशा में अहम साबित हो सकता है। भविष्य में कई डिग्री फ्रीडम वाले प्लेटफॉर्म के प्रायोगिक शोध किए जाएंगे, जिससे तकनीक के व्यावहारिक उपयोग की संभावना और बढ़ेगी।

Published on:
30 Oct 2025 01:59 pm


