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1-2-3-4 नहीं, 32 कारों में बम ब्लास्ट की थी तैयारी! मस्जिद में आखिरी नमाज…डायरियों ने खोले राज

Red Fort Blast: दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच में एक के बाद एक करके बड़े खुलासे हो रहे हैं। अब NIA की जांच में सामने आया है कि एक-दो नहीं, बल्कि 32 कारों में ब्लास्ट की योजना थी।

Red Fort Blast Not just one two 3 or 4 but 32 cars were being bombed Last prayers at mosque
दिल्ली धमाके में नया खुलासा।

Red Fort Blast: दिल्ली के ऐतिहासिक लाल किला इलाके में हुए भीषण कार धमाके में 12 लोगों की मौत और दो दर्जन से अधिक घायल होने के बाद जांच एजेंसियों ने एक बड़े आतंकी नेटवर्क का पर्दाफाश किया है। जांच में सामने आया है कि संदिग्ध आतंकियों ने देशभर में 32 पुरानी कारों में बम लगाकर सीरियल ब्लास्ट की योजना बनाई थी। एएनआई के अनुसार, शुरुआती जांच में यह पता चला है कि आरोपी पहले ही दो कारों i20 और ईकोस्पोर्ट को विस्फोटक से लैस करने का काम शुरू कर चुके थे। फिलहाल जांच टीमें उन अन्य कारों की पहचान में जुटी हैं, जो इस नेटवर्क का हिस्सा हो सकती हैं।

देशभर में फैले नेटवर्क की तलाश

एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी ने बताया, "दिल्ली में लाल किले के पास हुए कार धमाके की जांच में पता चला है कि i20 और ईकोस्पोर्ट के अलावा करीब 32 पुरानी गाड़ियों को सीरियल धमाकों के लिए तैयार किया जा रहा था। अब एजेंसियां यह ट्रैक कर रही हैं कि ये वाहन किन-किन इलाकों में फैले थे और इनके पीछे कौन सा आतंकी संगठन सक्रिय है।"

फर्जी नामों पर पंजीकृत कराई गईं कारें

सूत्रों के मुताबिक, यह साजिश पिछले छह महीनों से तैयार की जा रही थी। संदिग्धों ने इन गाड़ियों को देश के अलग-अलग शहरों से खरीदकर फर्जी नामों पर पंजीकृत कराया था। माना जा रहा है कि इन वाहनों को त्योहारी सीजन या किसी राष्ट्रीय कार्यक्रम के दौरान एक साथ विस्फोट करने की योजना थी, ताकि अधिकतम नुकसान पहुंचाया जा सके। इसी योजना के तहत 10 नवंबर की शाम लाल किला के पास कार में जोरदार विस्फोट हुआ था, जिसमें 12 लोगों की मौके पर मौत हो गई थी और 20 से ज्यादा घायल हुए थे। यह धमाका इतने तीव्र था कि आसपास खड़ी कई गाड़ियां जलकर खाक हो गईं। केंद्र सरकार ने इसे आतंकी हमला घोषित करते हुए एनआईए को जांच सौंपी थी।

अल फलाह विश्वविद्यालय से मिली संदिग्ध डायरियां

जांच में सबसे अहम सुराग फरीदाबाद के अल फलाह विश्वविद्यालय से मिला है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल और एनआईए की संयुक्त टीम ने यहां के दो शिक्षकों डॉ. उमर नबी और डॉ. मुजम्मिल के कमरों से कई डायरियां बरामद की हैं। इन डायरियों में रासायनिक सूत्र, समय-निर्धारण कोड और कुछ स्थानों के नक्शे मिले हैं, जिन्हें विशेषज्ञ टीम डीकोड कर रही है। एक पुलिस अधिकारी ने बताया "डॉ. उमर के कमरा नंबर 4 और डॉ. मुजम्मिल के कमरा नंबर 13 से दो डायरियां बरामद की गईं हैं। एक तीसरी डायरी उस कमरे से मिली, जहाँ से 360 किलोग्राम विस्फोटक पहले जब्त किया गया था। यह जगह विश्वविद्यालय से लगभग 300 मीटर की दूरी पर है।"

विस्फोट से पहले आखिरी नमाज

जांच में एक और बड़ा सबूत सामने आया है। दिल्ली पुलिस ने पुष्टि की है कि धमाके से कुछ देर पहले आतंकी डॉक्टर उमर नबी को तुर्कमान गेट इलाके में देखा गया था। सीसीटीवी फुटेज में वह शर्ट और जींस पहने सड़क पर टहलता हुआ दिख रहा है। माना जा रहा है कि वह शाम की नमाज अता करने के लिए तुर्कमान गेट मस्जिद गया था। मस्जिद से निकलने के बाद वह उसी दिशा में गया, जहां से ब्लास्ट की गई कार बाद में बरामद हुई। जांच अधिकारी ने बताया, "फुटेज से पता चलता है कि उमर नबी फरीदाबाद से सुबह 7 बजे निकला और शाम तक दिल्ली के कई इलाकों में घूमता रहा, जिसमें कनॉट प्लेस और दरियागंज भी शामिल हैं। उसे आखिरी बार लाल किले के पास देखा गया।"

अब तक की जांच और आगे की कार्रवाई

एनआईए, दिल्ली पुलिस स्पेशल सेल और आईबी की संयुक्त टीमें अब यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस मॉड्यूल के साथ देश के किन-किन शहरों में स्लीपर सेल सक्रिय थे। साथ ही यह भी जांच की जा रही है कि विश्वविद्यालय के अन्य कर्मचारी या छात्र इस नेटवर्क से जुड़े तो नहीं। पुलिस सूत्रों का कहना है कि आने वाले दिनों में कई राज्यों में एक साथ छापेमारी की जा सकती है। खुफिया एजेंसियों का मानना है कि यह नेटवर्क सीमा पार से संचालित किया जा रहा था और इसके तार जम्मू-कश्मीर और दक्षिण भारत तक फैले हो सकते हैं।