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दिल्ली कार धमाके में 5 नए खुलासे, पाकिस्तान-तुर्की का सीधा कनेक्‍शन! इन सवालों में उलझी जांच एजेंसियां

Delhi Car Blast: NIA और दिल्ली पुलिस की संयुक्त टीम ने अब तक 14 ठिकानों पर छापे मारे हैं, जिनमें लैपटॉप, रासायनिक पदार्थ और विदेशी ट्रांजेक्शन के दस्तावेज मिले हैं। जल्द ही इस घटना के पीछे का पूरा पर्दा उठ सकता है।

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दिल्ली कार धमाके में पांच नए खुलासे।

Delhi Car Blast: दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किले के पास 10 नवंबर की शाम हुए कार बम विस्फोट ने देश की सुरक्षा एजेंसियों को चौकन्ना कर दिया है। इस धमाके में अब तक 10 लोगों की मौत हो चुकी है, जबकि 20 से ज्यादा घायल अस्पतालों में जिंदगी और मौत के बीच झूल रहे हैं। केंद्र सरकार ने इसे आधिकारिक रूप से आतंकी हमला घोषित किया है। दूसरी ओर, देश की शीर्ष जांच एजेंसियां इस मामले की तहकीकात में जुटी हैं। इसके तहत अब जांच पांच अहम दिशाओं में तेजी से आगे बढ़ रही है और हर दिन नए चौंकाने वाले तथ्य सामने आ रहे हैं।

केंद्र सरकार का 'देशद्रोही ताकतों' पर सीधा वार

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में बुधवार को हुई कैबिनेट कमेटी ऑन सिक्योरिटी (CCS) की बैठक के बाद सरकार ने बयान जारी किया। इसमें कहा गया "यह देशद्रोही ताकतों द्वारा रचा गया घिनौना आतंकी हमला है। इसके जिम्मेदारों को किसी भी कीमत पर छोड़ा नहीं जाएगा।" इसके अलावा सरकार ने यूएपीए, आतंकवाद निरोधक कानून और विस्फोटक पदार्थ अधिनियम के तहत मामला दर्ज कर लिया है। अब एनआईए (NIA), दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और आईबी (IB) मिलकर इसे 'टेरर इंसिडेंट' के रूप में जांच रही हैं। सूत्रों का कहना है कि सरकार ने एजेंसियों को 'टाइम-बाउंड इन्क्वायरी' का निर्देश दिया है और देशभर में संभावित स्लीपर सेल्स की निगरानी बढ़ा दी गई है।

'प्लान्ड अटैक' या 'पैनिक ब्लास्ट' जांच में नई उलझन

जांच का दूसरा बड़ा फोकस यह है कि यह धमाका सोची-समझी साजिश थी या घबराहट में हादसा हुआ है? सुरक्षा एजेंसियों को शक है कि फरीदाबाद में एक टेरर मॉड्यूल की गिरफ्तारी के बाद आतंकियों ने पैनिक में डिवाइस ब्लास्ट कर दिया। इस मामले में दिल्ली पुलिस के एक अधिकारी ने HT को बताया, "फरीदाबाद बस्ट के बाद दिल्ली में मौजूद मॉड्यूल दबाव में था। शुरुआती संकेत यह मिल रहे हैं कि बम की डिवाइस अस्थिर थी और गलत हैंडलिंग में फट गई।" हालांकि जांचकर्ता अभी यह भी देख रहे हैं कि क्या यह 'प्लान बी' था? यानी यह एक असफल हमले की कोशिश थी, जो समय से पहले फेल हो गई।

टेलीग्राम चैट्स ने खोला जैश-ए-मोहम्मद नेटवर्क का राज

फरीदाबाद से पकड़े गए दो डॉक्टरों के फोन से मिले टेलीग्राम चैट्स ने जांच की दिशा पूरी तरह बदल दी है। जम्मू-कश्मीर पुलिस के साइबर यूनिट ने खुलासा किया है कि आरोपी डॉक्टर जैश-ए-मोहम्मद के पाकिस्तानी हैंडलर्स से सीधे निर्देश ले रहे थे। डॉ. मुजम्मिल गनई के फोन से मिले चैट्स में 'मिशन तैमूर' और 'डिलीवरी ऑन 10th' जैसे कोडवर्ड पाए गए हैं। डिजिटल फॉरेंसिक रिपोर्ट में साफ हुआ है कि जैश का नेटवर्क टेलीग्राम, सिग्नल और प्रॉक्सी सर्वरों के जरिए एक्टिव था। यह मॉड्यूल कथित तौर पर ऑनलाइन रेडिकलाइजेशन और मेडिकल प्रोफेशनल्स की भर्ती में लगा हुआ था।

डॉ. शाहीन की निजी कहानी में उलझी पुलिस

गिरफ्तार मुख्य आरोपी डॉ. शाहीन शाहिद के पूर्व पति डॉ. जफर हयात ने मीडिया से सनसनीखेज बयान दिया है। कानपुर स्थित कमला पट मेमोरियल हॉस्पिटल में आई स्पेशलिस्ट डॉ. जफर ने बताया "हमारी शादी 2003 में हुई थी। दो बच्चे हैं। वह हमेशा विदेश शिफ्ट होना चाहती थीं, पर मैं नहीं गया। 2015 में बिना किसी झगड़े के तलाक हो गया। उसके बाद उनका संपर्क टूट गया।" अब जांच में यह देखा जा रहा है कि शाहीन ने 2016 के बाद किससे संपर्क बढ़ाया और क्या उनके विचार धीरे-धीरे कट्टरपंथी समूहों की ओर झुक गए। एजेंसियों के मुताबिक, उनकी गतिविधियां 'डिजिटल रेडिकलाइजेशन' के पैटर्न से मेल खाती हैं।

तुर्की ट्रिप में हैंडलर्स से मुलाकात या मेडिकल कॉन्फ्रेंस का बहाना?

अब तक की जांच में डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल गनई की 2022 में तुर्की यात्रा सबसे अहम हिस्सा बन चुकी है। जांच एजेंसियों को शक है कि वहां दोनों की जैश हैंडलर्स से मीटिंग हुई थी। हालांकि ट्रैवल एजेंसी के दस्तावेज़ों में इसे मेडिकल कॉन्फ्रेंस अटेंडेंस बताया गया है। एक अधिकारी ने कहा, "हमारे पास ऐसे इनपुट हैं कि तुर्की में इनकी मुलाकात एक पाकिस्तानी मूल के व्यक्ति से हुई थी जो अब सीरिया में सक्रिय है।" अगर यह कनेक्शन साबित हो गया तो यह केस दक्षिण एशिया में 'टेरर ट्रेवल नेटवर्क' की नई परतें खोल सकता है।