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दिल्ली-एनसीआर में 14 अक्टूबर से बदलेगी आबोहवा! मानसून वापसी संग ठंड की एंट्री पर IMD की भविष्यवाणी

Weather Changes: दिल्ली-एनसीआर में 14 अक्टूबर के बाद मौसम में बदलाव के साथ ही हवा में प्रदूषण का लेवल भी बढ़ जाएगा। इसके साथ ही इस बार ठंड का असर भी जल्दी ही दिखने लगेगा।

Weather changes in Delhi-NCR pollution to rise from 14 October IMD predicts cold after monsoon rainfall
दिल्ली-एनसीआर में बदल रहा मौसम का मिजाज।

Weather Changes: दिल्ली-एनसीआर से मानसून की वापसी के साथ ठंड की एंट्री पर मौसम विभाग ने बड़ी भविष्यवाणी की है। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार ला नीना के चलते दिल्ली-एनसीआर में सर्दी का असर जल्दी दिखने लगेगा। इसके साथ ही दिल्‍ली-एनसीआर में ठंड की दस्तक के साथ ही हवा में घुलता जहर प्रशासन और लोगों की चिंता बढ़ा सकता है। विशेषज्ञों का कहना है कि अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में ही राष्ट्रीय राजधानी का वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) 200 के पार पहुंच गया है, जो ‘खराब’ श्रेणी में आता है। हालांकि रविवार को लगातार चली हवाओं ने स्थिति में कुछ सुधार जरूर किया, लेकिन विशेषज्ञों का कहना है कि 14 अक्टूबर के बाद हालात और गंभीर हो सकते हैं। विशेषज्ञों ने यह बात केंद्र सरकार के डिसीजन सपोर्ट सिस्टम (DSS) के आंकड़ों के आधार पर कही है, जिसके अनुसार, अक्टूबर के दूसरे सप्ताह में ही पराली जलाने का हिस्सा दिल्ली के प्रदूषण में मामूली रूप से बढ़कर 0.8% तक पहुंच गया है, जबकि शनिवार को यह 0.4% था।

15 अक्टूबर के बाद और बिगड़ सकते हैं हालात

पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के तहत काम कर रहे एयर क्वालिटी अर्ली वार्निंग सिस्टम (EWS) ने चेतावनी दी है कि 13 और 14 अक्टूबर को दिल्ली की हवा ‘मध्यम’ श्रेणी में रहेगी, लेकिन 15 अक्टूबर से यह ‘खराब’ श्रेणी में पहुंच जाएगी। इसके बाद अगले छह दिनों तक हवा की गुणवत्ता में सुधार की संभावना कम है। विशेषज्ञों का कहना है कि आमतौर पर अक्टूबर से ही दिल्ली की वायु गुणवत्ता खराब होने लगती है। दक्षिण-पश्चिम मानसून के लौटने के साथ ही तापमान में गिरावट और हवा की रफ्तार कम होने से प्रदूषक तत्व जमीन के पास जमा होने लगते हैं, लेकिन इस बार मानसून के देर तक टिके रहने के चलते इसकी संभावना कम थी

प्रदूषण बढ़ाने वाले कारणों में पराली और पटाखे प्रमुख

हर साल की तरह इस बार भी उत्तर-पश्चिम भारत में पराली जलाने का दौर शुरू हो गया है। साथ ही त्योहारों के मौसम में पटाखों के इस्तेमाल और तापमान में गिरावट से स्थिति और खराब होती है। विशेषज्ञ बताते हैं कि कम तापमान और धीमी हवाओं के कारण “इन्वर्सन” की स्थिति बन जाती है, जिसमें ठंडी हवा गर्म हवा के नीचे फंस जाती है। यह परत प्रदूषकों को सतह के पास रोक देती है, जिससे हवा में जहर बढ़ता जाता है। इस समय चलने वाली उत्तर-पश्चिमी हवाएं पंजाब और हरियाणा से पराली जलाने का धुआं दिल्ली तक ले आती हैं। नवंबर की शुरुआत में यह हिस्सा हवा में मौजूद कणिकीय पदार्थों (PM 2.5) में 40% तक योगदान देने लगता है।

दिल्ली-एनसीआर की बदल रही आबोहवा। (Photo: ANI)

परिवहन क्षेत्र दिल्ली का सबसे बड़ा प्रदूषण स्रोत

DSS की रिपोर्ट के अनुसार, रविवार को दिल्ली के PM 2.5 प्रदूषण में सबसे अधिक योगदान परिवहन क्षेत्र का रहा, जो लगभग 19.8% था। इसके बाद सोनीपत (9.2%) और झज्जर (5.1%) से होने वाला प्रदूषण रहा। पराली जलाने का योगदान रविवार को 0.8% दर्ज किया गया और सोमवार को भी लगभग यही स्तर रहने का अनुमान है। हालांकि राहत की बात यह है कि पिछले साल की तुलना में इस बार पराली जलाने की घटनाओं में कमी आई है। पंजाब में 15 सितंबर से 11 अक्टूबर तक 116 घटनाएं दर्ज की गईं, जबकि पिछले साल यह संख्या 533 थी। हरियाणा में अब तक केवल 11 मामले सामने आए हैं, जो पिछले साल की 280 घटनाओं से काफी कम हैं।

मौसम ने दिखाए ठंड के शुरुआती संकेत

इसके साथ ही मौसम विभाग ने दिल्ली-एनसीआर में ठंड का प्रकोप जल्दी शुरू होने के संकेत दिए हैं। मौसम विशेषज्ञों का कहना है कि इस बार ला नीना की उपस्थिति के चलते ठंड का प्रकोप जल्दी शुरू हो सकता है। रविवार को दिल्ली का अधिकतम तापमान 31.5 डिग्री सेल्सियस रहा, जो सामान्य से तीन डिग्री कम था। न्यूनतम तापमान 19.6°C दर्ज किया गया, जो सामान्य से एक डिग्री नीचे है। मौसम विभाग (IMD) का अनुमान है कि अगले दो दिनों तक न्यूनतम तापमान 18 से 20°C के बीच रहेगा, जबकि अधिकतम तापमान में 1-2 डिग्री की बढ़ोतरी हो सकती है। बुधवार तक यह 34°C तक पहुंचने का अनुमान है।

जल्द बदल जाएगी हवाओं की दिशा

IMD अधिकारियों ने बताया कि आसमान साफ रहेगा और सप्ताह के दूसरे भाग में हवाओं की दिशा पूर्वी हो जाएगी। अगले दो से तीन दिनों तक 5 से 10 किमी/घंटा की रफ्तार से हवाएं चलने की संभावना है, जिससे अस्थायी राहत मिल सकती है। उधर, दिल्ली सरकार में पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा ने केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड (CPCB) के आंकड़े साझा करते हुए कहा कि इस साल राजधानी में अब तक 199 दिन ऐसे दर्ज किए गए हैं, जब AQI 200 से नीचे रहा। 2016 में यह आंकड़ा केवल 110 दिनों का था। उन्होंने कहा “दिल्ली की हवा में सुधार हो रहा है, क्योंकि दिल्ली सरकार ने जमीनी स्तर पर लगातार काम किया है।”