
नई दिल्ली। भारत ने भविष्य की वैश्विक अर्थव्यवस्था, स्वच्छ ऊर्जा और राष्ट्रीय सुरक्षा की चाबी माने जाने वाले क्रिटिकल मिनरल्स में अपनी स्थिति मज़बूत करने की दिशा में बड़ा कदम बढ़ा दिया है। अब लक्ष्य सिर्फ खोज और खनन तक सीमित नहीं, बल्कि पेटेंट और प्रौद्योगिकी पर एकाधिकार हासिल करना है। इसके लिए नेशनल क्रिटिकल मिनरल मिशन (एनसीएमएम) ने अगले पांच साल में क्रिटिकल मिनरल्स को लेकर 1,000 पेटेंट दाखिल करने की प्रक्रिया शुरू की है। अब तक 62 आवेदन दाखिल किए गए, जिनमें से 10 को मंजूरी मिल चुकी है।
दरअसल, क्रिटिकल मिनरल्स तेजी से 21वीं सदी का ईंधन बन रहे हैं। ये खनिज दुर्लभ होने के साथ रणनीतिक रूप से बेहद अहम हैं और देशों के बीच इन पर तीखी प्रतिस्पर्धा है। इन्हीं पर आधुनिक अर्थव्यवस्था की नींव टिकी है—चाहे वो बैटरी हों, इलेक्ट्रिक वाहन, सोलर पैनल या रक्षा उपकरण। दूसरी ओर, भारत ने बड़े जलवायु लक्ष्य तय किए हैं। इनमें उत्सर्जन तीव्रता 45 फीसदी घटाना, 2030 तक आधी बिजली उत्पादन क्षमता गैर-जीवाश्म स्रोतों से हासिल करने के साथ 2070 तक नेट-जीरो उत्सर्जन तक पहुंचाना शामिल है। इन लक्ष्यों को पूरा करने के लिए एनसीएमएम कार्य कर रहा है। इसके तहत मई क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में 21 पेटेंट और जून में 41 और पेटेंट दाखिल किए गए। इनमें से कुल 10 पेटेंट को मंजूरी मिली है। यह अन्वेषण, निष्कर्षण, प्रसंस्करण और उन्नत अनुप्रयोगों पर केंद्रित रिसर्च और डवलपमेंट में बढ़ते जोर को दर्शाता है।
1. इटर्बियम-ऑक्साइड नैनोपार्टिकल्स: ये खास कण हैं जो लेजर, सेंसर और इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में काम आते हैं।
2. निकल वैनेडेट थिन फिल्म्स: इनसे बने कोटिंग्स ऊर्जा स्टोरेज और इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस में उपयोगी हैं।
3. टंगस्टन-पॉलिमर कंपोजिट मोल्ड्स: ये बहुत मज़बूत मोल्ड्स हैं, जो उद्योग और रक्षा उपकरणों के निर्माण में मदद करते हैं।
4. टैंटलम-आधारित इलेक्ट्रोलाइट: इससे बैटरियां ज्यादा सुरक्षित और लंबे समय तक ऊर्जा स्टोर करने वाली बनती हैं।
5. उन्नत एनोड सामग्री: यह सेकेंडरी बैटरियों (रीचार्जेबल बैटरियों) को और ज्यादा टिकाऊ और प्रभावी बनाती है।
क्रिटिकल मिनरल्स के क्षेत्र में भारत की वैज्ञानिक और तकनीकी क्षमताओं को मजबूत करने के लिए अत्याधुनिक शोध व नवाचार को बढ़ावा दिया जा रहा है। इसके लिए एनसीएमएम 7 प्रमुख संस्थानों का चयन एक्सीलेंस केन्द्र के रूप में किया है। इनमें 4 आइआइटी एवं 3 अनुसंधान लैब शामिल है। आइआइटी बांबे, आइआइटी हैदराबाद, आइआइटी (आईएसएम) धनबाद, आइआइटी रूढक़ी, सीएसआइआर-आइएमएमटी भुवनेश्वर, सीएसआइआर-एनएमएल जमशेदपुर और एनएफटीडीसी हैदराबाद शामिल हैं।
-लिथियम, कोबाल्ट, निकल और दुर्लभ खनिजों की दीर्घकालिक आपूर्ति सुनिश्चित करना
-स्वच्छ ऊर्जा और इलेक्ट्रिक वाहनों को सुनिश्चित करना
-निवेश आकर्षित करने, नवाचार को बढ़ावा देने और भविष्य के उद्योगों के लिए वैश्विक आपूर्ति केंद्र स्थापित करना
Published on:
11 Sept 2025 11:58 am

